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झुंझुनूं शहर में बिजली सिर्फ सुविधा नहीं, बल्कि जानलेवा संकट बन गई है। शहर की अंसारी कॉलोनी, काजीवाड़ा, चूरू बाइपास, पीपली चौक इलाकों में कई घर ऐसे हैं जिनके अंदर 33 केवी के पोल खड़े हैं। छत से 2 फीट की दूरी पर करंट के तार गुजरते हैं। बारिश में मकानों की दीवारों करंट दौड़ता है। इन कॉलोनियों के लोग दहशत के साये में जीते हैं। पिछले दो साल में 12 लोगों की मौत करंट से हो चुकी है। घर के आंगन में 33 केवी पोल… आंगन में मौत का साया: बच्चे छत पर नहीं खेल सकते अंसारी कॉलोनी में अब्दुल हमीद के घर में घुसते ही दरवाजे के पास 33 केवी का बिजली पोल है। छत से दो फीट की ऊंचाई से गुजर रहे बिजली के तारों से करंट का खतरा बना रहता है। हमीद ने बताया- यह कोई नई बात नहीं है। हमारे आसपास के सभी घरों की यही हालत हैं। बच्चे छत पर नहीं खेल सकते। डर के साये में जीते हैं। कई बार हमने बिजली विभाग से शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। पड़ोस में रहने वाले रईस के साथ हुई घटना का जिक्र करते हुए हमीद ने बताया-लाइन छतों के ऊपर से निकल रही है। 3 दिन पहले ही एक बच्चा खेलते वक्त झूलते तार से छू गया। झटका लगते ही वह नीचे गिर पड़ा, चिपक जाता तो नहीं बचता। हर दिन जान पर बनती है। बारिश में दीवारों में करंट: बिजली का स्विच छूते भी डरते हैं अंसारी कॉलोनी में ही रहने वाली शमीम ने बताया- बारिश में हमारे घर की दीवारों में करंट आ जाता है। टीवी, फ्रिज-सबमें करंट है। हम तो डर के मारे बिजली का स्विच भी नहीं छूते। प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। सुरक्षा के बुनियादी उपाय भी नदारद हैं, हम लोग हर पल मौत के मुहाने पर खड़े हैं। हादसों की लंबी फेहरिस्त: 2 साल में 12 जानें लीं झूलते तारों ने भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि पिछले 2 साल में कम से कम 12 जानलेवा हादसे हो चुके हैं। ये सभी हादसे या तो झूलते तारों, खुले पोल, या फिर अंडरग्राउंड न की गई हाईटेंशन लाइनों के कारण हुए। कुछ प्रमुख हादसे इस प्रकार हैं- 330 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर, काम अधूरा: “प्रक्रिया में है” कहकर टाल रहा विभाग वर्ष 2023 में आरडीएसएस योजना के तहत झुंझुनूं सहित 11 कस्बों के लिए 330 करोड़ रुपए की योजना मंजूर की गई थी। इस योजना के तहत झुंझुनूं में 50 किमी और मंडावा में 32 किमी बिजली लाइन को अंडरग्राउंड किया जाना था। लेकिन अब तक केवल 275 करोड़ रुपए का काम ही शुरू हो पाया है। लोगों की जान जा रही है, लेकिन बिजली विभाग “प्रक्रिया में है” कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है। बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता महेश टीबड़ा ने कहा- हमने कंट्रोल रूम बनाया है। 330 करोड़ की योजना में से अधिकतर काम चालू हो चुका है। जहां भी पोल क्षतिग्रस्त हैं, हम सही करवा रहे हैं। कॉलोनी के लोगों में गुस्सा अंसारी कॉलोनी के जावेद हुसैन ने गुस्से में कहा- अगर अब भी हमारी सुनवाई नहीं हुई तो हम वोट का बहिष्कार करेंगे। कितनी बार शिकायत करें? शाहिद अंसारी ने बताया- अब कॉलोनी में ट्रांसफॉर्मर लगाने की योजना है, जिससे खतरा और बढ़ जाएगा। यह दिखाता है कि जनता का धैर्य जवाब दे चुका है और अब कार्रवाई चाहते हैं। ये मौतें केवल हादसे नहीं हैं। ये सिस्टम की हत्या है। कई साल से शिकायतें हो रही हैं, लोगों ने अपने बच्चों को खोया है, महिलाएं करंट से झुलसी हैं, लोग जल चुके हैं, फिर भी विभाग की कार्यशैली में कोई बदलाव नहीं आया है। यदि अंडर ग्राउंडिंग का काम समय पर हो जाता, तो ये मासूम जानें बच सकती थीं। गौरव पथ पर लाइन अंडरग्राउंड, बाकी शहर में मौत 2013 में गौरव पथ परियोजना के तहत शहर की रोड नंबर 2 की बिजली लाइन को अंडरग्राउंड कर दिया गया था, जिससे वहां सुरक्षा सुनिश्चित हुई। लेकिन बाकी का शहर अब तक उपेक्षित है। शहर की बाकी गलियों और मोहल्लों को कब जीवन का अधिकार मिलेगा? कब उन्हें इन जानलेवा तारों से मुक्ति मिलेगी? अंडर ग्राउंडिंग के फायदे बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता महेश टिबड़ा ने बताया कि बिजली लाइनों को अंडरग्राउंड करने से सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, बल्कि कई अन्य फायदे भी होते हैं, जिन पर बिजली विभाग को तुरंत ध्यान देना चाहिए:

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