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डमी टीचर मिला तो प्रिंसिपल से लेकर अधिकारी भी दोषी:शिक्षिका मंजू गर्ग की याचिका खारिज, HC ने कमेटी गठित कर औचक निरीक्षण के दिए निर्देश

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राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकारी स्कूलों में डमी टीचर की व्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार को इस संबंध में तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि सरकारी स्कूलों में डमी टीचर की समस्या का स्थायी समाधान क्या हो सकता है। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को मामले में विभिन्न दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। जस्टिस अनूप कुमार ढ़ंढ की अदालत ने यह आदेश डमी शिक्षक मामले में बारां के राजपुरा ग्राम के प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका मंजू गर्ग की याचिका खारिज करते हुए दिए। अदालत ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल एक महान शिक्षक ही एक महान विद्यार्थी का निर्माण कर सकता है, लेकिन सरकारी स्कूलों में डमी टीचर का कब्जा देखना शर्मनाक है। हर स्तर पर कमेटी गठित करके करें औचक निरीक्षण हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि वह स्कूलों में डमी टीचर की व्यवस्था को खत्म करने के लिए राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर कमेटियों का गठन करे। इन कमेटियों में मुख्य रूप से जिला शिक्षा अधिकारी और जिला कार्यकारी अधिकारी को शामिल किया जाए। ये कमेटियां उड़न दस्तों के माध्यम से स्कूलों का औचक निरीक्षण करें। वहीं अगर कोई डमी टीचर मिलता है तो अनुपस्थित टीचर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें। जांच में दोषी पाए जाने पर अनुपस्थित टीचर के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवाएं। जिस अवधि में वह उपस्थित रहा, उस समय का वेतन उससे ब्याज सहित वसूला जाए। वहीं कानूनन उसके निलंबन से लेकर बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि अदालती आदेश की पालना रिपोर्ट हर तीन माह में कोर्ट में पेश करें। डमी टीचर मिलने पर प्रिंसिपल और अधिकारी पर भी कार्रवाई अदालत ने कहा कि सरकारी स्कूलों के हेड मास्टर, प्रिंसपिल, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और जिला शिक्षा अधिकारी की भी जिम्मेदारी तय की जाए कि उनके अधिकार क्षेत्र के स्कूलों में कोई भी डमी टीचर काम नहीं करे। सर्कुलर के बाद भी किसी स्कूल में कोई डमी टीचर पढ़ाते हुए मिलता है तो सरकारी टीचर के साथ-साथ स्कूल हेड मास्टर, प्रिंसिपल और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी निलंबन से लेकर बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाए। सरकार शिकायती पोर्टल बनाए अदालत ने कहा कि राज्य सरकार इस तरह की व्यवस्था करने की कोशिश करे जिससे सरकारी स्कूलों के टीचर की फोटो डिस्प्ले की जा सके। इसके लिए कोई वेबसाइट अथवा पोर्टल शुरू किया जाए जिससे छात्र और उनके परिजन असली और नकली टीचर में पहचान कर सकें। साथ ही अदालत ने कहा कि डमी टीचर की शिकायत के लिए पोर्टल पर शिकायती नंबर के साथ-साथ संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी और जिला कार्यकारी अधिकारी के नम्बर भी डिस्प्ले किए जाएं। मंजू ने याचिका में यह कहा
मैं बीमार होने के कारण एक दिन स्कूल से अनुपस्थित थी। मुझ पर आरोप लगाया कि मेरी एब्सेंस में कोई डमी टीचर स्कूल में पढ़ा रहा है। इस मामले में शिकायकर्ता तेजस सुमन ने राजनीतिक द्वेषता रखते हुए बारां के सदर थाने में झूठा केस दर्ज कराया। वहीं तेजस खुद आपराधिक प्रवृतत्ति का व्यक्ति है। वहीं विभाभग ने बिना तथ्यों की जांच करत हुए 22 दिसंबर 2023 को मुझे निलंबित कर दिया तथा मेरा मुख्यालय निदेशालय बीकानेर कर दिया। यह था पूरा मामला दरअसल बारां के एक सरकारी स्कूल में कार्यरत हेड मास्टर विष्णु गर्ग और उसकी पत्नी मंजू गर्ग पर आऱोप है कि वे करीब 20 साल से शहर के समीप स्थित गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल राजपुरा में पदस्थापित थे। पति-पत्नी खुद स्कूल में स्टूडेंट को न पढ़ाकर अपनी जगह डमी शिक्षक रखे हुए थे। करीब 6 महीने पहले इन शिक्षकों की यह कारगुजारी पकड़ी गई थी। पुलिस और शिक्षा विभाग ने यहां पढ़ा रहे तीन अन्य शिक्षकों को भी गिरफ्तार किया था। उसके बाद शिक्षा विभाग के पदेन पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) ने पति-पत्नी के खिलाफ बारां सदर थाने में मामला दर्ज कराया था। आरोपी पति-पत्नी को चार्जशीट भी दी थी। इसके खिलाफ मंजू गर्ग ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह भी पढ़ें टीचर पति-पत्नी से होगी 9 करोड़ 31 लाख की रिकवरी:शिक्षा विभाग ने दर्ज कराया मामला, खुद की जगह रखे थे 3 डमी शिक्षक 20 साल तक खुद की जगह डमी शिक्षक रखकर स्कूल में पढ़वाने वाले हेड मास्टर और उसकी पत्नी से 9 करोड़ 31 लाख 50 लाख 373 रुपए की रिकवरी होगी। शिक्षा विभाग के पदेन पंचायत प्रारम्भिक शिक्षा अधिकारी (पीईईओ) ने पति-पत्नी के खिलाफ मंगलवार को बारां सदर थाने में मामला दर्ज कराया है। (पढ़ें पूरी खबर)

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