झुंझुनूं रोडवेज डिपो इन दिनों हजारों यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। दिल्ली, हरिद्वार, चिड़ावा, पिलानी, राजगढ़ और आसपास के बड़े रूटों पर यात्रा करने वाले यात्रियों को टिकट के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। पिछले तीन महीनों से दिल्ली रूट की टिकट विंडो बंद पड़ी है। जिसका मुख्य कारण खराब कंप्यूटर बताया जा रहा है। इस अव्यवस्था से सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्ग यात्रियों को हो रही है। जिन्हें मोक्ष कलश यात्रा जैसी महत्वपूर्ण यात्राओं के लिए भी कई बार रिक्वेस्ट करनी पड़ती है, इसके बाद टिकट देते हैं। टिकट की मारामारी से बुजुर्ग यात्री सबसे ज्यादा परेशान झुंझुनूं डिपो पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में बुजुर्ग यात्री दिल्ली और हरिद्वार जैसे महत्वपूर्ण रूटों के लिए आते हैं। इनमें से कई ऐसे होते हैं जो सरकारी सुविधा का लाभ लेते हुए मोक्ष कलश यात्रा के लिए जा रहे होते हैं। लेकिन टिकट काउंटर बंद होने से इन बुजुर्गों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। कई बार तो टिकट लाने के दौरान उनकी बसें ही निकल जाती हैं। चिड़ावा निवासी 68 वर्षीय यात्री विक्रम ने बताया- मैं दो बार दिल्ली जाने आया, पर दोनों बार टिकट लाने गया तो बस निकल गई। अगर बस के पास ही टिकट मिल जाए तो आम आदमी को परेशानी न हो। न बस में चढ़ सकते, न टिकट मिलती: यात्रियों की दुविधा परिचालकों का साफ कहना है कि स्टैंड से बैठने वाले यात्रियों को टिकट लेकर ही बस में चढ़ना होगा। वहीं, काउंटर से टिकट लेने जाने पर अक्सर बस छूट जाती है। ऐसे में आम यात्रियों के पास कोई विकल्प नहीं बचता। बस में बैठे कुछ यात्रियों को जब परिचालक से टिकट मांगी गई तो जवाब मिला कि वे डिपो से बाहर निकलने के बाद ही टिकट काट सकते हैं। लेकिन स्टैंड से चढ़ने वालों को टिकट विंडो से ही लेनी पड़ेगी। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर कोई बुजुर्ग हो तो वे मदद कर देते हैं। तीन महीने से दिल्ली टिकट विंडो बंद, कई रूटों की मशीनें सालों से खराब दैनिक भास्कर की टीम ने ग्राउंड पर पड़ताल की तो पाया कि दिल्ली रूट की टिकट विंडो वाकई पिछले तीन महीने से बंद है, जिसका कारण खराब कंप्यूटर बताया गया है। इसकी सूचना संबंधित कंपनी और उच्च अधिकारियों को दी जा चुकी है, लेकिन मरम्मत अभी तक नहीं हुई है। एक टाइम कीपर ने बताया कि पहले एक कंप्यूटर से एक साथ तीन रूट की बुकिंग हो जाती थी, लेकिन अब एक मोबाइल मशीन से सिर्फ एक ही बस की टिकट काटी जा सकती है, जिससे लंबी कतारें लग जाती हैं और बसें भी लेट होती हैं। चौंकाने वाली बात यह भी है कि सिर्फ दिल्ली रूट ही नहीं, बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण रूटों की टिकट मशीनें तो सालों से बंद पड़ी हैं- बार-बार अधिकारियों को सूचना देने के बावजूद न तो कंपनी द्वारा मशीनें सुधारी जाती हैं और न ही विभाग की ओर से कोई वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है। जयपुर रूट को छोड़ बाकी रूटों की हालत खराब झुंझुनूं डिपो में केवल जयपुर टिकट काउंटर नियमित रूप से काम कर रहा है, जहां जयपुर वाया सीकर रूट की बुकिंग होती है। लेकिन दिल्ली, हरिद्वार, चिड़ावा जैसे बाकी महत्वपूर्ण रूटों की टिकट के लिए यात्री परेशान हैं। चार कर्मचारियों को मोबाइल टिकट मशीनें दी गई हैं, लेकिन जब वे नदारद रहते हैं तो यात्रियों की परेशानी और बढ़ जाती है। सवाल उठता है- एक कंप्यूटर से पूरे डिपो की बुकिंग कैसे? पूरे झुंझुनूं डिपो की टिकट बुकिंग व्यवस्था एक ही कंप्यूटर से चल रही है, जो कई बार धीमे नेटवर्क या तकनीकी कारणों से बंद हो जाता है। ऐसे में प्रतिदिन हजारों यात्रियों को लंबी कतारों में लगकर टिकट लेने के बावजूद बस न मिल पाना, रोडवेज विभाग की घोर लापरवाही का खुला सबूत है। जल्द होगा समाधान झुंझुनूं रोडवेज के नव-नियुक्त चीफ मैनेजर गिरिराज स्वामी ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा- मुझे इस डिपो में आए हुए 6 दिन ही हुए हैं, लेकिन मैं जल्द ही दिल्ली टिकट विंडो को प्राथमिकता पर चालू करवाने का काम करवा रहा हूं। यात्रियों को असुविधा नहीं होनी चाहिए। टाइम कीपर प्रभु दयाल ने भी बताया- चार कर्मचारियों को मोबाइल मशीन दी गई है, जिससे बस शुरू होने से पहले टिकट कटवाने की जिम्मेदारी है। लेकिन मशीन एक समय में केवल एक बस को कवर करती है, जबकि कंप्यूटर से तीन रूटों की टिकट काटी जा सकती थी। उन्होंने कई बार अधिकारियों को सूचित किया है लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ।