2700 करोड़ ठगने वाले नेक्सा एवर ग्रीन के आरोपियों को 6 महीने में ही जेल से बाहर निकालने का प्लान था। इसके लिए तत्कालीन एएसपी रामचंद्र मूंड ने उनसे 500 करोड़ रुपए की डील की थी। एक ऑडियो रिकॉर्डिंग में ये सनसनीखेज दावा किया है तत्कालीन सीकर एएसपी के रीडर हेड कॉन्स्टेबल श्याम ने। ठगी के शिकार सतबीर के साथ 42 मिनट की बातचीत में 500 करोड़ की डील, आरोपियों को जेल में सहूलियत दिलाने, पीड़ितों से राजीनामे और करोड़ों की संपत्ति बेचने का जिक्र है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार नहीं करने की डील
ऑडियो में हेड काॅन्स्टेबल श्याम बोल रहा है कि नेक्सा एवर ग्रीन चिटफंड घोटाले के आरोपियों को 6 महीने में ही जेल से बाहर निकालने का प्लान था। इसके लिए एएसपी ने उनसे 500 करोड़ रुपए की डील की थी। जल्द आरोपियों को बाहर निकालने और परिवार के अन्य लोगों को गिरफ्तार नहीं करने की डील थी। हेड कॉन्स्टेबल बाेला- एएसपी ने बंधी के लिए मुझे परेशान किया
ऑडियो में हेड काॅन्स्टेबल श्याम, सतबीर (पीड़ित) काे कह रहा है कि एएसपी रामचंद्र ने दो महीने तक मुझे परेशान किया था। मुझसे कहा था कि पुलिस थानों से एसएचओ की जो बंधी आती है, उसकी बात करो। मैंने कहा कि मैं नहीं कर सकता हूं। मैंने पहले भी एएसपी रहे, उनका भी नहीं किया था। मैं तो केवल चाय पिला सकता हूं। उन्होंने कहा कि फाइलों में लेनदेन की बात करो। मैंने कहा- मैं नहीं कर सकता हूं। मेरे मना करने पर वे मुझसे नाराज हो गए। तब स्टाफ को बोलने लगे कि ये कोई काम का नहीं है। बेकार आदमी है। दूसरा आदमी देखना पडे़गा। इसको कुछ नहीं आता है। एएसपी को किसी ने बताया कि पुलिस लाइन में मूलचंद है। वो आपका सब काम कर लेगा। तब पुलिस लाइन से मूलचंद को लेकर आए थे। उस पर एक आरोप की जांच भी चल रही थी। उस जांच को भी एएसपी ने क्लियर करा दिया था। उसमें उसे छोटी सी सजा दी थी। मूलचंद की प्रमोशन की भी फाइल चल रही है। मूलचंद को लेनदेन के लिए ही पुलिस लाइन से लेकर आए। उसने कुछ ही दिनों में करोड़ों रुपए के प्लॉट भी खरीद लिए। रीडर तो आज भी मैं ही हूं। मेरे ही रीडर के ऑर्डर हो रखे हैं। मेरे तो कोई दिक्क्त नहीं है। मेरा बेटा सेंट्रल में जेईएन लग गया है। मुझे गलत काम करने की जरूरत नहीं है। इस पर सतबीर बोलता है- मैंने नए एएसपी को बोला था कि इस काॅन्स्टेबल को क्यों ले आए हो। ये तो बहुत भ्रष्ट है। ये तो आरोपियों से मिला हुआ है। इसने बहुत रुपए खाए हैं। तब एएसपी ने कहा कि मैंने इसको नहीं रखा है। ये तो पहले ही था। दावा- रुपए के लिए कॉन्स्टेबल वॉट्सऐप कॉल करता
