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जेडीए के इंजीनियर ने खरीदे 4 बीघा जितने 60 प्लॉट:इनमें से 43 पत्नी, मां और बेटी के नाम; भाई-साले के नाम भी खरीदी जमीन

आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) के इंजीनियर अविनाश शर्मा के ठिकानों पर ACB के छापों की चर्चा हर जगह है। जेडीए में रहते अविनाश ने राजधानी जयपुर में जमीनें खरीदने की झड़ी लगा डाली। पत्नी, मां, बेटी, भाई, साले और साले के बेटे तक के नाम बेनामी संपत्तियां खरीदीं। खुद के नाम जमीनें खरीदीं, वो अलग। काली कमाई से अविनाश ने 60 प्लॉट खरीद लिए। ACB सूत्रों के अनुसार अविनाश की आय से अधिक संपत्ति बनाने की शिकायत करीब 6 महीने पहले आई थी। ACB टीम ने शिकायत के आधार पर इंवेस्टिगेशन शुरू किया तो एक के बाद एक परतें खुलने लगीं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… कॅरियर के 14 साल एक ही जोन में ACB की जांच में सामने आया कि 30 साल पहले अविनाश नौकरी लगा, तब उसके पास कुछ भी नहीं था। अविनाश 1994 में आवास विकास संस्था में जेईएन के पद पर लगा था। करीब 20 साल पहले राज्य सरकार ने इस संस्था को समाप्त कर दिया और जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) बना दिया। आवास विकास संस्था में लगे अधिकारी-कर्मचारियों को जेडीए में तैनात कर दिया गया। जेडीए के 20 साल में से 14 साल अविनाश ने एक ही जाेन (जोन-11) में निकाले। इस जोन में अजमेर रोड से डिग्गी मालपुरा रोड तक और बगरू, सेज, रोहिणी नगर सहित आस-पास का क्षेत्र आता है। यही नहीं, रिंग रोड का एक तरफ का हिस्सा भी इसी जोन से निकलता है। पिछले 14 साल में इस जोन का तेजी से विकास हुआ। 600 से ज्यादा कॉलोनियां बनीं। रिंग रोड सहित सड़कों का नेटवर्क बना। ACB सूत्रों के अनुसार इस दौरान 2 दर्जन से ज्यादा कॉलोनाइजर्स अविनाश के संपर्क में आ गए। फिर साठ-गांठ का खेल चला। पहले से जानकारी होने के कारण अविनाश पसंद की कॉलोनियों में खुद के नाम और परिजनों व रिश्तेदारों के नाम से बेनामी संपत्तियां खरीदने लगा। यही नहीं, ACB सूत्रों के अनुसार सड़कों का प्लान बनाने में भी अविनाश ने चहेते कॉलोनाइजर्स का ‘ध्यान’ रखा, जिससे उनके साथ खुद की जमीनों की भी दरें आसमान छूने लगीं। 30 साल का सर्विस रिकॉर्ड, बार-बार मिला जोन-11 1994 : आवास विकास संस्था में जेईएन (ये संस्था 2004 में समाप्त हो गई। इसके बाद अविनाश को जेडीए में लगा दिया गया) 2004 से 2010 : जोन-11 में जेईएन 2010 : जोन-11 में रहते एईएन (प्रमोशन) 2013 तक : जोन-11 में ही 2015 : एक्सईएन (प्रमोशन), फिर जोन-11 मिला 2015 : रिंग रोड प्रोजेक्ट 2019 : पृथ्वीराज नगर का अतिरिक्त चार्ज 2022 : एसई (प्रमोशन), फिर जोन-11 मिला राजधानी में 4 बीघा जितने प्लॉटों का मालिक अविनाश ने जयपुर में अलग-अलग कॉलोनियों में इतनी जमीनें खरीदीं कि इन्हें जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा 4 बीघा पहुंच जाता है। ACB सूत्रों के अनुसार अविनाश ने अब तक 15 हजार गज से अधिक जमीन की खरीद-फरोख्त की। एक बीघा में करीब 3000 वर्गगज जमीन होती है। ऐसे में टुकड़ों-टुकड़ों में अलग-अलग कॉलोनियों में खरीदी जमीनों को जोड़ लिया जाए तो ये 4 बीघा से अधिक हो जाती हैं। इनमें कॉमर्शियल प्लॉट भी शामिल हैं। मानसरोवर एक्सटेंशन में कीर्ति नगर की मेन रोड पर अविनाश की पत्नी और बेटी के नाम 1000 वर्गगज जमीन