Site icon Raj Daily News

गणगौर मेले पर विशाल कुश्ती दंगल का होता है आयोजन:आजादी से पहले अखैगढ़ तहसील मुख्यालय, रेलवे लाइन को जगह नहीं दी तो अंग्रेजों ने नदबई में बनाया तहसील कार्यालय

orig 2 1 1 1 1 1 1 1 1 1 1752798227

नदबई क्षेत्र की ग्राम पंचायत अखैगढ आजादी से पहले ग्राम पंचायत अखैगढ़ में तहसील मुख्यालय, पुलिस थाना व भरतपुर-अलवर का बॉर्डर गांव होने के चलते बंटबार घर (पुलिस लाइन) भी था। इतना ही नहीं क्षेत्र में राजस्व वसूली को लेकर जागीरदार की नियुक्ति। लेकिन, करीब 1928 में आगरा-बांदीकुई रेलमार्ग के निर्माण दौरान ग्रामीणों ने रेलवे लाइन का विरोध किया। बाद में नदबई से खेडली होकर रेलवे लाइन का निर्माण हुआ। लेकिन, अखैगढ़ को आवागमन की सुविधा नही होना बताते हुए अंग्रेजी हुकूमत ने 1928 में ही नदबई मुख्यालय पर तहसील कार्यालय खोल दिया। नदबई में पंचायत समिति कार्यालय खुलने पर अखैगढ़ को ग्राम पंचायत का दर्जा दिया गया।
ग्राम पंचायत अखैगढ़ आज भी नदबई ही नही बल्कि, समीपवर्ती क्षेत्र में ऐतिहासिक धरोहर, वृंदावन धाम की तरह सैकड़ों धार्मिक मन्दिर व करीब सौ साल से आयोजित गणगौर मेले के नाम से प्रसिद्ध है। गणगौर मेले के दौरान विशाल कुश्ती दंगल का आयोजन भी किया जाता। जिसमें प्रदेश ही नही दिल्ली, हरियाणा व यूपी के नामी पहलवान हिस्सा लेते। भरतपुर राजवंश से ताल्लुक अखैगढ़ का अखैगढ़ निवासी सत्यदेव शर्मा ने ग्राम पंचायत अखैगढ़ का संबंध भरतपुर राजघराने से बताया। उन्होंने बताया कि, सम्राट फर्रुशियर की ओर से ठाकुर चूरामन सिंह को अखैगढ़, अऊ, हेलक, कठूमर व डीग परगने मिले हुए थे। ठाकुर चूरामन सिंह के समय में अखैगढ़ का नाम पहले कुछ और हुआ करता। बाद में ठाकुर चूरामन के वंशज व अंतिम जमींदार अखैसिंह के नाम पर अखैगढ़ किया गया। जमींदार अखैसिंह के वंशज आज भी नदबई क्षेत्र के गांव खेड़ा व नगला कासगंज में मौजूद है। सत्यदेव शर्मा ने पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष यदुनाथ सिंह व पूर्व नदबई विधायक यशवंत सिंह रामू को जमींदार अखैसिंह के वंशज बताया।

Exit mobile version