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उत्तर भारत का सबसे विशाल गंगा मंदिर भरतपुर में स्थित है। यहां के महाराजा बलवंत सिंह ने वर्ष 1845 में मंदिर निर्माण की नींव रखी थी। बयाना के बंसी पहाड़पुर के प्रसिद्ध लाल एवं गुलाबी पत्थरों से मंदिर का निर्माण कराया गया। सवाई बृजेंद्र सिंह ने 22 फरवरी 1937 1 को मंदिर में गंगा मां की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। यह मंदिर दुनिया में विशाल और भव्य गंगा मैया के मंदिरों में से एक है। यहां हर दिन गंगा मैया का गंगाजल से अभिषेक किया जाता है और श्रद्धालुओं को भी प्रसादी के रूप में गंगाजल ही वितरित किया जाता है। मंदिर में पूरे सालभर में 15 हजार लीटर गंगाजल से अभिषेक और प्रसाद वितरित किया जाता है। गंगा गां की मूर्ति का जब श्रृंगार किया जाता है, तो उनके कान में कुंडल और नाक में नथनी मोम के माध्यम से पहनाई जाती है। गंगा मैया के आशीर्वाद से हुई थी पुत्र प्राप्ति भरतपुर के महाराजा बलवंत सिंह को कोई संतान नहीं थी। राजपुरोहित की सलाह पर उन्होंने हरिद्वार के हर की पौड़ी पर गंगा मैया से प्रार्थना की। कुछ समय पश्चात उनको महाराजा जसवंत सिंह के रूप में पुत्र प्राप्ति हुई। तब महाराजा बलवंत सिंह ने वर्ष 1845 में गंगा मां के मंदिर के निर्माण की नींव रखी। महाराजा बलवंत सिंह के बाद भी 4 पीढ़ियों तक मंदिर का निर्माण कार्य चलता रहा और 5 पीहियों ने 90 वर्ष में मंदिर का निर्माण पूर्ण कराया। सवाई बृजेंद्र सिंह ने 22 फरवरी 1937 को मंदिर में गंगा मां की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई। आज सीएम करेंगे महाआरती… सीएम भजनलाल शर्मा आज शाम को गंगा मंदिर में महाआरती करेंगे। गंगा दशहरा के लिए 4000 लीटर गंगा जल सोरों से मंगवा लिया है। महाआरती के लिए जयपुर व वृंदावन से 11 पुजारियों को बुलवाया है। शाम को सीएम का ऐतिहासिक सुजानगंगा नहर के घाट पर दीपदान का भी कार्यक्रम है।

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