चित्तौड़गढ़ शहर सहित आसपास के कई इलाकों में देर रात को भी होलिका दहन की धूम देखी गई। शहर सहित गांवों में जगह-जगह मोहल्लों-चौराहों पर होली रोपी गई थी। मधुबन स्थित हाथीकुण्ड मंदिर के बाहर भी होली के दहन के पहले पंडित भालचंद्र वानखेड़े द्वारा मंत्रोच्चार कर पूजा अर्चना की गई। इसके बाद शुभ मुहुर्त में 11:36 बजे होलिका दहन किया गया। देर रात होने के बावजूद भी अच्छी भीड़ देखने को मिली। जगह-जगह पुलिस जाब्ता भी तैनात रहा। दिनभर रहा भद्रा का साया इस बार होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहा। फाल्गुनी पूर्णिमा तिथि की शुरूआत 13 मार्च को सुबह दस बजकर 36 मिनट से 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। साथ ही भद्रा सुबह 10.36 से शुरू होकर रात 11.28 बजे तक रहेगी। भद्रा के मुख का समय रात 8.18 बजे से रात 10.27 बजे तक रहेगा। भद्रा की पूंछ का समय शाम सात बजे से 8.18 बजे बाद का रहेगा। होलिका दहन के लिए करीब एक घंटे का समय मिलेगा। रात 11.28 बजे से देर रात 12. 36 बजे तक होलिका दहन हो सकता है। सभी ने इसी शुभ मुहूर्त पर होलिका दहन किया। देर रात को होने के बावजूद भी लोगों में उत्साह की कमी नहीं देखी गई। लोग बढ़ चढ़कर होलिका दहन में भाग लेने पहुंचे। सुरक्षा के लिए पुलिस बल रहा मौजूद हाथीकुंड मंदिर में पूजा पाठ की विधि हुई और होली को अग्नि दी गई। इस दौरान कई शहरवासी वहां मौजूद थे। हर मोहल्ले में भी होलिका दहन देर रात को ही जलाई गई। सभी ने परंपरागत तरीके से पूजा पाठ की और होली के जलते ही एक दूसरे को बधाइयां दी। होली में नारियल चढ़ाए गए। कइयों ने गेहूं होलिका दहन की आग में सेके। इस दौरान सुरक्षा के लिहाज से नगर और गांवों के कई स्थानों पर पुलिस जाब्ता तैनात रहा। इस दौरान लोगों की चहल-पहल रही। इसके अलावा गांधी चौक में भी होली रोपी गई थी लेकिन वहां रात के 10:15 बजे होली जलाई गई। शहर के द्वारिका धाम कॉलोनी, सेंथि, लाल जी का खेड़ा, श्री कल्याण नगर कॉलोनी, प्रतापनगर, कुम्भा नगर सहित कई जगहों पर होली दहन शुभ मुहूर्त पर किया गया।