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किसानों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर है। अब खेतों में तारबंदी के लिए सब्सिडी लेने के लिर किसान के पास न्यूनतम 1.5 हेक्टेयर भूमि होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। राज्य सरकार के इस निर्णय से खासतौर पर छोटे और सीमांत किसानों को काफी लाभ मिलेगा। नए नियमों के अनुसार अब 0.5 हेक्टेयर भूमि वाले किसान भी इस योजना का लाभ उठा सकेंगे। यह बदलाव वर्ष 2025-26 से लागू किया जाएगा। झुंझुनूं कृषि विभाग की सहायक निदेशक सविता ने बताया- यह निर्णय किसानों की वर्षों पुरानी मांग को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा- छोटे और सीमांत किसान अपनी फसल की सुरक्षा नहीं कर पा रहे थे। अब उन्हें भी तारबंदी की सुविधा मिलेगी जिससे आवारा पशुओं से फसल की रक्षा संभव होगी। कृषि विभाग की ओर से जारी नई गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि अब छोटे किसान भी अपनी फसलों को आवारा और बेसहारा पशुओं से सुरक्षित रखने के लिए तारबंदी करवा सकते हैं। इससे पहले कठोर नियमों के चलते ऐसे कई किसान जो सीमित भूमि रखते थे, इस योजना से वंचित रह जाते थे। लेकिन अब नियमों में ढील देकर उन्हें भी मुख्यधारा में शामिल किया गया है। समूह में आवेदन की सुविधा भी उपलब्ध जिन किसानों के पास अकेले 0.5 हेक्टेयर भूमि नहीं है, वे अपने पड़ोसी किसानों के साथ मिलकर समूह में भी आवेदन कर सकते हैं। सामूहिक प्रयास से न्यूनतम 10 किसान मिलकर यदि कुल 5 हेक्टेयर भूमि क्षेत्र में तारबंदी करते हैं तो उन्हें भी सब्सिडी का पूरा लाभ मिलेगा। इसके लिए आवेदनकर्ता को राजस्थान का मूल निवासी होना अनिवार्य है। सब्सिडी की दरें और पात्रता तारबंदी के लिए किसानों को लागत का 50 प्रतिशत से लेकर 70 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी, जो उनके वर्ग और आवेदन के प्रकार पर निर्भर करती है। सामान्य किसानों को प्रति किसान अधिकतम 400 मीटर की लंबाई पर 100 रुपए प्रति मीटर की दर से अधिकतम 40,000 रुपए की सब्सिडी प्राप्त होगी। वहीं, लघु और सीमांत किसानों को यह सब्सिडी 60 प्रतिशत यानी 120 रुपए प्रति मीटर की दर से दी जाएगी, जिससे उन्हें अधिकतम 48,000 रुपए तक की सहायता मिल सकेगी। यदि सामूहिक रूप से 10 किसान 5 हेक्टेयर क्षेत्र में तारबंदी करवाते हैं, तो उन्हें इकाई लागत का 70 प्रतिशत यानी 140 रुपए प्रति मीटर की दर से अधिकतम 56,000 रुपए तक सब्सिडी दी जाएगी। पहले आओ, पहले पाओ का नियम लागू सब्सिडी वितरण की प्रक्रिया ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर की जाएगी। इसके तहत आवेदन करने वाले किसानों की प्राथमिकता उनके आवेदन की तारीख के अनुसार तय की जाएगी। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और सब्सिडी जरूरतमंद किसानों तक समय पर पहुंच सकेगी। इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को कृषि विभाग की वेबसाइट या संबंधित कृषि कार्यालय में आवेदन करना होगा। दस्तावेजों की जांच और स्थल निरीक्षण के बाद सब्सिडी प्रदान की जाएगी। पात्र किसान इस योजना के अंतर्गत कांटेदार तारबंदी, चेनलिंक तारबंदी या वर्गाकार नोड फेंसिंग जैसे विकल्पों में से किसी एक का चयन कर सकते हैं। नए नियमों का असर इस निर्णय से प्रदेश के हजारों छोटे किसान लाभान्वित होंगे। अब वे भी बिना किसी भूमि सीमा की बाध्यता के तारबंदी करवा सकेंगे और फसलों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे। यह बदलाव न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि कृषि उत्पादकता और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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