झुंझुनूं के रामपुरा गांव निवासी सुमेर सिंह मीणा की दुबई में रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत का आरोप परिजनों ने एजेंट कमलेश सोनी और विनोद रामसरा को बताया है। आरोप है कि दोनों ने झूठे वादे और गलत वीजा देकर सुमेर को मौत के मुंह में धकेला। सुमेर मीणा की बेटी रेनू ने झुंझुनूं पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर एजेंट विनोद रामसरा और कमलेश सोनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इधर, राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने मामले को लेकर कहा- सुमेर मीणा को बचाया जा सकता था, अगर पुलिस 2013 के एक मामले में संज्ञान लिया होता। उन्होंने कहा- एजेंट कमलेश-प्रवीण 2013 में भी भारत के एक दल को सऊदी अरब में फंसा दिया था। इसके बाद 82 मजदूरों का रेस्क्यू कर उन्हें भारत सकुशल लाया गया था। पहले पढ़िए घटना की पूरी टाइमलाइन भंडारी ने एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की इस घटना के बाद राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने झुंझुनूं कलेक्टर डॉ. अरुण गर्ग से बात कर कमलेश और विनोद के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की। भंडारी ने दुबई में कौंसिल जनरल ऑफ इंडिया को पत्र भी लिखा है और न्यूयॉर्क से फोन पर भी बात की है। उन्होंने यूएई में भारतीय दूतावास के अधिकारियों चंद्रभान, बलवंत सिंह और दीक्षा वर्मा से संपर्क कर सुमेर मीणा की मृत्यु की वास्तविक परिस्थितियों की पूरी जांच, दोषियों की गिरफ्तारी और परिवार को न्याय दिलाने में सहयोग की मांग की है। आरोप- विदेश में हुई हत्या सुमेर सिंह मीणा के परिजनों के अनुसार, उन्होंने एजेंट विनोद को 1 लाख रुपए दिए थे, जिसने सुमेर को आरोपी कमलेश सोनी के माध्यम से दुबई भेजा। उन्हें दुबई में एक अच्छी कंपनी में नौकरी दिलाने का झांसा दिया गया था, लेकिन कमलेश सोनी ने सुमेर को एक गलत जगह भेज दिया। जहां उन्हें सही काम नहीं मिला और रहने की भी पर्याप्त जगह नहीं थी। करीब 3 माह तक सुमेर सिंह से कोई संपर्क नहीं हो पाया। जिसके बाद उनकी मौत की दुखद सूचना मिली। परिजनों का आरोप है कि सुमेर की मृत्यु सामान्य नहीं थी, बल्कि उनकी हत्या की गई है। 2013 से पुलिस की अनदेखी का खामियाजा राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (RANA) के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने बताया- यह पहला मौका नहीं है जब कमलेश सोनी पर कबूतरबाजी के आरोप लगे हैं। अगर 2013 में ही कमलेश सोनी के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई करती तो आज सुमेर मीणा को दुबई में भटकना नहीं पड़ता और शायद उनकी जान बच जाती। भंडारी ने बताया- 2013 में भी कमलेश सोनी और उसके साथी प्रवीण सोनी ने कई राजस्थानी मजदूरों को सऊदी अरब में फंसा दिया था। तब भी प्रेम भंडारी के प्रयासों से 33 राजस्थानी सहित कुल 82 मजदूरों को सऊदी अरब से भारत वापस लाया गया था। तत्कालीन CS ने कमिश्नर को लिखा था पत्र भंडारी बताते हैं- 2013 में कमलेश सोनी द्वारा भेजे गए कुछ लोग सऊदी अरब में फंस गए थे। उस समय फंसे हुए लोगों की सऊदी अरब में खाने की व्यवस्था करवाई। राजस्थान के 33 लोगों के लिए सऊदी अरब से इंडिया की टिकट की व्यवस्था करवाई थी। भंडारी ने