रिकॉर्डिंग में हेड कॉन्स्टेबल श्याम बता रहा है कि कंपनी के टॉप ऑर्डर के 100 लोगों को इन्होंने सिलेक्ट किया था। कौन फायदे में है और कौन लॉस में है। पूरी डिटेल निकाली गई। कॉन्स्टेबल मूलचंद दूसरे नंबर से अन्य लोगों को फोन करता था। वे लोग गिरफ्तारी के डर से उन्हें रुपए दे देते थे। पहले टॉप 10 की लिस्ट बनाई थी। उनसे डील करने के बाद बाकी के 90 लोगों की लिस्ट बनाई थी। रुपयों का सारा लेन देन कॉन्स्टेबल मूलचंद ही करता था। मूलचंद ही फोन करता था। वो दूसरे वॉट्सऐप नंबर से कॉल करता था। दबाव बनाने के लिए रणवीर से भी उन लोगों को कॉल करवाता था। एएसपी ने प्रदीप और मुझे तो दूसरे काम में लगाकर रखता था। हमें मूलचंद के पास भी नहीं जाने देते थे। हमसे तो अंडरवियर-बनियान धुलवाना, वर्दी प्रेस कराना, कपडे़ धुलवाने, घर के काम करवाने और छोटी फाइलों के काम करवाते थे। जेल में डालकर रुपए लिए, तब बाहर निकाला बस एक एविडेंस दे दो, एफआईआर दर्ज करा दूंगा रिकॉर्डिंग की कई बातें सच! हकीकत में जांच में दिखाई लापरवाही सबूत 1 : जमीन सीज नहीं की, जेल में बैठे 200 करोड़ की रजिस्ट्री करा दी
पुलिस ने धोलेरा सिटी (गुजरात) और जयपुर, सीकर सहित नेक्सा एवरग्रीन कंपनी के नाम पर जमीनों को सीज नहीं किया। रणवीर, सुभाष व अन्य गिरफ्तारी होने के बाद बाहर से नरेश काजला व अन्य लोगों ने मिलकर एक कमेटी बनाई थी। इन्होंने रणवीर और सुभाष को जेल से बाहर निकालने के नाम पर लोगों से राजीनामा करवाए। झांसे में लेकर 200 करोड़ से ज्यादा की जमीनों की रजिस्ट्री करवा कर सेटिंग कर ली। ईडी ने कुछ दिन पहले रेड डाली थी तो काफी जमीनों के दस्तावेज मिले थे। सबूत 2 : कंपनी के ऑफिस तक सीज नहीं हुए
पुलिस ने कंपनी के दिल्ली रोड व पिपराली रोड पर बने ऑफिस को सीज नही किया। ऑफिस को खाली करवा कर एजेंट सारा सामान निकाल कर ले गए। वहां पर काफी जरूरी दस्तावेज रखे थे। उन्हें वे निकाल कर ले गए। एक वीडियो भी आया था, जिसमें मालिक को रुपए देकर जा रहे थे और सारा सामान पिकअप में भरकर ले गए थे। अगर पुलिस सीज करती तो वहां से जरूरी कागजात मिल सकते थे। सबूत 3 : कंपनी के कई डायरेक्टरों की अब तक गिरफ्तारी नहीं
नेक्सा एवर ग्रीन के नाम पर 6 कंपनी रजिस्टर्ड थीं। साथ ही 30 फर्म भी अलग से बनाई गई थी। इनमें रणवीर, विशाल जांगिड़, सुभाष बिजारणियां, बीरबल तेतरवाल, विकास कुमार, जस्मत भाई, सुधीश मील, सुभाषचंद जाट, वीरमभाई परमार, गंभूभाई परमार डायरेक्टर थे। रणवीर व सुभाष के अलावा बाकी लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया। ऐसे ही सलीम खान, समीर खान, जुगलकिशोर, लक्ष्मी व गिरजा सहित कई लोगों को नहीं पकड़ा गया है। सबूत 4 : एक एफआईआर में गिरफ्तार कर गोपाल को छोड़ा
पुलिस ने कंपनी के लीडर गोपाल दूधवाल को रणवीर और सुभाष के बाद गिरफ्तार कर लिया था। उसे दलीप सिंह की 69 एफआईआर नंबर में गिरफ्तार किया था। बाद में दलीप और गोपाल दूधवाल के बीच राजीनामा दिखा कर जमानत करा दी गई। उसके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज थी। उनमें उसे गिरफ्तार नहीं किया गया। गोपाल सेमिनार करता था और लोगों को जोड़ता था। वह करोडों रुपए के प्राॅफिट में था। ऑडियो में भी हेड कॉन्स्टेबल श्याम ने बोला कि उससे 50 लाख रुपए लिए गए। सबूत 5 : जेल से सुभाष और हिस्ट्रीशीटर का भी वीडियो आया था सामने
