जलदाय विभाग कार्मिकों ने कार्यालय और जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम एडीएम को ज्ञापन सौंपा है। कार्मिकों ने जलदाय विभाग के कार्यों को आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरित करने का विरोध किया है। उन्होंने जलदाय विभाग को निगम बनाने का विरोध जताया है। जलदाय विभाग अधीक्षण अभियंता परशुराम मीणा ने बताया कि राज्य सरकार जलदाय विभाग के कार्यों को आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरित कर रही है। जिससे आम जनता को परेशानी होगी। उन्होंने आरोप लगाया है कि कार्मिकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। जलदाय विभाग के कार्मिकों का आरोप है कि राजस्थान में संचालित अधिकतर निगमों की आय के स्रोतों की हालत खराब है। आय के स्रोत नहीं होने के कारण उन्हें आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ता है। जलदाय विभाग को निगम में परिवर्तित करने के कारण कमोबेश हालात अन्य निगमों जैसी स्थिति होगी। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण जलापूर्ति, मरम्मत आदि कार्यों में भी संकट का सामना करना पड़ेगा। अधीक्षण अभियंता ने बताया कि बजट 2024-25 की घोषणानुसार पीएचईडी के कार्यों को आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरित किया जाना प्रस्तावित हैं। राज्य के नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाना राज्य सरकार के मुख्य कर्तव्यों में शामिल हैं। भारतीय संविधान निर्माताओं द्वारा भी यह विषय राज्य सूची में सम्मिलित किया गया हैं। राज्य का प्रत्येक नागरिक राज्य सरकार से ये अपेक्षा करता हैं कि उसे उचित दरों पर शुद्ध पेयजल मिले, लेकिन आरडब्ल्यूएसएससी को राज्य में पेयजल उत्पादन एवं वितरण का कार्य हस्तांतरित करने पर ऐसा किया जाना संभव नहीं हो होगा। आरडब्ल्यूएसएससी प्रारम्भ से ही ऋण के बोझ तले दबा हुआ हैं और ऋण लिए जाने पर ऋण के भुगतान हेतु नागरिकों से जल राजस्व वसूली करने के लिए जल शुल्क बढ़ाया जाएगा। जिससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। कार्मिकों ने ज्ञापन सौंपकर अपनी चिंताओं से सरकार को अवगत कराया है।