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टॉप-10 कंपनियों में 5 की वैल्यू ₹​​​​​​​93,358 करोड़ कम हुई:इंफोसिस टॉप लूजर, मार्केट वैल्यू ₹44,227 करोड़ गिरी; ICICI बैंक की ₹25,459 करोड़ बढ़ी

मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में से 5 की मार्केट वैल्यू इस हफ्ते के कारोबार में 93,358 करोड़ रुपए कम हुई है। इस दौरान इंफोसिस टॉप लूजर रही। कंपनी का मार्केट कैप 44,227 करोड़ रुपए कम होकर ₹6.56 लाख करोड़ पर आ गया है। पिछले हफ्ते इसकी वैल्यू 7 लाख करोड़ रुपए थी। इंफोसिस के अलावा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का 35,801 करोड़, हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) का ₹6,567 करोड़, SBI ₹4,462 करोड़ और रिलायंस का ₹2,301 करोड़ मार्केट कैप कम हुआ है। ICICI बैंक की वैल्यू ₹25,459 करोड़ बढ़ी हफ्तेभर के कारोबार में ICICI बैंक के शेयरों की सबसे ज्यादा खरीदारी हुई। प्राइवेट सेक्टर बैंक का मार्केट कैप ₹25,459 करोड़ बढ़कर ₹8.83 लाख करोड़ पर पहुंच गया। वही, HDFC बैंक की वैल्यू 12,592 करोड़ रुपए बढ़कर 13.05 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई। इसके अलावा ITC, बजाज फाइनेंस और एयरटेल के शेयरों की बिकवाली भी ज्यादा रही। इस हफ्ते 504 अंक गिरा शेयर बाजार गुरुवार (13 मार्च) को सेंसेक्स 200 अंक गिरकर 73,828 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में 73 अंक की गिरावट रही, ये 22,397 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 8 में तेजी और 22 में गिरावट रही। स्टेट बैंक, ICICI बैंक और पावरग्रीड के शेयर में तेजी जबकि टाटा मोटर्स में 2.0%, इंडसइंड बैंक में 1.78% और जोमैटो में 1.34% की गिरावट रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 12 में तेजी, जबकि 38 में गिरावट रही। NSE के रियल्टी में 1.83%, मीडिया में 1.50% और ऑटो सेक्टर में 1.10% की गिरावट रही। मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है। मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां। मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत) मार्केट कैप कैसे काम आता है? किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है। मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है? मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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