संगीत आश्रम संस्थान की ओर से आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का समापन कथक नृत्य की प्रस्तुति के साथ हुआ। संस्थान परिसर में आयोजित इस समापन समारोह में अनेक बाल और युवा नृत्यांगनाओं ने अपने शुद्ध पारंपरिक कथक प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का निर्देशन कथक नृत्य गुरु संजीव कुमावत द्वारा किया गया, जिनके मार्गदर्शन में कलाकारों ने ठाठ, आमद, कवित्त, तोड़े, टुकड़े, तिहाइयां सहित भाव नृत्य की शुद्ध रचनाओं का जीवंत प्रदर्शन किया। जयपुर घराने की नृत्य परंपरा का यह लालित्यपूर्ण स्वरूप दर्शकों के लिए एक अद्भुत अनुभव रहा। भावनाओं में रचा-बसा गणेश वंदना और भाव नृत्य कार्यक्रम की शुरुआत में देवांशी जादौन, अभिगना शर्मा और ईनाया अग्रवाल ने “एकदंताय वक्रतुण्डाय गौरीतनयाय धीमहि…” पर गणेश वंदना की भावपूर्ण प्रस्तुति दी, जिसने संध्या को मंगलमय शुरुआत दी। इसके बाद प्रियदर्शिनी ने “कान्हा तोसे हृदय ना जोड़ूंगी…” पर अपने भाव नृत्य से कृष्ण भक्ति की अद्भुत झलक पेश की। कार्यक्रम में समृद्धि, दीपशिखा प्रजापत, परी बता, आराध्या चतुर्वेदी, वाणी जायसवाल और चार्वी अग्रवाल ने तीन ताल में कथक की बारीकियों को लालित्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। इन प्रस्तुतियों में आंगिक और भाव-भंगिमाओं का ऐसा सामंजस्य था कि दर्शकों की तालियों से सभागार गूंज उठा। कार्यक्रम का संचालन वीना अनुपम ने किया, वहीं अंत में संस्थान के सचिव अमित अनुपम ने सभी कलाकारों, अतिथियों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया।