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पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संजीवनी घोटाले को लेकर कहा- गजेंद्र सिंह शेखावत को चाहिए कि वे पीड़ितों की संघर्ष समिति के साथ बैठकर बात करने के लिए आगे आएं। हम बैठकर चर्चा करें। जैसा वे दावा करते हैं कि वे निर्दोष हैं तो हमें खुशी होगी कि वे निर्दोष साबित हो। गहलोत ने कहा- गजेंद्र सिंह शेखावत कैबिनेट मंत्री हैं, जो बड़ी बात है। वे सरकार का हिस्सा हैं। उन्हें चाहिए कि वे आगे आएं। हम लोग आपस में बात करें। मानहानि केस पर उन्होंने कहा- अब तक इस केस में तकरीबन 15 पेशी तो हो चुकी है। अब वे केस विड्रॉ करें दरअसल, पूर्व सीएम अशोक गहलोत पिछले तीन दिनों से जोधपुर दौरे पर है। उन्होंने शुक्रवार को संजीवनी घोटाले को लेकर मीडिया के सवालों पर विस्तार से बात की। बता दें कि हाईकोर्ट से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को इस मामले में क्लीन चिट मिल चुकी है। गहलोत बोले- हमारा किसी को टारगेट करने का उद्देश्य नहीं
गहलोत बोले- संजीवनी घोटाला मामले में जो पीड़ित है उन्होंने अपनी पूरी कमाई और पेंशन लगा दी। वे तकलीफ में है और हम उनकी तकलीफ को हटाएं। हमारा किसी को टारगेट करने का उद्देश्य नहीं है। हम चाहते हैं कि जो समस्याएं हैं वे कैसे हल हो। इसलिए हम चाहते हैं कि गजेंद्र सिंह शेखावत खुद बात करें और हम आपस में चर्चा करें। इसमें संघर्ष समिति और पीड़ित पक्ष के प्रतिनिधियों के साथ बैठकर बातचीत करें कि इनकी समस्या कैसे हल हो। वे सौभाग्य से केंद्रीय मंत्री बने हैं, जो बड़ी बात है। हम यही कहना चाहते हैं कि हम बैठकर बात करें और उनकी समस्या हल करें। मानहानि केस पर गहलोत ने कहा- बार-बार वो इशू बना देते हैं। कोई ​कैसे किसी के पिता का नाम ले सकता है। मैंने तो यही कहा था- उनके माताजी-पिताजी और परिवार का नाम डॉक्यूमेंट में है। इसी का बहाना बनाकर उन्होंने केस कर दिया। वे भी पेशी पर आते ​हैं है और मैं भी जाता हूं। अब तक 15 पेशी हो चुकी है। अब वे केस विड्रॉ करें और संजीवनी मामले के लिए आगे आएं। तब मैं मानूंगा कि वे निर्दोष हैं। क्या है संजीवनी घोटाला?
2008 में बाड़मेर से शुरू हुई संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी ने हाई रिटर्न, विदेश यात्रा और एजेंट कमीशन जैसे लालच देकर करीब डेढ़ लाख निवेशकों से 950 करोड़ से ज्यादा की ठगी की। निवेशकों के पैसे को फर्जी लोन और बोगस खातों में घुमाया गया। सोसायटी की बही में 1100 करोड़ के ऋण दिखाए गए, जिनमें ज्यादातर ग्राहक फर्जी थे। मास्टरमाइंड विक्रम सिंह समेत कई गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन हजारों निवेशक अब भी अपनी रकम की वापसी का इंतजार कर रहे हैं। शेखावत पर क्यों उठी उंगलियां?
घोटाले के मास्टरमाइंड विक्रम सिंह से शेखावत की नजदीकियों और कुछ कंपनियों में शेयर होल्डिंग को लेकर सवाल उठे। SOG की शुरुआती जांच रिपोर्ट में शेखावत और उनके परिवार के नाम का उल्लेख था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद SOG ने हाईकोर्ट में यू-टर्न लेते हुए शेखावत को आरोपी नहीं माना। हाईकोर्ट ने SOG की रिपोर्ट के आधार पर शेखावत को क्लीन चिट दे दी, लेकिन FIR रद्द नहीं की। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की इजाजत से आगे कार्रवाई की छूट दी है। सियासी बयानबाजी और कानूनी लड़ाई
गहलोत ने बार-बार शेखावत को घोटाले से जोड़ते हुए कहा कि उनके पास बतौर सीएम जो दस्तावेज आए, उनमें शेखावत के परिवार का नाम था। शेखावत ने इसे साजिश बताते हुए दिल्ली की अदालत में गहलोत पर मानहानि का केस दर्ज कराया। अब तक 15 बार दोनों पक्ष कोर्ट में पेश हो चुके हैं। गहलोत का कहना है कि SOG की रिपोर्ट के आधार पर ही उन्होंने बयान दिए, जबकि शेखावत का दावा है कि उनकी तीन पीढ़ियों का इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। गहलोत की मांग- रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बने एसआईटी
गहलोत ने मांग की है कि निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में SIT बने, ताकि SOG की जांच पर लगे आरोपों की सच्चाई सामने आ सके। हाईकोर्ट ने भी सरकार से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी है कि कितने मामलों में कौन-कौन सी धाराएं लागू होंगी। गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहलोत पर किया पलटवार
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहलोत पर पलटवार किया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा- मैं अशोक गहलोत जी से आग्रह करता हूं कि वे संजीवनी प्रकरण के पीड़ितों की वेदना का उपयोग अपने राजनीतिक स्वार्थ और पुत्र की देवतुल्य जनता द्वारा रचित पराजय की खीझ निकालने के लिए न करें। इसके बजाय यदि वे सरकार का मुखिया रहते हुए मुझे फंसाने के बजाय ईमानदारी से पीड़ितों को राहत पहुंचाने का प्रयास करते, तो पीड़ितों का कुछ भला अवश्य हो सकता था।

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