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राजस्थान में कलेक्टरों के पास आई फाइलों पर अब तेजी से काम होने लगा है। कई अफसर तो ऐसे हैं, जो एक-एक मिनट में 10 फाइलें निपटा रहे हैं। कलेक्टर से लेकर प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों की एक रिपोर्ट राजकाज सॉफ्टवेयर पर तैयार की गई है। इस रिपोर्ट का भास्कर टीम ने एनालिसिस किया। जनवरी 2025 तक जहां कलेक्टर के पास एक फाइल औसत 36 घंटे तक अटकी पड़ी रहती थी। मई में उसी फाइल के मूवमेंट में औसत डेढ़ घंटा लग रहा है। मई महीने में यह अवधि घटकर मात्र 2 से 3 घंटे के बीच रह गई है। कलेक्टर दंपतियों की रिपोर्ट में भी रोचक चीजें सामने आई हैं। बाड़मेर कलेक्टर टीना डाबी जहां एक मिनट में 1.2 फाइलों का निपटारा कर रही हैं। उनके पति जालोर कलेक्टर प्रदीप के गवांडे 2.5 फाइलें निपटा रहे हैं। भीलवाड़ा कलेक्टर जसमीत सिंह अपनी पत्नी अलवर कलेक्टर अर्तिका शुक्ला से 27 गुना तेजी से काम कर रहे हैं। मंडे स्पेशल स्टोरी में पढ़िए- कलेक्टर्स-प्रमुख सचिव की टेबल पर लाल फीते में फंसी बिजली, पानी, पेंशन और वेतन से जुड़ी फाइलों के मूवमेंट में कैसे तेजी आ रही है… ये 4 कलेक्टर टॉप परफॉर्मर
राजकाज सॉफ्टवेयर के अनुसार, भीलवाड़ा कलेक्टर जसमीत सिंह संधू एक मिनट में 81 फाइलें इधर-उधर कर रहे हैं। वहीं, बांसवाड़ा कलेक्टर इंद्रजीत यादव एक मिनट में औसत 7 फाइलें। डूंगरपुर के कलेक्टर अंकित कुमार सिंह एक मिनट में 15 फाइलें। धौलपुर कलेक्टर श्रीनिधि बीटी 1 मिनट में औसतन 8 फाइलों का काम पूरा कर रहे हैं। कलेक्टर दंपती की परफॉर्मेंस : टीना डाबी से आगे उनके पति गवांडे, भीलवाड़ा कलेक्टर की रफ्तार IAS पत्नी से 27 गुना
2015 की टॉपर आईएएस टीना डाबी की टेबल पर एक मिनट में औसतन 1.2 फाइलों की मूवमेंट हो रही है। इस मामले में उनके पति और जालोर कलेक्टर प्रदीप के गवांडे ज्यादा तेजी से काम कर रहे हैं। वे एक मिनट में 2.5 फाइलों की मूवमेंट कर रहे हैं। भीलवाड़ा कलेक्टर जसमीत सिंह संधू अपनी पत्नी एवं अलवर में कलेक्टर अर्तिका शुक्ला से 27 गुना तेजी से काम कर रहे हैं। धीमे अफसर : जयपुर कलेक्टर की टेबल पर सबसे ज्यादा समय तक रुकी रही फाइलें जयपुर कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी अपनी टेबल पर आई फाइलों का मूवमेंट करने में सबसे ज्यादा समय लेने वाले कलेक्टर हैं। मार्च में उन्होंने 14 घंटे 51 मिनट में महज 3 फाइलों का ही मूवमेंट किया। वहीं अप्रैल में 3 घंटा एक मिनट लगाते हुए केवल 4 फाइलों का मूवमेंट किया। इसी तरह सबसे धीमा काम करने वाले अफसरों में चित्तौड़गढ़, राजसमंद जैसे कई जिलों के केलक्टर शुमार हैं। युवा कलेक्टरों के काम की रफ्तार ज्यादा पिछले दो महीने में फाइलों के निपटारे के जो आंकड़े राजकाज पर आए हैं, उससे साफ जाहिर है कि युवा कलेक्टरों ने काम करने में तेजी दिखाई है। जबकि अनुभवी आईएएस अफसरों का काम ठीक जरूर है, लेकिन फाइल मूवमेंट की गति कम