पंचायत या स्थानीय प्रशासन के अफसर-कर्मचारियों की ओर से जन समस्याओं का निस्तारण नहीं किए जाने या सुनवाई नहीं करने पर सरकार ने सीधे संपर्क पोर्टल या टोल फ्री नंबर 181 पर शिकायत दर्ज कराने की सुविधा दे रखी है। एकीकृत पोर्टल पर शिकायतें प्राप्त होने पर जिला स्तरीय अधिकारी इन्हें प्राथमिकता के आधार पर निपटा रहे हैं, लेकिन इससे लोग ज्यादा संतुष्ट नहीं दिखाई दे रहे। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 62 प्रतिशत लोग ही शिकायतों के निस्तारण से संतुष्ट हो पा रहे हैं। जबकि पिछले सात साल में शिकायतों की संख्या दो गुना से भी ज्यादा बढ़ गई है। शिकायतों की तुलना में संतुष्टि का आंकड़ा नहीं बढ़ रहा है। वर्ष 2018 में करीब साढ़े 15 लाख समस्याएं लोगों ने सरकार तक पहुंचाईं। जबकि वर्ष 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 33 लाख से ऊपर चला गया है। हालांकि संपर्क पोर्टल पर मिली शिकायतों को अधिकारी तत्परता से निपटाने में काफी सक्रियता दिखा रहे हैं। वर्ष 2018 में जहां 56 दिन में औसत एक समस्या का निस्तारण किया जा रहा था, अब 14 दिन में सुलझाई जा रही है। मगर इससे लोगों को ज्यादा फायदा नहीं मिल रहा। 56 दिन में समस्या के समाधान पर जहां 55 प्रतिशत लोग संतोष जताते थे, वहीं अब 14 दिन में शिकायत का निस्तारण करने के बावजूद संतुष्टि का प्रतिशत 7 प्रतिशत ही बढ़ा है। वर्ष 2018 से 2024 तक सिर्फ 2024 में ही शिकायतों के निस्तारण का आंकड़ा 97% रहा था। बाकी हर साल सौ प्रतिशत समस्याओं का निस्तारण कर दिया गया। आंकड़ों के अनुसार अब तक करीब पौने दो करोड़ शिकायतें 181 पर दर्ज कराई गई हैं। इनमें से अधिकांश का निस्तारण कर दिया है। एक साल में संतुष्टि की दर 5 प्रतिशत कम हुई संपर्क पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के निस्तारण के बाद सबसे ज्यादा संतुष्टि 67 प्रतिशत लोगों ने वर्ष 2023 में व्यक्त की। मगर अगले ही वर्ष 2024 में जन समस्याओं के निस्तारण से 5 प्रतिशत कम संतुष्ट हुए। इसी तरह वर्ष 2018 में 55 प्रतिशत, 2019 में 51 प्रतिशत, 2020 और 2021 में 60% तथा 2022 में 59% लोगों ने अफसरों की समाधान प्रक्रिया पर संतोष जताया।