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खाटूश्यामजी में जंजीरों में बंधा भक्त दर्शन करने आया:बोला, माता-पिता ने अलग-अलग शादी कर बेसहारा छोड़ा, तब बाबा ने सहारा दिया

सीकर जिले में खाटूश्यामजी मंदिर में देश-दुनिया से भक्त बाबा के दर्शन करने आते है। बाबा के प्रति आस्था इतनी है कि पैदल यात्रा और सड़क पर लेटकर भी कई भक्त बाबा के दर तक पहुंचते हैं। अब 21 साल का युवक खुद को बेड़ियों से बांधकर पैदल श्याम बाबा के दर्शन करने पहुंचा। भक्त का कहना है- उसके माता-पिता ने अलग-अलग शादी कर ली थी। उसे बेसहारा छोड़ दिया था। तब बाबा श्याम उसका सहारा बने। 12 साल से लगातार मंदिर आ रहा है। खुद को जंजीरों से बांधकर पदयात्रा की भक्त केशव सक्सेना (21) मूल रूप से रामपुर (उत्तराखंड) का रहने वाला है। अब नैनिताल में काम करता है। भक्त ने बताया- नैनीताल से ट्रेन से आया था। मंगलवार दोपहर एक बजे रींगस के प्राचीन श्याम मंदिर पहुंचा। मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद 10 किलो वजनी 12 जंजीरों से खुद को बांधा। इसके बाद खाटूश्यामजी मंदिर के लिए पदयात्रा शुरू की। बुधवार सुबह करीब 4 बजे बाबा के दर पर पहुंचा। रींगस से खाटूश्याम की 18 किलोमीटर की दूरी तय करने में 27 घंटे लग गए। पूरी पदयात्रा में कुछ खाया-पीया भी नहीं था। 9 साल की उम्र में पहली बार दर्शन करने आया था भक्त ने बताया-पिछले 12 साल से लगातार खाटूश्यामजी के दर्शन के लिए आ रहा है। 9 साल की उम्र में उसके माता-पिता ने अलग-अलग शादी कर उसे बेसहारा छोड़ दिया। तब पहली बार बाबा के दर्शन करने आया था। बाबा श्याम का इस कदर दीवाना हुआ कि बार-बार आने लगा। एक बार उसके पास पैसे नहीं थे। तब साइकिल से ही खाटूश्यामजी आया था। बाबा श्याम ही सहारा बने। वह कहता है- बाबा की कृपा से मैं आज अच्छा खासा कमा रहा हूं। नैनीताल के पास एक कस्बे में पानी की बोतल बनाने वाली फैक्ट्री में काम करता हूं। बाबा श्याम से अरदास की, मांसाहार बंद हो केशव ने बताया- मैं हल्द्वानी में कन्हैया मित्तल के भजन सुनने गया था। वहां रास्ते में लोग मांस खा रहे थे और लोहे के चाकू से मांस काटा जा रहा था। इसलिए मैं लोहे की जंजीर बांधकर बाबा श्याम के दरबार में आया हूं। प्रार्थना की है कि भारत में जानवरों को काटना बंद हो।

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