भारतीय विद्या भवन, इंफोसिस फाउंडेशन कल्चरल आउटरीच प्रोग्राम की 111वीं कड़ी के अंतर्गत जयपुर की पारंपरिक नाट्य शैली तमाशा पर केंद्रित एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला 25 जून से 30 जून तक ब्रह्मचारी श्री रामानुजाचार्य कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय, केशव विद्यापीठ, जामडोली में आयोजित की गई।
कार्यशाला में 24 छात्राओं ने भाग लिया और तमाशा की परंपरा, इतिहास, प्रस्तुतिकरण शैली एवं इसमें प्रयुक्त राग-रागनियों की गहन जानकारी प्राप्त की। कार्यशाला का निर्देशन जयपुर के प्रतिष्ठित तमाशा घराने की छठी पीढ़ी के कलाकार गुरु दिलीप भट्ट ने किया। प्रभावशाली मंचन में पौराणिक कथा के साथ समसामयिक व्यंग्य कार्यशाला के समापन पर 30 जून को छात्राओं ने शिव, सती और दक्ष आख्यान पर आधारित तमाशा नाटक की प्रभावी प्रस्तुति दी। मंचन में गणेश एवं गुरु भट्ट जी के संवादों ने हास्य का सुंदर रंग घोला, वहीं जयपुर में बरसात के बाद सड़कों की स्थिति पर चुटीले व्यंग्य के माध्यम से वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों को भी उजागर किया गया-जो तमाशा की शैली का प्रमुख तत्व है। प्रस्तुति में यह दिखाया गया कि कैसे सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में बिना बुलाए जाती है। वहां अपमानित होने पर अपने प्राण त्याग देती हैं। प्रतिभागियों ने राग पहाड़ी, भूपाली, भैरव, भैरवी और पीलू में गायन कर प्रस्तुति को जीवंत और प्रभावशाली बनाया। कार्यक्रम के सचिव राजेन्द्र सिंह पायल ने बताया कि यह कार्यशाला तमाशा जैसी दुर्लभ लोक-नाट्य शैली को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का सराहनीय प्रयास है। कार्यक्रम में छात्राओं की भाव-भंगिमा, संवाद अदायगी और गायन ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
