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जयपुर चिड़ियाघर में शुतुरमुर्ग मल्लिकार्जुन और अवंतिका ने 13 मार्च को बच्चे को जन्म दिया। वजन डेढ़ से 2 किलो। रंग गेहुंआ। छोटे-छोटे पैर। शरीर पर बाल। नन्हा शुतुरमुर्ग कभी पिता के साये के साथ कदमताल करता नजर आता है तो मां के इर्द-गिर्द चक्कर काटता है। कभी दूसरे पक्षियों को देखकर सहम जाता है। चिड़ियाघर के इस नन्हे मेहमान का अभी नामकरण नहीं किया गया है। दावा किया जा रहा है कि राजस्थान में शुतुरमुर्ग का यह पहला सफल कैप्टिव प्रजनन है। इससे पहले कभी भी शुतुरमुर्ग का प्रजनन सफल नहीं रहा था। उल्लेखनीय है कि शुतुरमुर्ग के इस जोड़े को मार्च 2021 में चेन्नई से लाया गया था। इसके बाद से इनके सफल प्रजनन के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे थे। नर शुतुरमुर्ग मल्लिकार्जुन और मादा शुतुरमुर्ग अवंतिका की पहली संतान के बाद प्रजाति का कुनबा बढ़ने की उम्मीद और भी बढ़ गई है। क्योंकि अभी भी 10 अंडे बचे हुए हैं। चार केयरटेकर 24 घंटे रख रहे निगरानी
चिड़ियाघर में अलग-अलग शिफ्ट में 4 सेवादार 24 घंटे नन्हे शुतुरमुर्ग की निगरानी कर रहे हैं। सभी केयरटेकर एन्क्लोजर के चारों तरफ घूमते रहते हैं। इसके अलावा चिड़ियाघर के अन्य अधिकारी और डॉक्टर भी लगातार आवाजाही करते हुए नजर आते हैं। अलग-अलग शिफ्ट में आने वाले केयर-टेकर्स एक डायरी मेंटेन कर रहे हैं। जिसमें शुतुरमुर्ग के चूजे की हर एक्टिविटी को लिखा जा रहा है। जैसे- 7 बजे चूजा दाना चुने कमरे में गया। सुबह 8 बजे चूजा मां के साथ बैठा है। सुबह 8.40 बजे चूजा पानी पी रहा है। चूजे की सुरक्षा का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है। अन्य पक्षी और बिल्ली आदि चूजे को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचा दें, इसका केयरटेकर विशेष ध्यान रख रहे हैं। बाज आ जाने पर गुलेल से भगा देते हैं। अन्य पक्षियों के आने पर रैलिंग बजाकर उड़ा देते हैं। मेल-फीमेल का नहीं चल पाया है पता
शुतुरमुर्ग का चूजा मेल है या फीमेल अब तक पता नहीं चल पाया है। चूजे के पैदा होने के बाद से अब तक चिड़ियाघर प्रशासन के कार्मिक एनक्लोजर में नहीं गए हैं। अभी और भी अंडे विकसित होने हैं। ऐसे में चिड़ियाघर प्रशासन के कार्मिक एनक्लोजर में नहीं जा रहे हैं। डॉ.अशोक तंवर ने बताया कि आने वाले दिनों में चूजे के रंग से इसका पता लगाया जा सकेगा कि मेल है या फीमेल। मादा शुतुरमुर्ग ने 2022 में भी दिया था अंडा
शुतुरमुर्ग के चूजे का जन्म 13 मार्च को हुआ है। यह मार्च 2021 में चेन्नई के वेटरनरी कॉलेज से जयपुर के चिड़ियाघर में लाए गए नर मल्लिकार्जुन और मादा अवंतिका की पहली संतान हैं। मादा शुतुरमुर्ग अवंतिका ने साल 2022 में भी अंडा दिया था,लेकिन वो अल्पविकसित था। मादा शुतुरमुर्ग ने 14 जनवरी को पहला अंडा दिया था। जिसके बाद कुल 12 अंडे दिए। एक पूर्ण विकसित नहीं होने से टूट गया। अभी 10 और अंडे हैं। उम्मीद की जा रही है कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे सर्वाइव कर लेंगे। साल 2016 में भी हुई थी कोशिश:- राजस्थान में शुतुरमुर्ग के सर्वाइवल की कोशिश साल 2016 में भी हुई थी। उस वक्त भी एक नर और मादा को जयपुर लाया गया था। वे साल 2020 तक ही जीवित रह पाए थे। जू में शुतुरमुर्ग के लिए खास वातावरण
अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाने वाले शुतुरमुर्ग प्रजाति राजस्थान में सर्वाइव कर पाएं, इसके लिए वैसा ही वातावरण देने की कोशिश की जा रही है। शुतुरमुर्ग के जोड़े को आधा हेक्टेयर के एनक्लोजर में रखा गया है। एनक्लोजर में रेगिस्तान और ड्राई इलाके जैसी फिलिंग के लिए झाड़ियों के लिए बालू भी डाली है। लोगों की बढ़ती आवाजाही और शुतुरमुर्ग की प्राइवेसी का ख्याल रखते हुए चिड़ियाघर प्रशासन ने एनक्लोजर को एक तरफ से कवर कर दिया है। खाना-पीने पर भी किया गया है खास फोकस
चिड़ियाघर में तैनात डॉ.अशोक तंवर ने बताया कि शुतुरमुर्ग के जोड़े के खान-पान का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। छह तरह के अनाज गेहूं, जौ, बाजार, मक्का, सोयाबीन और ग्वार का दलिया बनाकर दिया जाता है। वहीं इन पक्षियों को सभी सीजनल फूड भी दिए जाते हैं। पेट साफ रखने के लिए पालक भी दिया जाता है। इन सभी आहार के अलावा दवाएं और मिनरल भी दिए जाते हैं। 150 किलो वजन, दुनिया का सबसे भारी पक्षी
शुतुरमुर्ग दुनिया के सबसे भारी पक्षियों में से हैं। 150 किलो तक इसका वजन होता है। नर शुतुरमुर्ग काला होता है और इसकी हाइट करीब 9 फीट होती है। मादा शुतुरमुर्ग का रंग भूरा होता है और लंबाई करीब सात फीट की होती है। पचास से 70 साल की औसत आयु वाला शुतुरमुर्ग 58 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकता है।

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