चित्तौड़गढ़ में छात्रसंघ चुनाव की मांग को लेकर NSUI के 4 स्टूडेंट पानी की टंकी पर चढ़ गए। जो लगभग 8 घंटे बाद SDM के पहुंचने पर नीचे उतर आए। चारों स्टूडेंट को कोतवाली पुलिस अपने साथ ले गई और चारों को पाबंद कर दिया। बता दे कि छात्रसंघ के चुनाव पर रोक पूर्ववर्ती अशोक गहलोत की सरकार ने लगाई थी। मौके ADM बीनू देवल, डिप्टी तेजप्राकाश पाठक, कोतवाल संजीव स्वामी सहित पुलिस जाब्ता मौजूद रहा। अलसुबह 3 बजे चढ़े टंकी पर
एक बार फिर छात्रसंघ चुनाव की मांग उठने लगी है। लेकिन इस बार विरोध जताने वाले ABVP के कार्यकर्ता नहीं बल्कि NSUI के कार्यकर्ता है। NSUI के 4 स्टूडेंट रवि जायसवाल, अल्पेश गोस्वामी, संजय राव, विष्णु मेघवाल गुरुवार अलसुबह 3 बजे शास्त्री नगर स्थित पानी की टंकी पर चढ़ गए। वीडियो बनाकर उन्होंने अपना विरोध जताया और अपनी मांग बताई। चारों ने छात्र संघ चुनाव करवाए जाने की मांग की है। चारों स्टूडेंट्स का कहना है कि भजनलाल सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की है। NSUI इसका विरोध करती है और जल्द से जल्द चुनाव बहाली करने की मांग करती है। उनका कहना है कि जब तक चुनाव नहीं होंगे तब तक NSUI राजस्थान के अंदर आंदोलन करती रहेगी। इसीलिए जल्द से जल्द सरकार को अपना फैसला बदलना होगा। स्टूडेंट्स ने दी चेतावनी
NSUI के संजय राव ने कहा कि देश के आने वाले युवा नेतृत्व को आगे बढ़ाने के लिए छात्र संघ चुनाव शुरू करवाने का आदेश निकाला जाना चाहिए। सरकार द्वारा हमारी मांग पूरी नहीं करने पर हम विरोध जताते रहेंगे। चारों स्टूडेंट्स की जानकारी होने पर मौके पर कोतवाली थाना पुलिस भी पहुंची। समझाने के बाद भी जब चारों नीचे नहीं आए तो ADM बीनू देवल, डिप्टी तेजप्रकाश पाठक, कोतवाल संजीव स्वामी भी पहुंचे। SDM के समझाने पर चारों 8 घंटे बाद नीचे आए और उन्होंने सरकार तक यह मांग पहुंचाने का आश्वासन दिया। इसके बाद पुलिस भी चारों स्टूडेंट्स को अपने साथ कोतवाली थाने ले गई और 151 में पाबंद भी किया। गहलोत की सरकार ने लगाई थी रोक
बता दे कि राजस्थान के सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों ने नई शिक्षा नीति 2020 लागू करने के साथ यूनिवर्सिटी में चल रही है एडमिशन और रिजल्ट प्रक्रिया का हवाला देकर छात्रसंघ चुनाव पर रोक लगाने की बात कही। जिस पर सर्वसम्मति से पिछले साल पूर्ववर्ती अशोक गहलोत की सरकार ने छात्रसंघ चुनाव नहीं कराने का फैसला किया था। पिछले साल इस फैसले का ABVP के स्टूडेंट्स ने पुरजोर विरोध जताया था लेकिन सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला।