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वन्य जीव विभाग ने जंगल में जानवरों के लिए वाटर पॉइंट्स को लेकर इस बार प्लानिंग की है। इसके तहत हर 4 किलोमीटर पर वाटर पॉइंट पर एक बोरवेल करवाया है। वाटर पॉइंट पर पानी भरने के लिए सौर ऊर्जा से संचालित साढ़े 7 एचपी पंप की व्यवस्था की है। बोले- जंगल की प्राइवेसी बनी रहेगी डीएफओ वन्यजीव विभाग अनुराग भटनागर ने बताया कि जंगल में बहुत से वाटर पॉइंट बने हुए हैं। उसमें हम टैंकर से पानी डालते थे। जब ट्रैक्टर वाटर पॉइंट पर जाता था तो ट्रैक्टर की आवाज से डिस्टरबेंस होता था ट्रैक्टर की आवाज होने से जानवर डिस्टर्ब होते थे। दूसरा प्राइवेट आदमी भी वहां जाता है। ऐसे में जंगल की प्राइवेसी खत्म होने की संभावना रहती थी। 5-5 वाटर पॉइंट डेवलप किए भटनागर ने बताया कि जानवर डिस्टर्ब ना हो इसलिए विभाग ने भैंसरोडगढ़ व शेरगढ़ अभ्यारण में अब तक 5-5 वाटर पॉइंट डेवलप किए हैं। जिनमें सौर ऊर्जा के जरिए पानी भरने की व्यवस्था की है। वाटर पॉइंट पर 24 घंटे पानी आता रहेगा। ओवरफ्लो होने पर वहां कीचड़ बन जाएगा। जिससे वहां कीड़े मकोड़े पर आ जाएंगे। वहां बर्ड ईगल सहित अन्य प्रजाति के पक्षी भी आ रहे है। उन्होंने बताया कि भैंसरोडगढ़ में 40 व शेरगढ़ अभ्यारण 25 वायर पॉइंट डेवलप किए जाने है। अभी दोनों जगहों पर 5-5 वायर पॉइंट डेवलप किए है। फूड चेन बनाए रखने में मदद मिलेगी भटनागर ने बताया कि हमारे पास जो डेटा है। उसके अनुसार जंगल में रात के समय एक ही वाटर पॉइंट पर लेपर्ड भी पानी पीता है। उसके बाद फॉक्स आ रही है। उसके बाद हायना भी वही पानी पी रहा है। नीलगाय,चिंकारा सभी उसी जगह पानी पी रहे हैं। सुबह के वक्त दूसरे जानवर वहां पानी पीने आ रहे हैं। यह ऐसे जानवर हैं जो एक दूसरे का शिकार करते हैं। लेकिन वाटर पॉइंट पर सभी जानवर पानी पीने आ रहे हैं। वाटर पॉइंट डेवलप होने से उन्हें कोई डिस्टरबेंस नहीं होगा।

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