है। टोंक, अजमेर, बांसवाड़ा, अलवर, दौसा और बांसवाड़ा कलेक्टर का फाइलों के मूवमेंट के हिसाब से परफॉर्मेंस शानदार रहा है। जिला कलेक्टर्स का मार्च-अप्रैल का फाइल मूवमेंट की रिपोर्ट… राजस्थान की टॉप ब्यूरोक्रेसी (एसीएस स्तर) में कुलदीप रांका सबसे अव्वल 1. कुलदीप रांका, एसीएस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग 2. आनंद कुमार, एसीएस, गृह विभाग 3. आरती डोगरा, चेयरमैन डिस्कॉम 4. अपर्णा अरोड़ा, एसीएस, वन एवं पर्यावरण 5. अखिल अरोड़ा, एसीएस, वित्त विभाग 6. अभय कुमार, एसीएस, जल संसाधन 7. अश्विनी भगत, एसीएस, अल्पसंख्यक विभाग बजट घोषणाओं से जुड़ी फाइलों का मूवमेंट ज्यादा
विभागीय सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर मुख्य सचिव ने बजट घोषणाओं से जुड़ी फाइलों के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिए हैं, ताकि आम आदमी योजनाओं से लाभांवित हो सके। ऐसे में जिला कलेक्टरों के पास सरकारी नौकरियों की भर्ती से जुड़ी फाइलों और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं की पेंडेंसी बहुत कम है। कर्मचारियों के वेतन और प्रमोशन से जुड़ी फाइलों का मूवमेंट भी हर कलेक्टर और अन्य आईएएस अधिकारी कर रहे हैं। पहले 1 फाइल के निस्तारण में लगते थे 72 घंटे कलेक्टर और उच्च स्तरीय आईएएस अधिकारियों के यहां फाइल मूवमेंट का समय जनवरी तक जहां औसतन 36 घंटे लग रहे थे। लेकिन अब यह मार्च-अप्रैल में घटकर औसत 2 घंटे के आसपास रह गया है। वहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव के स्तर पर भी औसत घटा है। ई-फाइल के निष्पादन का समय औसतन 22 घंटे से घटकर औसत 6 घंटे ही रह गया है। कैसे संभव हुआ यह?
मुख्य सचिव सुधांश पंत हर महीने वीसी के जरिए जनसुनवाई करते हैं। इस दौरान सभी कलेक्टरों से महीने भर का ब्योरा लेते हैं। जिस कलेक्टर के यहां पेंडेंसी रहती है, उसे डांटने से भी नहीं चूकते हैं। पिछले दिनों जन सुनवाई के दौरान जयपुर के कलेक्टर जितेंद्र सोनी से सवाल कर लिए थे। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने जबसे ब्यूरोक्रेसी के मुखिया के रूप में कमान संभाली तबसे उन्होंने ई-फाइलिंग पर खास जोर देते हुए इसे निपटारे के औसत समय से जोड़ते हुए सभी अधिकारियों को इसे गति देने के निर्देश दिए थे। इसी पर आगे बढ़ते हुए कलेक्ट्री और संबंधित सरकारी ऑफिस में इसकी शुरुआत की गई थी। पहले आम तौर पर अधिकारी देर तक दफ्तर में बैठकर फाइल निपटारा सुनिश्चित करते थे। इस प्रक्रिया में जिस दिन वे कार्यालय समय से ज्यादा बैठकर निपटारा कर पाए उस दिन तो औसत सही रहता। बाद में व्यवस्था गड़बड़ा जाती थी। आईटी विभाग ने सॉफ्टवेयर में जरूरी सुधार करके जूम इन और जूम आउट फीचर जोड़ा, जिससे फाइल पढ़ना आसान हो गया। मुख्य सचिव के स्तर पर एप्लिकेशन के फाइल ट्रैकिंग मैनेजमेंट सिस्टम से पूरी प्रक्रिया की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जाती है।

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