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जेकेके में नाटक ‘नेक चोर’ का मंचन:रिश्तों की जटिलता और खोखलेपन पर किया कटाक्ष; हास्य-व्यंग्य के अंदाज में किया प्रजेंट

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जवाहर कला केंद्र की ओर से आयोजित पाक्षिक नाट्य योजना के तहत गुरुवार को नाटक ‘नेक चोर’ का मंचन हुआ। यह नाटक डारिओ फो की ओर से रचित ‘द वर्चुअस बर्गलर’ का रूपांतरण है जिसका निर्देशन कमलेश, विजय और कल्पना ने किया है। यह नाटक रिश्तों के उलझे ताने-बाने पर आधारित है जिसे हास्य और व्यंग्य के अंदाज में प्रस्तुत किया गया। इसी कड़ी में शुक्रवार 25 अप्रैल को कृष्णायन सभागार में सक्षम खंडेलवाल के निर्देशन में नाट्य प्रस्तुति ‘हम गूंगे हैं’ का मंचन होगा। रंगायन में मंचित हुए इस नाटक की कहानी रिश्तों के उलझे तारों के इर्द-गिर्द घूमती है। नाटक शुरू होता है और एक चोर किसी घर में चोरी करने के इरादे से घुस जाता है तभी दरवाजे पर हुई आहट से वह डर जाता है और दीवार घड़ी के पीछे छिप जाता है। दरवाजे से एक आदमी-औरत अंदर आते हैं और उनकी बातों से चोर को यह मालूम पड़ता है कि यह आदमी ही घर का मालिक है और उसके साथ आई महिला इसकी पत्नी नहीं है। चोर ज्यादा देर तक छिप नहीं पाता और बाहर आ जाता है, यह गुत्थी और उलझ जाती और तभी आदमी की पत्नी भी घर में आ धमकती है। हड़बड़ाया हुआ उसका पति गैर महिला और चोर को पति-पत्नी बताकर अपना पल्ला झाड़ लेता है। हद तब हो जाती है जब उसकी पत्नी का मित्र भी उस घर में आ जाता है और चोर की पत्नी भी उसकी तलाश में वहां पहुंच जाती है। यह मामला अब तारों के गुच्छे से भी ज्यादा उलझ जाता है और चोर इन सब से तंग आकर, लोगों की बेईमानियां देखकर अपनी पत्नी को वहां से लेकर लौट जाता है। नाटक ‘नेक चोर’ का मर्म है कि एक मामूली सा चोर भी अपने रिश्तों में ईमानदारी रखे हुए है लेकिन लोग जितनी तरक्की हासिल कर रहे हैं उतना ही वह अपने रिश्तों में बेईमान हो चुके हैं। मंच पर विजय प्रजापत, कल्पना मौर्य, कुमार गौरव, ऋचा शर्मा, प्रतीक्षा सक्सेना, शुभम सोयल और विनय सैनी प्रमुख भूमिकाओं में रहे। लाइट कमलेश बैरवा, म्यूजिक जय राठौड़ व मंच प्रबंधन की जिम्मेदारी समीर बादल, उत्कर्ष कश्यप और संदीप मिश्रा ने संभाली।

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