जयपुर के चेम्बर भवन में पद्मश्री पंडित लक्ष्मण भट्ट तैलंग की स्मृति में विशिष्ट सांगीतिक संध्या ‘महकती बंदिशों का गुलदस्ता’ का आयोजन किया गया। इसमें शास्त्रीय संगीत प्रेमियों को एक भावपूर्ण और अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया। यह आयोजन राजस्थान सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग एवं राजस्थान चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सहयोग से पं. तैलंग के शिष्य व ध्रुवपद गायक डॉ. श्याम सुन्दर शर्मा के संयोजन में संपन्न हुआ। गुरु को समर्पित स्वरांजलि कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. डॉ. मधु भट्ट तैलंग के गहन वक्तव्य से हुई, जिसमें उन्होंने पं. तैलंग की बंदिशों की रचनात्मक विशिष्टताओं, लिपिबद्ध शैली और रागदर्शन में उनकी भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि पं. तैलंग की लगभग 500 बंदिशें तीन प्रमुख ग्रंथों के माध्यम से प्रकाशित हैं, जो आज देश-विदेश के शास्त्रीय संगीत शिक्षण संस्थानों में आदर्श मानी जाती हैं। बंदिशों से भाव-विभोर हुए श्रोता जयपुर के प्रो. (डॉ.) विजयेंद्र गौतम ने गुरु द्वारा रचित रचनाओं की प्रभावशाली प्रस्तुति दी। राग मधुवंती, भीमपलासी, मेघ और देश में बंदिशों के माध्यम से उन्होंने मंच पर संगीत के विविध रंग बिखेरे। हारमोनियम पर गिरिराज बालोदिया और तबले पर दशरथ राव ने संगत की। ग्वालियर से आए पं. अनूप मोघे और वैशाली मोघे ने राग भूपाली, काफी, केदार, दुर्गा, अडाना, चंद्रकौंस और बसंत में बंधी ख्याल गायकी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। उनके साथ हारमोनियम पर गिरिराज बालोदिया और तबले पर प्रणव मोघे की संगत रही। अनूप मोघे को मिला ‘वाग्गेयकार-रत्न’ सम्मान इस आयोजन में पं. अनूप मोघे को ‘वाग्गेयकार-रत्न’ सम्मान से अलंकृत किया गया। यह सम्मान उनके गुरु-परंपरा के प्रति समर्पण और पं. तैलंग की रचनाओं के संवाहक के रूप में दिए गए योगदान का प्रतीक रहा। इस अवसर पर डॉ. के एल जैन, डॉ. अखिल शुक्ला, मनीष पारीक, वैदिक चित्रकार रामू रामदेव, शास्त्रीय गायिका डॉ. निशा भट्ट तैलंग, ध्रुवपद गायिका डॉ. मधु भट्ट तैलंग, और बेला वादक पं. रविशंकर भट्ट तैलंग मंचासीन रहे। स्वागत भाषण डॉ. श्याम सुन्दर शर्मा ने दिया और मंच संचालन राजेश आचार्य ने किया।