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इंटरनेशनल एथलेटिक्स कोच सबल प्रताप सिंह को रिटायरमेंट पर 15 लाख रुपए की SUV गिफ्ट में दी है। 26 साल की नौकरी के बाद सबल प्रताप जिला खेल अधिकारी अलवर के पद से आज रिटायर हो रहे हैं। वे भारतीय एथलेटिक्स टीम के कोच रह चुके हैं। उनके तैयार खिलाड़ी देश के लिए खेले, मेडल जीते और सरकारी नौकरी में बड़े पदों पर पहुंचे। अलवर में अपना घर शालीमार में रहने वाले सबल प्रताप सिंह 1999-2001 तक मास्टर ऑफ स्पोट्‌र्स (MS) करने वाले राजस्थान के पहले कोच है। 2001 से 2008 तक वे भारतीय एथलेटिक्स टीम के कोच रहे और मकाऊ, कोलंबो, यूक्रेन, हांगकांग गए। इन्होंने कई नेशनल-इंटरनेशनल खिलाड़ी देश को दिए। उनमें से 800 से 1000 खिलाड़ी ऐसे हैं, जो अब सरकारी नौकरी में बड़े पदों पर है। कोई पुलिस विभाग में ASP, DSP, CI है तो कई रेलवे में नौकरी कर रहे हैं। सर को गुरु दक्षिणा के रूप में कुछ देना चाहते थे
अलवर शहर के शोरूम में कार लेने आए इंटरनेशनल खिलाड़ी धारा यादव और बीएसएफ में DSP रमजान ने भास्कर से बात की। उन्होंने कहा- कोच सबल प्रताप सिंह पहले इंसान और फिर खिलाड़ी बनाते हैं। उनके लिए हम आज तक कुछ नहीं कर पाए। हम उनकी बदौलत ही आज सरकारी नौकरी में हैं। उनकी कोचिंग में खेलें खिलाड़ियों का एक ग्रुप बनाया था। सभी ने उनके रिटायरमेंट को लेकर बात की। हम सब गुरु दक्षिणा के रूप में उन्हें कुछ देना चाहते थे। तब हम सभी ने मिलकर कार गिफ्ट करने का प्लान बनाया था। रमजान ने बताया- सर, के खिलाड़ी अलग-अलग जगह पर सरकारी नौकरी में है। ASP से लेकर SI तक करीब 50 से ज्यादा होंगे। उनकी बदौलत ही यह सब मिला
एशियन मेडलिस्ट रतीराम सैनी कहते हैं- कोच को अनुशासन पसंद हैं। वे अभ्यास कराने और बारीकियां सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। उनकी बदौलत ही यह सब मिला है। वे नहीं होते तो इतना कुछ नहीं मिल पाता। कोच के तैयार खिलाड़ियों में पैदल चाल में ओलिंपियन सपना पूनिया, हैमर थ्रो और सैफ गेम रिकॉर्ड धारी नीरज भी शामिल है। ASP रमन सिंह की लखनऊ में ,बीएसएफ में DSP रमजान गांधीनगर और CI जहीर अब्बास बांदीकुई में तैनात हैं। जयपुर में हुआ था जन्म
कोच सबल प्रताप सिंह चौहान का जन्म 1965 में जयपुर में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से उत्तरप्रदेश के एटा जिले का है। सबल प्रताप सिंह ने 15 साल की उम्र से खेलना शुरू किया था। कई स्टेट और नेशनल टूर्नामेंट में भी हिस्सा लिया था। 1981 में 400-800 मीटर रेस में नेशनल मेडल, 1984 में ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडल जीता था। 1989 में पटियाला से NIS किया था। देश को 50 से ज्यादा इंटरनेशनल खिलाड़ी दिए
कोच ने कई नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ी देश को दिए हैं। इनकी कोचिंग में 24 खिलाड़ियों ने इंटरनेशनल मेडल जीते है। 200 से ज्यादा खिलाड़ी नेशनल मेडलिस्ट हैं। 700 से ज्यादा नेशनल खिलाड़ी, 1300-1500 स्टेट मेडलिस्ट, 2000-2500 स्टेट खिलाड़ी देश को दिए हैं।

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