राजस्थान के झुंझुनूं जिले से शुरू हुई आदर्श आंगनबाड़ी योजना अब पूरे प्रदेश के लिए मिसाल बनने जा रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग की नई योजना के तहत झुंझुनूं जिले के 70 आंगनबाड़ी केन्द्रों को आदर्श रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए 1 करोड़ 55 लाख 68 हजार 100 रुपए की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी गई है। योजना की शुरुआत झुंझुनूं जिले से हुई है और यही से पूरे राज्य के बदलाव की नींव रखी जा रही है। झुंझुनूं जिले के हर विधानसभा क्षेत्र में 10-10 आंगनबाड़ी केन्द्रों का चयन किया गया है। ये वे केंद्र हैं जहां या तो भवन जर्जर हालत में हैं, या फिर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। बच्चों के लिए सुरक्षित, स्वच्छ और प्रेरणादायक वातावरण तैयार करने के उद्देश्य से इन केन्द्रों को पूरी तरह आधुनिक स्वरूप में बदला जाएगा। हर भवन के लिए अलग प्रस्ताव विभाग द्वारा केन्द्रों की मौजूदा स्थिति का निरीक्षण कर प्रत्येक भवन के लिए अलग-अलग प्रस्ताव तैयार किए गए थे, जिन्हें समेकित बाल विकास सेवाएं निदेशालय, जयपुर को भेजा गया। इसमें यह जानकारी भी शामिल की गई थी कि केन्द्र ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है या शहरी इलाके में, वहां क्या सुविधाएं हैं और किन सुधारों की सख्त जरूरत है। इन तथ्यों के आधार पर अब राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में 2000 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए करीब 40 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति जारी कर दी है। बच्चों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना है उद्देश्य इस योजना का उद्देश्य सिर्फ भवन मरम्मत या सौंदर्यकरण नहीं है, बल्कि बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास के लिए एक समुचित और अनुकूल वातावरण तैयार करना है। महिला एवं बाल विकास विभाग का मानना है कि बच्चों के पोषण के साथ-साथ उन्हें गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा और सुरक्षित वातावरण देना भी विभाग की बड़ी जिम्मेदारी है, जिसे अब जमीनी स्तर पर मजबूत किया जा रहा है। झुंझुनूं जिले के जिन गांवों में आंगनबाड़ी केन्द्रों को आदर्श केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, उनमें लांबा गोठड़ा, नरहड़, खुदान, बुडानिया, बाजवा, घनडावा, खेड़ला, देवरोड, भगिना, गाढ़ाखेड़ा, गुजरवास, डूमोली खुर्द, पचेरी खुर्द, मुरादपुर, मदनसर, भोबीया, भूडनपुरा, अडुका, काजड़ा (सेकंड), कालोटा, चिचडोली, ढाणी बाढ़ान, गाढराटा, ठाठवाली, इलाखर, भजनावाली, लोयल, पपुरना, बढ़ाऊं, सीतसर, बाडलवास, रघुनाथपुरा, इस्लामपुरा, मरोत, सुल्ताना, चनाना, गोवला, मालूपुरा, गिढानिया, जाबासर, कालियासर, कमालसर, मलसीसर, अलसीसर, धनुरी, मोजास, तेतरा, सेनीपुरा, बजावा, सिंगनोर, मैनपुरा, गुढ़ागौड़जी, खरबासा की ढाणी, टिटनवाड, जहाज, सराय, जोहड़ की ढाणी, चैनगढ़, सोटवार, खिरोड़, सुल्तानपुरा, राणासर, मिलो की ढाणी, दुर्जनपुरा और ढ़ीगाल जैसे गांव शामिल हैं। जिले के 70 केंद्र शामिल जिला उप निदेशक विजेन्द्र राठौड़ ने बताया कि झुंझुनूं जिले के जिन 70 केन्द्रों को इस योजना में शामिल किया गया है, वहां जल्द ही निर्माण कार्य शुरू करवा दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इन केन्द्रों पर 14 तरह के कार्य प्रस्तावित हैं, जिसमें छत व फर्श की मरम्मत, बिजली-पानी की सुविधा, शौचालय, बाल चित्रकारी, स्लैब युक्त रसोई, आरओ वाटर प्यूरीफायर और चिल्ड्रन पार्क जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इन कार्यों से केन्द्रों की दशा और दिशा दोनों बदलेगी। उन्होंने यह भी बताया कि केन्द्रों के कायाकल्प से बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोतरी होगी। अभी तक कई ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी भवनों की स्थिति इतनी जर्जर थी कि बारिश में पानी टपकता था, दीवारें गिरी हुई थीं, बच्चों के बैठने की व्यवस्था नहीं थी और ना ही पीने के पानी या शौचालय की कोई सुविधा। अब इन सभी समस्याओं का स्थायी समाधान किया जाएगा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भी इस योजना के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे बाल विकास, पोषण प्रबंधन, किचन गार्डन, स्वास्थ्य देखरेख और प्रारंभिक शिक्षा के प्रति ज्यादा सजग और सशक्त हो सकें। योजना का उद्देश्य आंगनबाड़ी को सिर्फ एक पोषण वितरण केंद्र नहीं, बल्कि बाल विकास केंद्र के रूप में तैयार करना है। यह योजना केवल झुंझुनूं जिले तक सीमित नहीं रही। विभाग ने राज्य के सभी जिलों से भवन मरम्मत की स्थिति, बच्चों की संख्या, भौगोलिक स्थिति, प्राथमिकताओं और आवश्यकताओं के अनुसार चिन्हित केंद्रों की सूची मांगी थी। इसके आधार पर प्रदेश के 2000 केन्द्रों को पहले चरण में आदर्श केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना को अंतिम रूप दिया गया। प्रस्तावित काम 14 बिंदुओं पर आधारित राज्य स्तर पर जो कार्य प्रस्तावित हैं, वे भी 14 बिंदुओं पर आधारित हैं। इनमें सबसे अधिक खर्च भवनों की छत, फर्श, टॉयलेट और बाल चित्रकारी जैसी संरचनात्मक सुविधाओं पर किया जाएगा। राज्यभर में 1446 केन्द्रों पर छत की मरम्मत, 1449 केन्द्रों पर फर्श सुधार, 1514 केन्द्रों पर बाल चित्रकारी और 1618 केन्द्रों पर बाल अनुकूल शौचालय बनवाए जाएंगे। इसके अलावा 1630 केन्द्रों पर पानी की टंकी, 1622 पर नल फिटिंग, 1658 केन्द्रों पर टंकी से जल आपूर्ति की फिटिंग, 1406 पर बिजली फिटिंग, 1567 केन्द्रों पर पंखे और एलईडी बल्ब जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। 2000 सभी केन्द्रों पर आरओ सिस्टम लगाया जाएगा, ताकि बच्चों को शुद्ध पेयजल मिल सके। रसोई के लिए भी सभी केन्द्रों पर स्लैब निर्माण करवाया जाएगा और 1339 केन्द्रों पर चिल्ड्रन पार्क विकसित किए जाएंगे। इन पार्कों में छोटे बच्चों के लिए झूले, स्लाइड और खेलने के अन्य संसाधन होंगे। बालकों के लिए यह स्थान एक प्रेरक और शिक्षाप्रद वातावरण तैयार करेगा।

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