आर्थिक रूप से कमजोर इंसान के लिए सबसे मुश्किल समय होता है जब उनके परिवार में किसी अपने की मृत्यु हो जाती है। क्योंकि उनके लिए अंतिम संस्कार की व्यवस्था करना आसान नहीं होता है। कोरोना के समय लोगों की पीड़ा को समझते हुए कामां कस्बा निवासी तिलक राज अरोड़ा ने अंत्येष्टि करने के लिए निशुल्क लकड़ी उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया था लेकिन बीते 4 वर्ष से उनकी मुहिम ने अब बड़ा रूप ले लिया है और समाज के दो सौ परिवार जुड़ गए हैं, जो हर माह पैसा इकट्ठा कर अंत्येष्टि करने के लिए सूखी लड़कियों की व्यवस्था कर सहयोग कर रहे हैं। क्योंकि कोरोना काल में जब अपनों ने साथ छोड़ दिया, तब पंजाबी समाज ने शवों की अंत्येष्टि का बीड़ा उठाया। बीते 4 वर्षों में समाज ने 500 से ज्यादा लोगों की निशुल्क अंत्येष्टि कराई। अब तक पंजाबी समाज ने 25 लाख रुपए की लकड़ी खरीदी जा चुकी है। 500 से 5 हजार रुपए दान में देता है हर परिवार समिति अध्यक्ष तिलक राज अरोड़ा ने बताया कि कोरोना के समय अस्पतालों में लाशों की कतारें थीं। कई शवों को उठाने वाला भी कोई नहीं था। ऐसे में पंजाबी समाज के पांच लोगों ने मिलकर अंतिम संस्कार के लिए तीर्थराज विमल कुंड स्थित मुक्तिधाम में लकड़ी देने की व्यवस्था शुरू की। अब 200 से ज्यादा परिवार सेवा से जुड़ चुके हैं। हर परिवार हर माह 100 से 500 रुपए तक दान देता है। कुछ समृद्ध लोग अंत्येष्टि के बाद 1100 से 5000 रुपए तक की राशि भी दान में दे जाते हैं। एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार में करीब 5000 रुपए की लकड़ी लगती है।