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झुंझुनूं जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल, राजकीय भगवानदास खेतान (बीडीके) अस्पताल में बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन में लापरवाही हो रही है। इसके के कारण संक्रमण का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। अस्पताल परिसर में बायो मेडिकल वेस्ट के पीले और लाल प्लास्टिक बैग्स खुले में पड़े नजर , जिससे गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ रहा है। पीएमओ डा राजवीर सिंह का कहना है कि बायो मेडिकल वेस्ट रूम के सामने पानी भरा हुआ है। इसलिए बाहर डाला जा रहा है। जल्द ठीक करवा दिया जाएगा। इस संबंध में हमने सीकर अधिशासी अभियन्ता को अवगत करवा दिया है। अस्पताल के पीछे मोर्चरी के पास बायो मेडिकल वेस्ट के लाल और पीले बैग कचरा पात्र में भरे पड़े है। यहां तक कि कुछ बैग्स फटे हुए थे, जिनमें से कचरा बाहर बिखरा पड़ा था। इन बैग्स को आवारा कुत्ते और अन्य जानवर नोचते दिखे, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ गया। प्रशासन का कहना है कि बायो मेडिकल वेस्ट को तय प्रक्रिया के तहत कलेक्शन रूम में एकत्रित किया जाता है। लेकिन अभी रूम के सामने पानी भर गया है। वहा इंटरलोकिंग होनी है, अभी कलेक्शन करने वाली गाड़ी रूम तक नहीं पहुंच पा रही है। इसलिए बाहर पड़ा है। जयपुर की एक कंपनी के जरिए इसे निस्तारित किया जाता है। संक्रमण फैलने का बढ़ा खतरा बायो मेडिकल वेस्ट में मौजूद खतरनाक जैविक और रासायनिक तत्व कई गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, खुले में पड़े बायो मेडिकल कचरे के संपर्क में आने से टीबी, दमा, खांसी, निमोनिया, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियां फैल सकती हैं। इसके अलावा, यह कचरा यदि जलाया जाता है, तो इससे निकलने वाले जहरीले धुएं से कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। कौन-से बैग में कौन-सा कचरा डाला जाता है बायो मेडिकल वेस्ट के सुरक्षित निस्तारण के लिए अलग-अलग रंगों के प्लास्टिक बैग्स में कचरा डाला जाता है: पीला बैग: ह्यूमन टिशूज, खून से भीगी पट्टियां, रूई, ह्यूमन प्लेसेंटा (बच्चे की नाल), कटी हुई स्किन आदि। लाल बैग: सिरिंज, ग्लब्ज, ब्लड बैग, आईवी सेट, यूरीन बैग्स, ग्लूकोज और दवाओं की प्लास्टिक की बोतलें। नीला बैग: कांच के आइटम्स, सुइयां, ब्लेड, दवाओं का कचरा, कांच की टूटी बोतलें। हरा बैग: कागज, धातु के टुकड़े और अन्य साधारण कचरा। इसमें से पीले, लाल और नीले बैग्स में रखे कचरे का सही निस्तारण जरूरी होता है, क्योंकि इसमें संक्रमण फैलाने वाले तत्व होते हैं। बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण की प्रक्रिया नियमों के मुताबिक, अस्पताल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट को तय समय पर इकट्ठा कर उसे प्रमाणित प्लांट में निस्तारित करना आवश्यक होता है। बीडीके अस्पताल ने जयपुर की एक कंपनी से अनुबंध किया हुआ है, जिसके तहत हर दूसरे दिन (अल्टरनेट डे) कचरा उठाया जाता है। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि कंपनी की गाड़ी रोजाना आती है और वेस्ट को लेकर जाती है।

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