राजस्थान में मुख्य सचिव समेत 48 IAS अफसरों और दो दर्जन RAS अफसर काम का दोहरा बोझ झेल रहे हैं। प्रदेश के 17 वरिष्ठ आईएएस अफसरों के केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर होने के कारण इन्हें दूसरे विभागों का भी जिम्मा संभालना पड़ रहा है। ये वो अफसर हैं, जिनके पास पहले से ही बिजली, किसान, ट्रांसपोर्ट सर्विस जैसे जनता से जुड़े विभाग हैं। एसीएस स्तर के सात, प्रमुख सचिव स्तर के 4 और सचिव स्तर के 15 अधिकारी हैं, जिनके पास अतिरिक्त चार्ज हैं। अधिकारियों का कहना है कि नौकरशाहों पर अतिरिक्त काम के बोझ का प्रमुख कारण अनुभवी अधिकारियों की कमी है। ऐसे में सरकार नए अधिकारियों की बजाए अनुभवी अधिकारियों को ही अतिरिक्त चार्ज देकर काम चला रही है। भास्कर ने आम जन को प्रभावित करने वाली योजनाओं की पड़ताल की है। इसमें चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। मंडे स्पेशल स्टोरी में पढ़िए ये रिपोर्ट… 1. ऐसे कैसे बिजली में आत्मनिर्भर होगा राजस्थान?
भजनलाल सरकार ने किसानों को सर्दी में दिन में बिजली और सस्ती बिजली देने का वादा किया है। प्रदेश में अक्षय ऊर्जा (सोलर, विंड एनर्जी) के अध्यक्ष का पद एक साल से खाली चल रहा है। प्लांट से सस्ती बिजली बनाने वाली कंपनियों को सिर्फ निर्देश ही मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक गुप्ता के पास 13 फरवरी 2024 से इस विभाग का अतिरिक्त चार्ज है। पूर्णकालीन अफसर नहीं होने से प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान (पीएम कुसुम) के लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहे हैं। सरकार ने राजस्थान स्वच्छ ऊर्जा नीति- 2024 जारी की है, जिसमें वर्ष 2030 तक 125 गीगावाट की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में 35 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसमें भी 28 लाख करोड़ से अधिक तो अकेले ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित है। इस बीच, ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक का अतिरिक्त प्रभार दूसरे अफसर को सौंप दिया गया। सीनियर आईएएस आरती डोगरा चेयरमैन, डिस्कॉम और जयपुर विद्युत निगम लिमिटेड की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। 2. राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी एक साल से अतिरिक्त चार्ज के सहारे
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी एक साल से अतिरिक्त चार्ज के सहारे है। सरकार पूर्णकालिक आईएएस की नियुक्ति नहीं कर पा रही है। इस बोर्ड के प्रमुख कार्य जल और वायु प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण, औद्योगिक इकाइयों के संचालन के लिए सहमति देना, पर्यावरणीय अनुकूल प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित करना है। ताकि प्रदेशवासियों को साफ-सुथरी हवा मिल सके। प्रदूषण से राजस्थान की स्थिति सबसे खराब है। हालात यह है कि देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में 9 राजस्थान के हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा 25 मई 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान के बीकानेर में स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 76 अंकों के उछाल के साथ 267 पर पहुंच गया था। 3. सरकारी योजनाओं की जानकारी देने वाला विभाग ही चार्ज के सहारे
राजस्थान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की जिम्मेदारी सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ की जानकारी जनता को देने की है। लेकिन, आयुक्त एवं संयुक्त सचिव सूचना एवं जनसंपर्क विभाग का पद खाली चल रहा है। आईएएस सुनील शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद आरएएस ऑफिसर अरविंद सारस्वत को अतिरिक्त चार्ज सौंपा गया। मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक गुप्ता सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं। जानकारों का कहना है कि सीएमओ में बैठने वाले अधिकारी के पास काम का भार ज्यादा होता है। ऐसे में जो उन्हें अतिरिक्त चार्ज सौंप रखे हैं। उन पर ज्यादा ध्यान दे पाना मुश्किल होता है। 4. किसानों से जुड़े विभाग का चार्ज मुख्य सचिव के पास
राजफैड का काम प्रदेश के किसानों के लिए समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद के लिए, राजफेड (RAJFED) पंजीकरण की प्रक्रिया करना, किसानों के लिए जरूरी उर्वरक, बीज, कीटनाशक उपलब्ध करवाने का है। लेकिन यह विभाग भी अतिरिक्त चार्ज के सहारे है, जिसकी जिम्मेदारी मुख्य सचिव सुधांश पंत के पास है। मुख्य सचिव ब्यूरोक्रेसी का मुखिया होता है। ऐसे में वह पूर्णकालीन अफसर जो ध्यान देता उतना नहीं दे पाते हैं। समय-समय पर किसान संगठन समर्थन मूल्य को लेकर नाखुशी जाहिर करते रहे हैं। 5. आपदा विभाग राम भरोसे, कैसे मिलेगी राहत?
प्रदेश में आपदा विभाग राम भरोसे चल रहा है। सरकार ने पूर्णकालीन आईएएस की नियुक्ति नहीं की है। गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार जिम्मेदारी संभाले हुए है। भारत-पाक तनाव के बीच भी आपदा विभाग को पूर्णकालीन आईएएस नहीं मिला। जबकि माॅक ड्रिल अभियान को अतिरिक्त चार्ज के भरोसे ही पूरा किया गया था। बाढ़, आंधी-तूफान और मौसम से हुई जन-धन की हानि का आकलन आपदा विभाग ही करता है। लेकिन पिछले एक साल से आपदा विभाग को पूर्णकालीन अफसर नहीं मिला है। इन आरएएस अफसरों के पास है अतिरिक्त चार्ज
