भांडवपुर जैन तीर्थ में पंचान्हिका महोत्सव के चौथे दिन धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही। जैनाचार्य जयरत्नसूरीश्वर महाराज, साध्वी अरुणाप्रभाश्रीजी, साध्वी अध्यात्मकलाश्रीजी आदि ठाणा की निश्रा में दीक्षार्थी मुमुक्षु आदित्य कुमार का वर्षीदान वरघोड़ा निकाला गया। हाथी पर सवार होकर आदित्य कुमार माता-पिता और भाई-बहनों के साथ सजे-धजे रूप में आगे चल रहे थे। दोनों हाथों से वस्त्र, अन्न और सामग्री का दान कर रहे थे। वरघोड़ा मंदिर तीर्थ परिसर से रवाना हुआ। मुख्य मार्गों से होते हुए गांव के श्री वर्धमान राजेन्द्र राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंचा। महिलाएं मंगलगीत गा रही थीं। युवा बैंड की धुन पर थिरकते नजर आए। दीक्षार्थी अमर रहे के जयकारों से गांव गूंज उठा। वातावरण में अध्यात्म की छटा बिखर गई। विद्यालय में दानशाला का आयोजन हुआ। मधुकर संस्कार ज्ञानयतन और समर्पण परिवार के कार्यकर्ताओं ने व्यवस्था संभाली। कतार में रखकर सभी को वस्त्र आदि वितरित किए गए। इसके बाद सभा का आयोजन मंदिर परिसर में हुआ। जैनाचार्य जयरत्नसूरीश्वर महाराज ने नए ट्रस्ट मंडल और पदाधिकारियों की घोषणा की। नवनिर्मित तप मंदिरों के शिला पूजन के चढ़ावे बोले गए। श्री सिद्धचक्र मंदिर की शिला स्थापना का लाभ सूरजमल मनोहरमल अंदानी सुराणा ने लिया। श्री विशस्थानक तप मंदिर की स्थापना संघवी मोहनदेवी सांवलचंद बालगोता ने करवाई। श्री वर्धमान तप मंदिर की स्थापना गुणीदेवी सुमेरमल बालगोता मेंगलवा ने करवाई। मुमुक्षु आदित्य कुमार को विजय तिलक करने का लाभ पवनीदेवी मांगीलाल फोला मुथा सायला ने लिया। बुधवार को दीक्षा महोत्सव के रत्न स्तंभ लाभार्थी परिवारों का पेढ़ी ट्रस्ट की ओर से बहुमान किया गया। दोपहर में राज चन्दन मंजू वाटिका में हल्दी-मेहंदी की रस्म हुई। श्रावक-श्राविकाओं ने नृत्य किया। आदित्य कुमार के माता-पिता और परिवारजनों ने हल्दी लगाकर रस्म निभाई। इसके बाद गांव सांझी का विशेष कार्यक्रम हुआ। जैन समाज के लोगों ने उत्साह से भाग लिया। बुधवार शाम को मुमुक्षु आदित्य कुमार की बन्दोली निकाली गई। घोड़े पर सवार होकर वे दूल्हे की तरह सजे नजर आए। ढोल की थाप पर श्रावक-श्राविकाएं नाचते-गाते चल रहे थे। बन्दोली राज चन्दन मंजू वाटिका पहुंची। यहां ‘वैराग्य पंथ विदाई भक्ति संध्या’ का आयोजन हुआ। बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग शामिल हुए। आज गुरुवार को मुमुक्षु आदित्य कुमार दीक्षा लेंगे। जैनाचार्य जयरत्नसूरीश्वर महाराज और साधु-साध्वियों की निश्रा में वे संसारिक सुखों का त्याग कर वैराग्य का मार्ग अपनाएंगे। तप मंदिर की शिलान्यास विधि, योगिराज शांतिविजय महाराज का 29वां पुण्योत्सव और पंचान्हिका महोत्सव के सम्पूर्ण लाभार्थी परिवारों का अभिनंदन भी होगा। दोपहर में श्री शांतिविजयजी की अष्टप्रकारी पूजा होगी।

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