पर्यावरण की रक्षा हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। सरकारों पर निर्भर रहने से पहले हमें व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। चाहे कारण कोई भी हो, पर्यावरण संबंधी समस्याएं सभी को समान रूप से प्रभावित कर रही हैं, इसलिए हम सभी को अपने-अपने स्तर पर जिम्मेदारी निभानी होगी। ‘ग्रीन प्रैक्टिसेस’ को अपने जीवन का हिस्सा बनाना समय की आवश्यकता है, जिससे पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सके। इस दिशा में ‘ग्रीन बिल्डिंग’ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि इसके माध्यम से CO₂ उत्सर्जन को काफी कम किया जा सकता है। यह बात राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सदस्य सचिव, शारदा प्रताप सिंह ने कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) राजस्थान द्वारा आयोजित 7आर कॉन्क्लेव (रीथिंक, रिफ्यूज, रिड्यूस, रीयूज, रिफर्बिश, रिकवर, रीसाइकिल) के 8वें संस्करण में संबोधन के दौरान कही। यह कॉन्क्लेव ‘फ्यूचर सिटीज – सस्टेनेबल, रेजिलिएंट एंड थ्राइविंग’ थीम पर केंद्रित रहा। सिंह ने आगे कहा कि यह कॉन्क्लेव के माध्यम से दो महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति हुई, एक तो सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वालों को मान्यता प्रदान करना, और वहीं, अन्य लोगों को ऊर्जा दक्षता, ग्रीन बिल्डिंग डिजाइन, और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार विकास जैसी प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रेरित करना। सीआईआई राजस्थान के चेयरमैन और संस्थापक एमडी और सीईओ, एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, संजय अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया कि हर संगठन को सस्टेनेबिलिटी और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सार्थक योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत स्तर पर भी, व्यक्ति अपने घरों के आसपास अधिक पेड़ लगाकर, सौर ऊर्जा अपनाकर और अपने घरों को कार्बन उत्सर्जन में शून्य बनाने का प्रयास करके बदलाव ला सकते हैं। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सीईओ और वेदांता लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक, अरुण मिश्रा ने यह कहा कि आज जिन चुनौतियों का हम सामना कर रहे हैं, उनका स्वरूप पहले से बिल्कुल अलग है। पहले सस्टेनेबिलिटी इतनी बड़ी चिंता नहीं थी, लेकिन आज यह एक महत्वपूर्ण अनिवार्यता बन चुकी है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जैसे-जैसे हमारी जीवनशैली बदली है, पारंपरिक समाधान अब पर्याप्त नहीं रह गए हैं। आज के दौर में यह आवश्यक हो गया है कि हम आधुनिक और सस्टेनेबल गांवों की नई कल्पना करें और उन्हें इस तरह विकसित करें कि वे भविष्य के विकास के लिए आदर्श मॉडल बन सकें। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि नियामक संस्थाओं (रेगुलेटर्स) को केवल नियम लागू करने वाली इकाइयों की भूमिका से आगे बढ़कर, उद्योगों के साथ सहयोगी की भूमिका निभानी चाहिए। ऐसे साझा प्रयासों से विभिन्न क्षेत्रों में स्थिरता से जुड़ी पहलों को अधिक प्रभावी ढंग से अपनाया जा सकेगा। श्री सीमेंट लिमिटेड, संयुक्त अध्यक्ष (स्ट्रैटेजिक सोर्सिंग), सौरभ पलसानिया ने प्रकाश डाला कि शहरों की प्राकृतिक संसाधनों की खपत में हिस्सेदारी 75%, CO2 उत्सर्जन में 70%, तथा कुल अपशिष्ट उत्पादन में 50% है। कोपेनहेगन और सिंगापुर जैसे वैश्विक उदाहरणों और इंदौर जैसी भारतीय सफलताओं का उल्लेख करते हुए जोर दिया कि भविष्य के शहरों