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जयपुर के निर्बाणा पैलेस की मॉन अमौर गैलरी इन दिनों एक बेहद खास कला प्रदर्शनी की मेजबानी कर रही है, जहां जाने-माने कलाकार अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी अपनी अद्वितीय कलाकृतियों के माध्यम से दर्शकों को ‘अनदेखी की खोज’ पर ले जा रहे हैं। इस थीम के जरिए पृथ्वीवासी न केवल रचनात्मकता की नई परिभाषा रचते हैं, बल्कि अपने नवाचार ‘इंटेजिब्लिज्म आर्ट’ को एक आंदोलन का स्वरूप देने का भी एलान करते हैं। पृथ्वीवासी की यह प्रदर्शनी एक आम कला प्रदर्शनी नहीं, बल्कि एक बौद्धिक और भावनात्मक यात्रा है, जो उन विचारों और संवेदनाओं को उजागर करने का प्रयास करती है जिन्हें अक्सर समाज अनदेखा कर देता है। उन्होंने अपने अनुभवों और कलात्मक दृष्टिकोण से यह बताया कि कला सिर्फ सौंदर्य नहीं, बल्कि सोचने का माध्यम और बदलाव का जरिया है। इस एग्जीबिशन को जयपुर में आर्ट क्यूरेटर सिमरन कौर ने डिजाइन किया है। इंटेजिब्लिज्म: एक नई क्रांति की शुरुआत इस प्रदर्शनी के माध्यम से अश्विनी कुमार पृथ्वीवासी ‘इंटेजिब्लिज्म आर्ट’ को एक वैचारिक आंदोलन की तरह आगे बढ़ाना चाहते हैं। यह कला शैली भौतिकता से परे जाकर अदृश्य विचारों, भावनाओं और अनुभवों को अभिव्यक्त करती है। यह एक ऐसा प्रयास जो कला को केवल दृश्य नहीं, बल्कि बोधगम्य और आध्यात्मिक बनाता है। प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान पृथ्वीवासी ने युवाओं से कला को अपनी हॉबी और अभिव्यक्ति का साधन बनाने की अपील की। उनका मानना है कि “कला के जरिए ही दुनिया की तमाम समस्याओं का समाधान संभव है। केवल क्रिएटिविटी ही इस दुनिया को विनाश से बचा सकती है।” यह वक्तव्य उनके गहरे सामाजिक सरोकारों और युवाओं के प्रति उनकी उम्मीद को दर्शाता है।

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