विश्व पर्यावरण दिवस के विशेष अवसर पर सम्राट अशोक उद्यान में मोहनी योग संस्थान द्वारा आयोजित निःशुल्क योग शिविर में योग के साथ विश्व पर्यावरण दिवस उत्सव मनाया गया। योग प्रशिक्षक मुक्ता माथुर ने कहा कि योग ही हमें प्रकृति के प्रति सम्मान कृतज्ञता का भाव सिखाता है। हमें ये समझने में मदद करता है कि हम भी पर्यावरण का हिस्सा है। हमें प्रकृति की महता को समझना चाहिए। योग आसन सूर्य नमस्कार वृक्ष आसन हमें जागरुक कर प्रकृति से जोड़ देते है। पर्यावरण संरक्षण प्रत्येक नागरिक नैतिक दायित्व है। शिविर में सभी योग साधकों ने एक दूसरे को हरसिंगार, नाग चम्पा, अशोक, गुलमोहर, नीम, आम, मनी प्लांट, अजवाइन, शीशम, बादाम, ऐलोवेरा, तुलसी आदि औषधीय और छायादार पौधों का उपहार स्वरुप आदान प्रदान किया। विश्व हिन्दू परिषद सह प्रांत मंत्री महेन्द्र उपाध्याय ने शिविर में सभी योग साधकों से शपथ दिलाई कि पौधे को उचित स्थान पर लगाकर जब तक पौधा बढ़ा नहीं हो हो जाता, उसकी सार सम्भाल करेंगे। शिविर में रजनी सोलंकी हेमन्त निधि भार्गव, अंजलि मित्तल, परशुराम सुथार, चारु माहेश्वरी, उमा राजेंद्र माथुर, प्रेम भाटिया, किरण शर्मा, अरविंद सुराना, गुंजन माथुर ने सभी का उत्साहवर्धन किया। निशुल्क योग शिविर में आमजन ले रहे स्वास्थ्य लाभ सम्राट अशोक उद्यान में अन्तरराष्ट्रीय योग के दिवस के अवसर पर मोहिनी योग संस्थान द्वारा आयोजित 25 दिवसीय निःशुल्क योग शिविर में बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोग स्वास्थ्य लाभ लेने पहुंच रहे हैं। योग एक्सपर्ट मुक्ता के अनुसार आज के भौतिक योग हमे स्वस्थ्य रहने के लिए योग प्राणयाम ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बनना ही होगा, योग शिविर महिलाएँ पुरुष बुजुर्ग बच्चे सभी उत्साह पूर्वक भाग ले रहें है। शिविर में हर बीमारी से संबंधित सूक्ष्म आसान, आसान, प्राणायाम का अभ्यास करवाया जा रहा है। पर्यावरण और योग का गहरा संबंध मुक्ता माथुर ने बताया – योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा को जोड़ने का एक तरीका है. योग हमें प्रकृति से जुड़ना सिखाता है और हमें यह समझने में मदद करता है कि हम भी पर्यावरण का एक अभिन्न अंग हैं जब हम योग का अभ्यास करते हैं तो हम भीतर से जागरुक होते हैँ यह जागरूकता हमें अपने आसपास के पर्यावरण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाती है. सचेत जीवन शैली: योग हमें अपनी उपभोग की आदतों के प्रति अधिक सचेत रहने में मदद करता है. जब हम ध्यान और प्राणायाम करते हैं, तो हम अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओं को बेहतर ढंग से समझते हैं, जिससे अनावश्यक चीज़ों की ख़रीददारी कम होती है. यह सीधे तौर पर अपशिष्ट को कम करने और संसाधनों के संरक्षण में योगदान देता है. प्रकृति के प्रति सम्मान: योग हमें प्रकृति के प्रति सम्मान और कृतज्ञता का भाव सिखाता है. सूर्य नमस्कार, वृक्ष आसन जैसे योगासन हमें प्राकृतिक तत्वों से जोड़ते हैं, जिससे हम प्रकृति के साथ एकात्म महसूस करते हैं. यह भावना हमें पर्यावरण को बचाने और उसकी देखभाल करने के लिए प्रेरित करती है. स्वस्थ जीवन, स्वस्थ ग्रह: एक स्वस्थ व्यक्ति एक स्वस्थ समाज का निर्माण करता है और एक स्वस्थ समाज एक स्वस्थ ग्रह का निर्माण करता है। जिससे हम पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग ले पाते हैं।