राज्यावास| कस्बे में एक दिन के प्रवास पर मेवाड़ उपप्रर्वतक मेवाड़ भास्कर संत कोमल मुनि ने जैन उपासरा में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म मजबूरी में नहीं करना चाहिए। धर्म समय पास के लिए नहीं होता। वर्तमान में धर्म को मजबूरी का नाम दे दिया है, समय मिलेगा तो कर लेगें, यह सोच अज्ञानी, मुर्ख, नादान लोगों की हैं। धर्म करना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। रोटी में नमक ना हो तो रोटी बेस्वाद हो जाती है, वैसे ही जीवन मे धर्म नहीं हो तो जीवन बेकार हैं। जीवन में तमाम साधन सुख सब धर्म करने से ही प्राप्त होते हैं। ह्रदय को शुद्ध रखना ही धर्म का कार्य हैं। व्यक्ति का मन सद्गुण मे रमण करने लगे तो समझना चाहिए कि धर्म जीवन में उतर रहा हैं। बच्चों को सदमार्ग मे लाने के लिए अभिभावक को सदगुणी होना जरुरी हैं। इस मौके पर गेहरीलाल चपलोत, इदरमल बडोला, लाला अंकल, दीपक चपलोत, अर्जुन पंचोली, उदयलाल सिघंवी, पुष्पादेवी, इंदुबाला, अनिता, लक्ष्मीदेवी व बहुत से ग्रामीण मौजूद थे।