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बूंदी जिले के डाबी इलाके के डसालिया वन क्षेत्र के अंदर एक न भालू का रेस्क्यू किया गया। भालू का पेड़ क्लच वायर में फंसा हुआ था। शिकारी ने क्लच वायर से फंदा बनाया हुआ था और उसको पेड़ से बंधा हुआ था। डाबी वन क्षेत्र की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। क्षेत्रीय वन अधिकारी ने कोटा में वेटरनरी डॉक्टर की टीम को सूचना दी। कोटा से डसालीय गांव टीम पहुंची और भालू का रेस्क्यू कर कोटा लेकर आई। डॉक्टर की टीम ने भालू का इलाज भी किया इसी दौरान भालू की मौत हो गई। वन विभाग की टीम ने भालू का पोस्टमार्टम भी किया। ट्रेंकुलाइज कर बेहोश किया डाबी क्षेत्रीय वन अधिकारी रतन लाल बेरवा ने बताया कि कल ग्रामीणों से सूचना मिली एक भालू किसी फंदे में फंसा हुआ है। वहां पहुंचकर देखा तो क्लच वायर में उसका पर फंसा हुआ था। कोटा वेटरनरी डॉक्टर की टीम को सूचित कर मौके पर बुलाया जिन्होंने भालू को ट्रेंकुलाइज कर रेस्क्यू कर कोटा इलाज के लिए ले गए। यहां जब हम पहुंचे तब भालू ठीक स्थिति में था। कोटा से आई टीम ने ट्रेंकुलाइज कर उसे बेहोश कर साथ में ले गई थी। 20 से 30 घंटे से क्लच वायर में फंसा हुआ वेटरनरी डॉक्टर विलास राव ने बताया कि बूंदी की टीम ने कोटा में सूचित किया मौके पर पहुंचे। भालू लगभग 20 से 30 घंटे से क्लच वायर में फंसा हुआ था और उसने निकलने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। भालू की उम्र लगभग 25 साल है। कोटा लाने के बाद भालू का ट्रीटमेंट भी किया जीवन रक्षक दवाइयां भी दी लेकिन भालू की इलाज के दौरान मौत हो गई। भालू के शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई जख्म के निशान नहीं थे। भालू का पोस्टमार्टम किया गया है। उसके सैंपल लिए गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद में क्लियर हो पाएगा। रेस्क्यू कर के लाए तब मरणासन्न स्थिति में लग रहा था डॉक्टर ने बताया कि हम जब भालू का रेस्क्यू कर के लाए तब वो हिल डुल नहीं रहा था। मरणासन्न स्थिति में लग रहा था। उसे बचाने के काफी प्रयास किया लेकिन इलाज के दौरान मौत हो गई पोस्टमार्टम कर सैंपल लिए जिसे लेब में भेजा है। वन विभाग के परिसर में अधिकारियों की मौजूदगी में भालू का दाह संस्कार भी किया। भालू 24 से 48 घंटे तक बिना खाए बिना पिए भी रह सकता पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह ने बताया कि भालू की मौत की सूचना लगी काफी दुख हुआ लेकिन वाइल्डलाइफ एनिमल जंगल में जब भी कहीं पर फस जाता है तो 24 से 48 घंटे तक बिना खाए बिना पिए भी रह सकता है। एनिमल के शरीर पर अगर चोट लगी है तो जल्दी मर सकता है या फिर वह स्ट्रेस में भी आ सकता है यह कारण भी हो सकते हैं मौत के। रेस्क्यू किए मगरमच्छ की भी हुई थी मौत अप्रैल के माह में सीबी गार्डन के अंदर तालाब के अंदर से एक मगरमच्छ का रेस्क्यू किया था। उस मगरमच्छ को ऑस्ट्रेलियाई तकनीक से बने पिंजरे के जरिए रेस्क्यू किया गया। नदी में रिलीज ना करते हुए। तालाब से ले जाकर मगरमच्छ को नयापुरा वन विभाग चिड़ियाघर में रखा जहां उसकी कुछ दिनों बाद मौत हो गई थी।

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