हाई कोर्ट की खंडपीठ ने जीएसटी से जुड़े मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा, अर्ध न्यायिक अधिकारी कंप्यूटराइज्ड प्रोफार्मा में निर्मित आदेश पारित नहीं कर सकते। ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसा आदेश बिना सोच विचार कर देने की श्रेणी में आता है। वहीं, खंडपीठ ने अपीलेट अथॉरिटी के 12 मार्च, 2024 के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि यह आदेश कंप्यूटराइज्ड प्रोफार्मा में है। अपीलेट अथॉरिटी ने न तो मामला सुना है और ना ही अपने दिमाग का उपयोग किया है। ऐसे में यह मामला अपीलेट अथॉरिटी नए सिरे से सुने और कानूनी प्रावधानों के अनुसार आदेश पारित करे। जस्टिस अवनीश झिंगन व जस्टिस आनंद शर्मा ने यह आदेश सैम मार्केटिंग की याचिका को मंजूर करते हुए दिया। अधिवक्ता डीपी शर्मा ने बताया कि धारा-169 के तहत जीएसटी अफसरों का दायित्व है कि वह आदेश की सूचना संबंधित व्यक्ति को दे और आदेश पोर्टल पर अपलोड करना सूचित करने की श्रेणी में नहीं है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ऐसी सूचना काल्पनिक मानी जाएगी। वहीं अपीलेट अथॉरिटी ने कंप्यूटराइज्ड प्रोफार्मा में ही आदेश दिया है और प्रार्थी को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया है। ऐसे में अपीलेट अथॉरिटी का आदेश निरस्त कर मामले में विधिक प्रावधानों पर नए सिरे से आदेश दिया जाए।

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