वर्षा ऋतु के सौंदर्य को जाहिर करने के लिए जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित मल्हार महोत्सव का बरसते बादलों ने स्वागत किया। महोत्सव के पहले दिन अनिल जांगिड़ ने बांसुरी वादन और अमीरुद्दीन खान ने सारंगी वादन की प्रस्तुति दी। दूसरे दिन उस्ताद अनवर हुसैन संतूर वादन व पंडित कैलाश चंद्र मोठिया और योगेश चंद्र मोठिया वायलिन एवं कैलाश रंजनी बेला पर जुगलबंदी पेश करेंगे। अनिल जांगिड़ ने राग मरू बिहाग को अपनी प्रस्तुति का आधार बनाया और श्रोताओं के कानों में मिठास घोली। उन्होंने अलाप, जोड़, झाला के साथ प्रस्तुति को आगे बढ़ाया। फिर 9 मात्रा मध्य लय में गत, द्रुत तीन ताल में गत पेश की। राग मल्हार में तीन ताल में ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए’ बंदिश बजाकर माहौल को आध्यात्मिक कर दिया। तबले पर दिनेश खींची ने संगत की। अमीरुद्दीन खान ने सारंगी पर धुन छेड़ी। उन्होंने राग यमन की प्रस्तुति दी। आलापचारी के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। 14 मात्रा में विलंबित झुमरा में बड़ा ख्याल, विलंबित तीन ताल में गत, द्रुत तीन ताल में छोटा ख्याल के साथ प्रस्तुति में चार चाँद लगा दिये। सारंगी की मीठी धुन कानों में घुलती रही, कलाप्रेमी झूमते रहे।