जेल में कंपनी के डायरेक्टर सुभाष, रणवीर और एक हिस्ट्रीशीटर अनुज का भी वीडियो सामने आया था। इसमें वह जेल में सारी सुविधाएं मिलने की बात बोल रहा था। तीनों आराम से जयपुर जेल और सीकर जेल में आपस में वीडियो कॉल पर बात कर रहे थे। वह सीकर जेलर और डिप्टी को भी अश्लील बातें बोलता है। कोई परेशानी होने पर उसे फोन करने को बोलता है। सबूत 6 : ईडी को 2 साल बाद भी अकाउंट में 15 करोड़ व 2 करोड़ नकद मिले
पुलिस ने अकाउंट व प्रॉपटी सीज नहीं की। करीब दो साल के बाद 12 जून को ईड़ी ने सीकर, जोधपुर, झुंझुनूं सहित 24 जगहों पर छापेमारी की थी। इसमें क्रिप्टो और बैंक अकाउंट में 15 करोड़ फ्रिज किए थे। कई बेनामी प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड भी मिला है। ईडी को करीब 2 करोड़ कैश भी मिला था। आमने–सामने बिठाकर बातचीत की थी
इसके बाद पुलिस मुख्यालय में भी अधिकारियों ने एएसपी और सतबीर को बुलाकर आमने-सामने बैठा कर बातचीत की थी। वहां भी सतबीर ने लेनदेन के आरोप लगाए थे। बाद में सीकर एएसपी रामचंद्र मूंड को नेक्सा एवरग्रीन केस की जांच से हटा दिया था। बाद में सीकर से ट्रांसफर भी हो गया था। रिकॉर्डिंग की शिकायत पर जवाब के नोटिस मिले
सतबीर ने बताया कि उसने पुलिस मुख्यालय से लेकर ईडी और एसीबी में भी शिकायत की थी। इसके बाद उसके पास रिकॉडिंग के जवाब के लिए पुलिस की ओर से नोटिस मिले थे। वे गए तो उनके अभी तक बयान नहीं हुए हैं। बाद में दोबारा से नोटिस भी मिले थे। सतबीर ने बताया कि उस पर झूठे मुकदमे दर्ज करवा कर परेशान किया गया। पुलिस मुख्यालय से जांच बदली तो उन मुकदमों को जांच में झूठा पाया गया था। मामले में किसका क्या है कहना मुझे रिटायर हुए एक साल हो चुका है। क्या ऑडियो है, किसका ऑडियो है, किसने क्या बोला है, मुझे इस बारे में कुछ पता नहीं है। रामचंद्र मूंड, रिटायर्ड एएसपी ऑडियो की जांच मिली थी। सतबीर को नोटिस देकर बयानों के लिए बुलाया था, लेकिन वह आया नहीं। उसे सीकर पुलिस पर भरोसा ही नहीं है। मैंने जांच कर फाइल आगे भेज दी है। नीरज पाठक, RPS, जांच अधिकारी ये पुराना ऑडियो है। मेरी ही आवाज है। सतबीर मेरे पास ऑफिस में रोजाना शिकायत लेकर आता था। जांच सही नहीं होने का आरोप लगाता रहता था। जो पहले अधिकारी थे। उनका ट्रांसफर जयपुर हो गया था। बाद में उसकी फाइल जयपुर ट्रांसफर हो गई थी। थानों की बंधी का कोई मैटर नहीं था। उसने ब्लैकमेल के हिसाब से मेरी रिकॉर्डिंग कर ली है। श्याम, रीडर, एएसपी मैंने ही रीडर श्याम की लेनदेन के मामले की रिकॉर्डिंग की थी। नेक्सा कंपनी में बहुत दिनों से पीड़ितों को न्याय नहीं मिल रहा था। आरोपी खुलेआम घूम रहे थे। एक फरार आरोपी को मैंने पुलिस को पकड़ कर दिया था, लेकिन उसे छोड़ दिया। तब परेशान होकर मैंने पूरी बातचीत का ऑडियो रिकॉर्ड किया है। मैंने पुलिस मुख्यालय में भी रिकॉडिंग भेजी है। सतबीर, पीड़ित ———— नेक्सा एवर ग्रीन के नाम पर फर्जीवाड़े की ये खबरें भी पढ़िए…
