प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार किया। जोगाराम पटेल ने कहा कि गहलोत सरकार के दौरान फोन टैपिंग के आरोपों को खुद उनके OSD (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) ने सही ठहराया है। मंत्री ने दावा किया कि गहलोत के पांच साल तक OSD रहे अधिकारी ने दिल्ली में विचाराधीन मामले में सरकारी गवाह बनकर स्वीकार किया है कि उन्होंने अशोक गहलोत के कहने पर फोन टैपिंग की थी। पटेल ने कहा कि गहलोत ने हमेशा फोन टैपिंग के आरोपों को नकारा, लेकिन अब उनके OSD ने ही सच सामने रख दिया है। उन्होंने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार पर लगाए गए आरोप राजनीतिक द्वेष से प्रेरित थे। अब जब सच्चाई सामने आ गई है, तो गहलोत बचने के रास्ते ढूंढ रहे हैं। जोधपुर दौरे पर मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संजीवनी घोटाले को लेकर कहा था कि गजेंद्र सिंह शेखावत इस मुद्दे पर बैठकर चर्चा करें और मानहानि केस विड्रॉ करें। समझौता दोनों पक्षों का विषय, बिना सबूत आरोप लगाना गलत
प्रदेश के कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि समझौता करना या न करना दोनों पक्षों का विषय है, लेकिन बिना ठोस सबूत के किसी सम्मानजनक जनप्रतिनिधि पर आरोप लगाना निंदनीय है। उन्होंने कहा कि गजेंद्र सिंह शेखावत और उनके परिवार पर लगाए गए सभी आरोप राजनीतिक द्वेष से प्रेरित थे। कागजों में कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ, फिर भी केवल छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया। राज्यपाल के पास है सजा माफी का अधिकार
कंवरलाल मीणा की मर्सी पिटीशन पर बोलते हुए पटेल ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल को राज्य सूची से संबंधित अपराधों में दंड को कम करने, माफ करने या बदलने का अधिकार है। यदि राज्यपाल को लगता है कि सजा माफ करना न्यायसंगत है, तो वे ऐसा कर सकते हैं। गौरतलब है कि 20 साल पुराने एसडीएम पर पिस्टल तानने के मामले में तीन साल की सजा पाए कंवरलाल मीणा ने सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद राज्यपाल के समक्ष सजा माफी की अर्जी लगाई है। अगर राज्यपाल सजा माफ करें या दो साल से कम करें, तो उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल हो सकती है।