प्रवर्तन निदेशालय(ED) ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) में 980 करोड़ के घोटाले को लेकर सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की है। ईडी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामलों में शुक्रवार को चार्जशीट दायर की गई थी। इसमें पूर्व पीएचईडी मंत्री और अन्य पर आरोप लगाए गए। सूत्रों के अनुसार, चार्जशीट में ईडी ने कहा है कि पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी के सहयोगी संजय बड़ाया के जरिए पैसे ट्रांसफर किए गए। साथ ही ऐसे सबूत भी मिले हैं कि संजय बड़ाया कमीशन का पैसा महेश जोशी के बेटे रोहित की फर्म में लगाता था। रोहित जोशी की कंपनी मेसर्स सुमंगलम लैंडमार्क को भी करोड़ों रुपए की फंडिंग की गई। ईडी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहना है कि पूर्व पीएचईडी मंत्री जोशी, उनके बेटे रोहित जोशी, मेसर्स श्याम ट्यूबवेल, मेसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल, कारोबारी संजय बड़ाया, मुकेश पाठक, माया लाल सैनी, राकेश सिंह, प्रदीप कुमार, प्रवीण कुमार, मलकीत सिंह, महेंद्र प्रकाश सोनी, विशाल सक्सेना, मेसर्स सुमंगलमन लैंडमार्क, हिमांशु रावत, नमन खंडेलवाल, तन्मय गोयल और हेमराज गुप्ता के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए
ईडी के अधिकारियों ने बताया कि यह दूसरी चार्जशीट है, जिसमें पाइपलाइन बिछाने से जुड़ी निजी कंपनियों, पीएचईडी इंजीनियरों, मंत्री और उनके बेटे के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। इस चार्जशीट में मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल मंत्री, उनके बेटे, निजी कंपनियों और पीएचईडी के इंजीनियरों समेत सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। उन सभी पर पीएमएलए एक्ट की धारा 3 और धारा 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित हैं। 47.80 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति भी जब्त की
ईडी ने 24 अप्रैल को जल जीवन मिशन मामले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी को गिरफ्तार किया था। करीब एक हफ्ते पहले ईडी ने 47.80 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति भी जब्त की थी। ये संपत्तियां पदम चंद जैन, महेश मित्तल, संजय बड़ाया, विशाल सक्सेना और महेश जोशी और उनके परिवार के सदस्यों की थीं। 4 साल पहले हुई थी घोटाले की शुरुआत कैसे हुई ACB, ED और CBI की एंट्री ——- ये भी पढ़ें.. 381 करोड़ के पेमेंट के चक्कर में फंसे महेश-जोशी?:जेजेएम घोटाला: पूर्व मंत्री के बाद अब किसकी बारी, ED की पूछताछ में हो सकते हैं बड़े खुलासे राजस्थान की पिछली सरकार में हुए 980 करोड़ के जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले के बाद अब और भी ठेकेदारों को किए लेन-देन की परतें उधड़ रही हैं। राजस्थान में पिछले विधानसभा चुनाव में आचार संहिता लगने से ठीक तीन दिन पहले ठेकेदारों को देने के लिए करीब 381 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई। फाइल चंद घंटों में ऐसे दौड़ी कि नीचे से ऊपर तक सभी पड़ाव पार कर डाले। (पूरी खबर पढ़ें)