को ‘सर्कुलर’, ‘सस्टेनेबल’, ‘रिज़ीलिएंट’ और ‘थ्राइविंग’ होना चाहिए, ताकि वे बढ़ती पर्यावरणीय और शहरी चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें। सीआईआई सोहराबजी ग्रीन बिजनेस सेंटर, उप कार्यकारी निदेशक, आनंद एम ने इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए सीआईआई द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि अब आईजीबीसी चैप्टर्स देश के 30 शहरों में सक्रिय हैं। राजस्थान उन टॉप पांच राज्यों में शामिल है, जो ग्रीन बिल्डिंग की दिशा में सबसे आगे हैं। वर्तमान में, 13 राज्य सरकारें आईजीबीसी-सर्टिफाइड प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए इंसेंटिव दे रही हैं। खास बात यह है कि आईजीबीसी देश की एकमात्र ग्रीन काउंसिल है, जो 32 अलग-अलग बिल्डिंग टाइपोलॉजी और कैटेगरी के लिए विशेष रेटिंग प्रोग्राम्स देती है। सीआईआई राजस्थान, वरिष्ठ निदेशक एवं प्रमुख, नितिन गुप्ता ने कहा कि कॉन्फ्रेंस का फोकस ऐसे नवाचारी समाधानों, तकनीकों और रणनीतियों पर रहा, जो शहरों के विकास के साथ-साथ उनके पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने में मदद करें। गौरतलब है कि सीआईआई इस कॉन्क्लेव का आयोजन राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (आरएसपीसीबी) और राज्य सरकार के सहयोग से पिछले कई वर्षों से करता आ रहा है। शारदा प्रताप सिंह ने हरित अनुकूल प्रक्रियाएं अपनाने वाली राजस्थान की ग्रीन रेटिंग प्राप्त कंपनियों को पुरस्कार भी प्रदान किए। (कृपया बॉक्स देखें)। गौरतलब है कि राजस्थान में उद्योगों के लिए संयुक्त आरएसपीसीबी-सीआईआई (RSPCB-CII ) ग्रीन रेटिंग पहल के तहत जुलाई 2021 से मई 2025 के बीच कुल 44 इकाइयों की रेटिंग की गई है। इससे पूर्व अपने स्वागत संबोधन में, मनु यंत्रालय प्राइवेट लिमिटेड, प्रबंध निदेशक, अभिनव बांठिया ने जोर दिया कि असली सस्टेनेबिलिटी केवल नीतियों से नहीं आती, बल्कि इसके लिए सोच और नजरिए में मूलभूत बदलाव जरूरी है। उन्होंने इस दिशा में सीआईआई के निरंतर प्रयासों पर प्रकाश डाला, जिसमें सीआईआई ग्रीनको रेटिंग अवॉर्ड्स और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट जैसी पहल शामिल हैं, जो जिम्मेदार व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देने और उद्योगों में स्थिरता की संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस अवसर पर संयोजक – सीआईआई पैनल ऑन सस्टेनेबिलिटी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर और एमडी, राजेश मोटर्स ऑटो प्राइवेट लिमिटेड, शार्विक शाह द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। उन्होंने पर्यावरणीय स्थिरता प्राप्त करने के लिए सर्कुलरिटी को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने भूजल उपयोग को कम करने, अपशिष्ट से अधिकतम मूल्य प्राप्त करने और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता पर जोर दिया। कॉन्क्लेव के दौरान दो तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गए। इसमें पहला तकनीकी सत्र – जल उपयोग और कचरा प्रबंधन के माध्यम से ग्रीन एजेंडा प्राप्त करने पर केंद्रित था, जिसमें जल प्रबंधन और विनियमन; ठोस अपशिष्ट प्रबंधन; सीईटीपी और एसटीपी; प्लास्टिक कचरा प्रबंधन; ग्रीन फाइनेंसिंग, बेस्ट प्रैक्टिस / केस स्टडी जैसे विषय शामिल थे। वहीं, दूसरा तकनीकी सत्र, आज की दुनिया में सर्कुलरिटी विषय पर केंद्रित था, इसमें सर्कुलर इकोनॉमी; ग्रीनको / ग्रीन बिल्डिंग्स; सीबीएएम और कार्बन ट्रेडिंग (न्यूट्रलिटी); ईएसजी (ESG); ग्रीन मोबिलिटी और नेट ज़ीरो आदि पर चर्चा की गई।