एक युवक ने मकान में जब सागवान के खिड़की दरवाजे लगवाने के लिए ठेकेदार से बात की तो होश उड़ गए। सागवान की लकड़ी काफी महंगी थी। यहीं से उसे आइडिया आया- क्यों न अपने खेत में सागवान का बगीचा लगाया जाए। यह विचार आने के बाद युवक ने 85 रुपए प्रति पौधे के हिसाब से 2000 पौधे मंगवाकर खेत में लगवाए। अब ये पौधे 11 साल के हो गए हैं। इनकी कीमत अभी 1 करोड़ से ज्यादा है। कुछ साल बाद इनकी वैल्यू तीन करोड़ तक होने का अनुमान है। म्हारे देस की खेती में आज बात पाली के किसान गोरधन सिंह की… पाली जिले के मारवाड़ जंक्शन से 10 KM की दूरी पर है चेलावास गांव की। यहां किसान गोरधन सिंह (33) ने सागवान का बगीचा लगाया है। सिंह ने बताया- सागवान का बगीचा लाइफ टाइम इंवेस्टमेंट है। एक किसान अपने जीवन में एक बार ही इस फसल से कमाई ले सकता है। इसलिए पाली-मारवाड़ के ज्यादातर किसान इसकी खेती से बचते हैं। वर्तमान में मैंने अपने खेतों में सागवान के अलावा खजूर, अनार और सब्जियां भी लगा रखी हैं। इन नवाचार के लिए पीएम नरेंद्र मोदी मुझे ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में शाबाशी दे चुके हैं। मैंने पाली के बांगड़ कॉलेज से साल 2010 से 2013 तक बीकॉम से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 2015 में ज्योग्राफी से एमए किया। इसके बाद 2016 से 2019 तक ज्योग्राफी में पीएचईडी की। घर में पिता मदन सिंह, मां लीला कंवर हैं। पत्नी प्रियंका एलएलबी है। खेती की शुरुआत पढ़ाई के साथ ही 2014 में की थी। 20 साल में तैयार होता है पेड़ किसान गोरधन सिंह ने बताया- जब बाजार में सागवान की लकड़ी का भाव पूछा तो होश उड़ गए। यह काफी महंगी थी। दुकानदार से पूछा कि सागवान की लकड़ी इतनी महंगी क्यों है? तो जवाब मिला कि यह फर्नीचर के लिए बेहतरीन क्वालिटी होती है। इसलिए इसकी काफी डिमांड रहती है। यह लकड़ी तैयार होने में 20 साल लग जाते हैं। इसलिए महंगी है। गांव में हमारे पास 60 बीघा की खेती है। सागवान की बात सुनी तो विचार आया कि परंपरागत खेती के साथ सागवान का बगीचा भी लगाऊंगा। 2014 में की खेती की शुरुआत किसान गोरधन सिंह ने बताया- खेती की शुरूआत मैंने साल 2014 में की। इससे पहले मैंने करीब एक साल तक जलगांव, नासिक, मालेगांव (महाराष्ट्र) और कच्छ, भुज (गुजरात) आदि जगह जाकर रिसर्च किया। किसानों से मिला। पूछा कि कौनसी खेती करनी चाहिए। किसानों ने मुझे ऐसी फसलों के बारे में बताया जिनमें नुकसान कम और अच्छा मुनाफा था। 2014 में ही 60 बीघा खेत में से 16 बीघा में अनार के 3000 पौधे लगाए। 40 पौधे आम के और 8 बीघा में खजूर की खेती की। हरी सब्जियां, रायड़ा, गेहूं, इसबगोल, जीरा, जौ, चना भी उगाया। इनकी खेती नियमित कर रहा हूं और सालाना अच्छी इनकम भी हो रही है। सागवान लगाने से पहले किया रिसर्च किसान गोरधन सिंह ने बताया- सागवान की खेती के लिए मैंने एक साल तक रिसर्च किया और जानकारी जुटाई। किसानों से मिलकर यह जाना की सागवान की खेती कैसे होती है। जानकारी जुटाने के बाद उत्तरप्रदेश की रिवॉलविंग अर्थ एग्रो कंपनी से सागवान के 2000 पौधे मंगवाए और 6 बीघा में लगाए। यहां से एक पौधा 85 रुपए में पड़ा। सागवान का पूरा बगीचा तैयार करने में करीब 5 लाख रुपए खर्च हुए। एक कतार में दो पौधों के बीच 10 फीट की दूरी रखी। पौधों में देसी खाद का इस्तेमाल किया। सागवान के पौधों को 3 साल तक देखभाल की जरूरत होती है। पौधा जमने के बाद फिर ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती। यह पौधा अन्य पेड़ों की तरह बढ़ता है। —- खेती-किसानी से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… बंजर जमीन में किसान ने उगाई सब्जियां और फूल:विदेशी तकनीक से मिट्टी को उपजाऊ बनाया; गोमूत्र–हींग के पानी से फसल पश्चिमी राजस्थान का मारवाड़-गोडवाड़ इलाका। दूर-दूर तक देखो तो यहां आपको चारों तरफ छोटी-छोटी पहाड़ी और बंजर जमीन ही नजर आएगी। इसी हिस्से में पाली…जवाई लेपर्ड कंजर्वेशन एरिया से सटे इलाके बाली में राकेश राज ठकराल के पास 4 बीघा जमीन है। बी.कॉम पास राकेश ठकराल बताते हैं कि पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से उनकी जमीन की मिट्टी कठोर थी। कभी इस पर कोई फसल नहीं हुई। (पढ़ें पूरी खबर)