जिले में जल संकट की समस्या से निपटने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान ने तेजी पकड़ ली है। बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिला कलेक्टर रामावतार मीणा की अध्यक्षता में आयोजित समीक्षा बैठक में अभियान की प्रगति पर चर्चा की गई और इसे और गति देने के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए। बैठक को संबोधित करते हुए कलेक्टर मीणा ने कहा कि झुंझुनूं एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र है और यहां गर्मियों में अक्सर पानी की कमी हो जाती है। इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए जल संरक्षण की दिशा में सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ अभियान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य वर्षा जल का अधिक से अधिक संचयन, संग्रहण और पुनर्भरण सुनिश्चित करना है, जिससे जिले के भूजल स्तर में सुधार हो सके और भविष्य में पानी की जरूरतों को पूरा किया जा सके। कलेक्टर मीणा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रत्येक गांव में तकनीकी रूप से सक्षम रिचार्ज शाफ्ट संरचनाओं का निर्माण किया जाए। उन्होंने इस कार्य में स्थानीय ग्रामीणों, सामाजिक संगठनों और दानदाताओं (भामाशाहों) से सक्रिय सहयोग लेने का आह्वान किया। उन्होंने विशेष रूप से देश और प्रदेश के अन्य हिस्सों में बसे झुंझुनूं के उन लोगों से भी इस अभियान में योगदान करने की अपील की, जो वर्तमान में अपनी कर्मभूमि पर कार्यरत हैं। बैठक में जल स्रोतों की पहचान करने, वर्षा जल के प्राकृतिक बहाव के रास्तों को चिन्हित करने और ग्रामीण स्तर पर जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए। कलेक्टर मीणा ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह केवल एक सरकारी योजना नहीं है, बल्कि एक जन-आंदोलन है और इसकी सफलता के लिए हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के प्रयासों को तभी सफलता मिलेगी जब आमजन इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। अभियान के तहत गांवों में जल संरक्षण से जुड़ी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी, जिनमें स्कूली बच्चे, पंचायत प्रतिनिधि और समाजसेवी सक्रिय भूमिका निभाएंगे। इस अवसर पर जलदाय विभाग, कृषि विभाग, पंचायत राज विभाग, भूजल विभाग और नगर निकाय के उच्च अधिकारी मौजूद रहे।

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