देवली से करीब 6 किमी दूर बीजासण माता (कुचलवाडा कलां की माताजी) के लिए टोंक सौलंगपुरा खाल का बालाजी चौराहा से नवीं विशाल पदयात्रा बिजासण माता सेवा समिति के तत्वावधान में बुधवार को रवाना हुई। इसमें बच्चों से लेकर महिला- पुरुष, युवक-युवतियां आदि नाचते गाते हुए जा रहे थे। बीच बीच में माता रानी के जयकारे भी लग रहे थे। इस दौरान लोगों ने इस यात्रा का जोरदार स्वागत भी किया। समिति अध्यक्ष लोकेश सांखला ने बताया कि देवली के पास बीजासण माता (कुचलवाडा कलां) के लिए पदयात्रा सुबह 10 बजे विधिवत पूजा-अर्चना के बाद मातारानी की झांकी के साथ पदयात्री हुए। खाल के बालाजी से, सोलंगपुरा चौराहा, मोदी की चौकी से सिविल लाइन रोड, डिपो क्षेत्र से होकर पदयात्रा शहर से निकली। यात्रा का कई जगह लोगों ने फूल बरसाकर स्वागत भी किया। बुधवार को पदयात्रा का रात्रि विश्राम शिव मंदिर भरनी में होगा। गुरुवार को सुबह पदयात्रा रवाना होकर कुचवालड़ा पहुंचेगी। जहां रात्रि विश्राम व भजन संध्या करने के बाद अगले दिन 18 जुलाई को मातारानी के ध्यजारोहण किया जाएगा। फिर भोजन प्रसादी के बाद यात्रा संपन्न होगी। लकवे के इलाज के लिए है प्रसिद्ध कुचलवाड़ा की माताजी लकवाग्रस्त (पेरालाईसिस) मरीजों का इलाज करने के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि जो लकवा के मरीज अस्पतालों में ठीक नहीं होते है, वे यहां माताजी के आशीर्वाद से ठीक होकर जाते हैं। इसलिए यहां रोजाना सैकडों मरीज और श्रद्धालु आते हैं। इनमें मरीजों की संखब भी बहुत ज्यादा है। बिजासन माता कुचलवाड़ा माताजी के नाम से प्रसिद्ध है।

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