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_photocaption_बीकानेर | नाल रोड पर 27 हजार बीघा में गोचर भूमि फैली हुई है। ऊंचाई से देखने पर इसके चारों तरफ हरियाली नजर आती है। घने पेड़ हैं, जहां पूरे दिन पशु छाया में बैठे रहते हैं, जबकि बीच में मैदान नजर आता है। पेड़ वहां भी हैं, लेकिन पानी नहीं मिलने से हरियाली कम है। मानूसन में यह पूरा क्षेत्र हराभरा हो जाएगा। करीब पांच साल पहले गोचर संरक्षण को लेकर शहर के जागरूक लोगों ने अभियान चलाते हुए गोचर भूमि के चारों तरफ 20 किलोमीटर लंबी दीवार खड़ी की थी। भूमि पर खेजड़ी, नीम, पीपल आदि के हजारों पौधे भी लगाए, जो आज पेड़ बन गए हैं। सात हजार बीघा में सात बड़े-बड़े बाड़े हैं, जहां सेवण घास लगाई जा रही है। इन बाड़ों में दस हजार से अधिक गोवंश विचरण करते हैं। यह सेवण घास पूरी तरह बारिश के पानी पर निर्भर है। इसकी देख रेख करने वाले बताते हैं कि एक बाड़े में पशुओं के लिए इतना चारा हो जाता है, जिससे चार महीने तक उनका पेट भरा जा सका। उसके बाद दूसरा बाड़ा खोला जाता है। यह कार्यक्रम चरणबद्ध चलता है। खाली हुए बाड़े बारिश आने पर फिर से हरे हो जाते हैं।

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