मानसून की दस्तक के साथ ही क्षेत्र के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल की नई बिल्डिंग में बारिश का पानी टपकने लगा है। 70 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस बिल्डिंग का निर्माण कराया गया है। बारिश के बाद अस्पताल की तीसरी मंजिल की छत से लगातार पानी टपक रहा है। इलाज के लिए आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में कई जगह फिसलन की स्थिति बनी हुई है। जिससे हादसे का डर बना हुआ है। कर्मचारियों द्वारा बार-बार पानी को साफ किया जाता है। इमारत का नया निर्माण किया गया था
मरीज के परिजन राजेश जैन ने बताया कि अभी चिकित्सा विभाग के द्वारा इस इमारत का नया निर्माण किया गया। उसके बावजूद भी मानसून की पहली बारिश में अस्पताल से पानी टपकने लगा है, जगह-जगह पानी हो रहा है। फिसलने गिरने की स्थिति लगी रहती है। मरीज और उसके साथ आने वाले परिजन को भी डर बना हुआ है। अस्पताल प्रशासन अधिकारी को ध्यान देना चाहिए और इससे तो चालू रूप से सही करवानी चाहिए। मरीजों की कोई चिंता नहीं
बच्चे का इलाज कराने आए पिता सुरेंद्र ने बताया कि हाल ही में इस नई बिल्डिंग का निर्माण हुआ है। उसके बावजूद भी कितना घटिया निर्माण करवाया गया कि हल्की बारिश में छत पर से पानी टपकने लगा है। पूरे मानसून में तो हॉस्पिटल के अंदर पानी ही पानी भर जाएगा। अधिकारी अपने ऑफिस में बैठे रहते हैं, उन्हें मरीजों की कोई चिंता नहीं है। मैं अपने बच्चों को दिखाने आया हूं। मेरे सामने ही एक मरीज गिर गया। उसे हम लोगों ने उठाया। ठेकेदार हल्का काम कर के चल गया। भ्रष्टाचार बिल्डिंग में साफ नजर आ रहा है। मरम्मत का कार्य किया जाना था
एमबीएस हॉस्पिटल के उपाधीक्षक करनेश गोयल ने बताया कि हॉस्पिटल प्रशासन ने इस संबंध में दो से तीन बार कोटा विकास प्राधिकरण और सार्वजनिक निर्माण विभाग को लिखित में शिकायत भेजी है। मानसून से पहले ही मरम्मत का कार्य किया जाना था। उनकी तरफ से अभी तक कोई भी नहीं आया। जिम्मेदार एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
फ्लोर पर मौजूद सिक्योरिटी गार्ड ने बताया कि बारिश आती है, पानी भर जाता है। सफाई वालों को बुलाते हैं। वह यहां से पानी साफ कर देते हैं, फिर दोबारा से बारिश आती है तो फिर से पानी भर जाता है। विभाग की लापरवाही के चलते अब मरीजों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोग और अस्पताल प्रशासन मांग कर रहे हैं कि तुरंत मरम्मत कार्य करवाया जाए। जिम्मेदार एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