पर लग्जरी ढाबा भी चलाया जा रहा है। इस रोड पर कॉमर्शियल जमीनें होने के कारण बाजार भाव 2 लाख रुपए वर्गगज से भी अधिक है। ACB जांच में सामने आया कि 30 साल की सर्विस के दौरान अविनाश ने खुद के नाम 13 प्लाॅट खरीदे। मां, पत्नी, भाई, साले और साले के बेटे के नाम बेनामी संपत्ति के रूप में भी दर्जनों प्लॉट खरीद डाले। ACB जांच अभी जारी है और जमीनों का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है। एक ही कॉलोनी में लाइन से 9 तक प्लॉट खरीदे अविनाश ने अवैध कमाई को कई जमीनों में इंवेस्ट किया। उसके घर सहित 7 ठिकानों पर छापे में ACB को कई चौंकाने वाली फाइलें मिली हैं। जमीनों से संबंधित मिली फाइलों से पता चला कि कई कॉलोनियों में अविनाश शर्मा ने लाइन से 9 प्लॉट तक खरीदे हैं। इनमें 80 से 90 फीसदी प्लॉटों की खरीद बेनामी संपत्ति के तौर पर अपने परिजनों और रिश्तेदारों के नाम से की गई है। हरे कृष्णा विहार में तो लाइन से प्लॉट खरीदे गए हैं। प्लॉट भाई के नाम पर, मोबाइल नंबर पत्नी-बेटी के अविनाश का भाई दुबई में सीए है। भाई के नाम से जयपुर के राठी नगर बदरवास में गोदाम है। वहां बिजली कनेक्शन में मोबाइल नंबर अपनी बेटी के दिए। वहीं, भाई के नाम से लवकुश विहार, आसरपुरा, जयपुर में बाउंड्रीवाल और मकान बनवाया, लेकिन मोबाइल नंबर अपनी पत्नी के दिए। ACB का मानना है कि अविनाश ने दोनों प्लॉट अवैध रूप से अर्जित आय से अपने भाई के नाम पर बेनामी लिए थे। अविनाश शर्मा 157, हिम्मत नगर में 272 वर्गगज के मकान में रह रहा है। उसने ये प्लॉट भाई नवीन शर्मा के नाम खरीदा। दो मंजिल का लग्जरी मकान बनवाया हुआ है। तीसरी मंजिल पर सोलर संयंत्र लगाया हुआ है। इस पर बिजली कनेक्शन में पत्नी के मोबाइल नंबर दिए हुए हैं। एसीबी इसे भी बेनामी संपत्ति के रूप में खरीद मान रही है। भाई-साले ने गिफ्ट के रूप में लौटा दी जमीन भाभी को दिया गिफ्ट : अविनाश शर्मा ने नारायण सागर विस्तार, आसरपुरा, सांगानेर में 263 वर्गगज का प्लॉट नंबर-1 अपने सीए भाई नवीन के नाम से खरीदा। सीए भाई ने 2013 में ये प्लॉट अविनाश शर्मा की पत्नी को गिफ्ट कर दिया। इस प्लॉट को 19 जुलाई को बेच दिया। खुद को दिया गिफ्ट : सीए भाई के नाम से अविनाश ने 2008 में 05, गोविंद नगर गणपतपुरा सांगानेर में 223 वर्ग मीटर का प्लॉट खरीदा। 2013 में सीए भाई ने इसे अविनाश को गिफ्ट कर दिया। साले ने बेटी को दिया गिफ्ट : एसीबी की जांच में सामने आया कि अविनाश ने अपने साले के नाम 2019 में 21, कीर्ति सागर-ए बदरवास, सांगानेर में 555 वर्गगज का प्लॉट खरीदा, जो उसने बाद में अविनाश की बेटी स्तुति शर्मा को गिफ्ट में दे दिया। 3 जुड़े हुए कॉमर्शियल प्लॉट : ACB के अनुसार अविनाश ने 2010 में एससी-17, 18 व 19, गोविंद नगर, गणपतपुरा सांगानेर में साले की ओर से खरीद दिखाकर वर्ष 2024 में तीनों प्लॉट के भावी अधिकार अपनी पत्नी को दिलवा दिए। दो जुड़े हुए प्लॉट पर लग्जरी ढाबा : प्लॉट नंबर 10 और 21, कीर्ति सागर-ए, बदरवास सांगानेर में पत्नी और बेटी के नाम से खरीदा। इन प्लॉट पर होटल/ढाबे का निर्माण करवाया। करीब 6 कमरे, दो लग्जरी टेंट, वीआईपी फर्नीचर और शानदार इंटीरियर है। खुद अविनाश शर्मा के नाम प्रमुख जमीनें पत्नी के नाम प्रमुख जमीनें कॉमर्शियल मां के नाम प्रमुख जमीनें (2020 में दिवंगत) बेटी के नाम प्रमुख जमीनें

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