बताया- इसके बाद, सोनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए जयपुर के तत्कालीन कमिश्नर को पत्र लिखा और उनसे फोन पर भी बात की, लेकिन कमलेश सोनी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। इसके बाद अमेरिका से तत्कालीन मुख्य सचिव को इस विषय में अवगत कराया और उन्हें पत्र भी लिखा। इसके बाद अमेरिका से जयपुर आए और तत्कालीन मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू से मुलाकात की। मुख्य सचिव को पूरे मामले से अवगत कराया और बताया कि कैसे ऐसे एजेंटों के कारण कई लोगों का जीवन खराब हो रहा है। भंडारी की पहल पर दर्ज हुआ मामला भंडारी ने बताया- इसके बाद मुख्य सचिव सी.के. मैथ्यू ने जयपुर के तत्कालीन कमिश्नर को एक डीओ (डेमी-ऑफिशियल) लेटर लिखा। इस लेटर के मिलने के बाद कमिश्नर के निर्देश पर जयपुर पुलिस ने मामला दर्ज किया। उस समय तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर डॉ. गिरिराज मीणा ने मामले को गंभीरता से लिया। रिटायर्ड आईजी गिरीराज मीणा ने बताया कि मामले की जांच की गई। 42 लाख का पेमेंट भी वापस करवाया जांच के बाद एजेंट कमलेश सोनी से राजस्थान के 33 लोगों से लिया हुआ करीब 42 लाख रुपए का पेमेंट वापस करवाया गया। जिससे सभी मजदूरों को बड़ी राहत मिली। इन 33 लोगों उस वक्त भी मलसीसर के भंवर सिंह भी शामिल थे। इन्हें भी सऊदी अरब से निकलवाया था। प्रेम भंडारी ने बताया कि अब भी कमलेश सोनी जैसे लोगों के चुगुल में बहुत से लोग फंसे हुए हैं। प्रेम भंडारी ने मांग की है कि अब कमलेश सोनी को मौत का जिम्मेदार मानकर मामला दर्ज किया जाए। इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, ताकि पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके। RANA अध्यक्ष की मदद से सुमेर का शव आ पाया सुमेर सिंह के मामले पर प्रेम भंडारी ने कहा- शव को देखने के बाद परिवार को आशंका है कि मृत्यु सामान्य नहीं थी, बल्कि हत्या की गई। यदि कंपनी द्वारा मृतक के लिए कोई जीवन बीमा कराया गया हो तो उसकी राशि शीघ्र और बिना किसी अड़चन के परिवार तक पहुंचाई जाए। भंडारी ने जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ से भी बात की है और कबूतरबाजों पर कार्रवाई को लेकर लगातार संपर्क में हैं। प्रेम भंडारी के प्रयासों से ही सुमेर सिंह के शव को दुबई से झुंझुनूं लाने में मदद मिली है। राजस्थान कम्युनिटी सऊदी अरब के अध्यक्ष झुंझुनूं के मोहम्मद गुलाम खान कहते हैं- कबूतरबाज और फर्जी एजेंट आकर्षक नौकरी का झांसा देकर लोगों को गलत कंपनियों में भेज देते हैं। जहां उनका भविष्य और जीवन दोनों खतरे में पड़ सकते हैं। ऐसे में, पूरी पड़ताल करने के बाद ही नौकरी के लिए विदेश जाने की प्लानिंग करें। सुमेर सिंह की मौत से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… बेटी ताबूत से लिपटकर रोई, बोली-पापा को नींद में मारा: दुबई में कंपनी ने मिसिंग बताया, कहा-ट्रक ने कुचला, 3 महीने पहले आखिरी कॉल-नौकरी छोड़ रहा हूं झुंझुनूं से रोजी-रोटी की तलाश में सुमेर सिंह मीणा ने दुबई का रुख किया था। कर्ज लेकर पहुंचा। 8 महीने जॉब की। 3 महीने पहले अचानक वह गायब हो गया। परिवार से कोई संपर्क नहीं। दुबई में जिस कंपनी में काम कर रहा था, उसने भी मिसिंग बताया। (पढ़ें पूरी खबर)