भारत-पाकिस्तान सीमा पर हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के वीर जवानों और उनके परिवारों को सम्मान देने के उद्देश्य से जयपुर में एक विशेष चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस आयोजन में महिला चित्रकारों ने न केवल अपने रंगों से वीरता की कहानियां चित्रित कीं, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि देश के लिए बलिदान देने वाले वीरों और उनकी पत्नियों का दर्द कभी भुलाया नहीं जा सकता। यह कार्यक्रम विनीता आर्ट्स, स्काईहॉक, और नरेन्द्र आर्ट गैलरी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ, जिसमें जयपुर विमेंस आर्ट ओरा ग्रुप की 30 महिला कलाकारों ने भाग लिया। आयोजन स्थल नरेन्द्र आर्ट गैलरी रहा, जो इस भावनात्मक और प्रेरणास्पद प्रदर्शन का साक्षी बना। कैनवास पर उकेरी गईं वीरता और वेदना की कहानियां महिला कलाकारों ने अपने चित्रों में ऑपरेशन सिंदूर मिशन के विभिन्न पहलुओं को उकेरा। उनकी कूचियों से निकले चित्रों में शौर्य, बलिदान, जीत और जोश की अनुभूति हुई। शहीद सैनिक हिमांशी नरवाल के दिवंगत पति का चित्र बनाया गया, इन्हें भारत मां के सच्चे सपूत के रूप में प्रस्तुत किया गया। एक चित्र में भारतीय सेना की ओर से पाकिस्तान पर की गई जवाबी कार्रवाई को दर्शाया गया, जिसमें भारत की वीरता और विजयगाथा को रेखांकित किया गया। कुछ चित्राें में उन महिलाओं का दर्द दिखाया गया, जिनके पति ऑपरेशन सिंदूर में गोलीबारी का शिकार हुए और जिन्होंने शोक के साथ साहस की नई मिसाल कायम की। इन चित्रों के माध्यम से कलाकारों ने इन वीरांगनाओं की तुलना स्वतंत्रता संग्राम की महान महिला क्रांतिकारियों से की, जैसे रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, और कस्तूरबा गांधी। जिन्होंने त्याग, संकल्प और देशप्रेम का उदाहरण प्रस्तुत किया। प्रदर्शनी में भाग लेने वाली सभी महिला कलाकारों को सर्टिफिकेट प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त, तीन सर्वश्रेष्ठ कलाकृतियों को स्काई हॉक की ओर से विशेष गिफ्ट हैम्पर्स देकर सम्मानित किया गया। आयोजकों ने बताया कि यह आयोजन सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि एक भावनात्मक श्रद्धांजलि है, उन सैनिकों और उनके परिवारों के प्रति, जिनकी कुर्बानी से देश सुरक्षित है। कार्यक्रम की संयोजक और विनीता आर्ट्स की निदेशक विनीता ने कहा कि हम चाहते थे कि महिला कलाकारों की संवेदना और उनकी कला के माध्यम से देश को एक सशक्त संदेश मिले कि वीरों का बलिदान कभी विस्मृत नहीं होता, और उनका दर्द, उनका साहस, हमेशा हमारी चेतना में जीवित रहता है।