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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 की वैल्यू बीते हफ्ते कंबाइंड रूप से 1,85,186.51 करोड़ रुपए (1.85 लाख करोड़ रुपए) बढ़ी है। इस दौरान लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) टॉप गेनर रही। हफ्ते भर में कारोबार के दौरान जीवन बीमा कंपनी की वैल्यूएशन में 44,907.49 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई। अब कंपनी का मार्केट कैप 7.47 लाख करोड़ रुपए हो गया। इससे पहले कंपनी का मार्केट कैप 7.02 लाख करोड़ रुपए था। रिलायंस की वैल्यू 62,009 करोड़ कम हुई
LIC के अलावा इंफोसिस, ITC, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), भारती एयरटेल और HDFC बैंक ने भी इस दौरान बाजार में खूब कमाई की। वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैप इस दौरान 62,009 करोड़ कम होकर 20.42 लाख करोड़ रुपए रह गया है। यह लगातार दूसरा सप्ताह रहा जब कंपनी का मार्केट कैप कम हुआ है। एक महीने में 3.58% गिरा रिलायंस का शेयर
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर ने पिछले 5 दिन में 1.03% और एक महीने में 3.58% का निगेटिव रिटर्न दिया है। हालांकि, पिछले 6 महीने में कंपनी का शेयर 4.23% और एक साल में 19.41% चढ़ा है। इस साल यानी 1 जनवरी से अब तक रिलायंस का शेयर 16.54% चढ़ा है। शुक्रवार को 1292 अंक ऊपर बंद हुआ सेंसेक्स
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (26 जुलाई) को शेयर बाजार में तेजी देखने रही। निफ्टी ने 24,861 का ऑल टाइम हाई बनाया और 428 अंक की तेजी के साथ 24,834 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, सेंसेक्स 1292 अंक की तेजी के साथ 81,332 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 27 में तेजी और 3 में गिरावट देखने को मिली। निफ्टी के 50 शेयरों में से 47 में तेजी और 3 में गिरावट रही। पिछले हफ्ते सेंसेक्स में 728.07 या 0.90% की तेजी रही। मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां। मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत) मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है। मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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