भीलवाड़ा के डॉक्टर की 29 साल की बेटी ने एमबीए करने के बाद खेती-किसानी की राह चुनी। साल 2020 में कोरोना के कारण पिता की मौत ने बेटी को झकझोर दिया। बचपन से गार्डनिंग का शौक था, पिता के जाने के बाद मन की शांति के लिए उसने खेती का रास्ता चुना। डॉक्टर फैमिली बैकग्राउंड वाली हर्षिता शर्मा ने हेल्थ और हॉस्पिटल क्षेत्र में MBA की पढ़ाई की है। भीलवाड़ा में ही पिता की एक एकड़ जमीन पर उसने 4000 वर्ग मीटर का पॉलीहाउस लगाया। फार्म का नाम रखा-खेर गाजरी। अब खीरा उत्पादन से वे लाखों की कमाई कर रही हैं। म्हारे देस की खेती में इस बार बात भीलवाड़ा की एमबीए किसान हर्षिता शर्मा की… हर्षिता शर्मा का घर भीलवाड़ा शहर के विजयसिंह पथिक नगर में है। घर में वे मां, भाई-भाभी के साथ रहती हैं। भीलवाड़ा के हलेड़ गांव (कोतवाली थाना इलाका) में उनका फार्म है। यहां उन्होंने पॉलीहाउस सेटअप किया है। जिसमें अभी खीरा का उत्पादन लिया जा रहा है। हर्षिता ने बताया- मेरे फार्म पर 3 लेबर परमानेंट नौकरी पर हैं। तीन अन्य लेबर लोकल महिलाएं हैं जो जरूरत पड़ने पर फार्म पर आती हैं। इसके अलावा भी जरूरत होने पर लेबर की संख्या बढ़ जाती है। उन्होंने बताया- जनवरी से मार्च तक उत्पादित खीरा 15 से 17 रुपए की प्रतिकिलो की रेट में स्थानीय मंडी में बिका। इस दौरान रेट कम मिलने के पीछे बाजार में खीरे की बंपर आवक रही। मार्च के बाद दूसरे चरण में गर्मी बढ़ने के साथ रेट भी अच्छे मिले। स्थानीय व्यापारी खेत में आकर खीरा लेकर जाते हैं। मंडी में भी बोली पर माल अच्छी रेट पर जा रहा है। फिलहाल 33 रुपए प्रतिकिलो तक खीरा बिका है। गार्डनिंग का शौक बचपन से हर्षिता ने बताया- मेरे पिता डॉ. राधेश्याम शर्मा फिजिशियन थे। मेरे भाई डॉ. धीरज शर्मा पेडियाट्रिक और भाभी डॉ. विनीता शर्मा गायनी डॉक्टर हैं। साल 2020 में कोरोना से पिता का निधन हो गया। मैं मायूस हो गई। गार्डनिंग का शौक बचपन से था। मैंने घर में किचन गार्डन लगाया था। मेरा ज्यादातर समय किचन गार्डन की देखभाल में बीतने लगा। साल 2024 तक किचन गार्डन का अनुभव लेने के बाद बड़े स्तर पर गार्डनिंग करने का प्लान बनाया। किचन गार्डन से कुछ हद तक पौधों के बारे में सीख गई थी। तय कर लिया था कि खेती करनी है। खेती के नए तरीकों पर मैं जानकारी जुटाने लगी। मैं कृषि विभाग भी गई लेकिन खास जानकारी नहीं मिल पाई। रिसर्च के दौरान ऐसी कंसल्टेंट फर्म के बारे में जानकारी मिली जो खेती का सेटअप तैयार करवा देती है। फर्म से डील किया और फिर ऑनलाइन ही सारी जानकारी मिलने लगी। फर्म ने पॉलीहाउस सेटअप के लिए 60 लाख का प्रोजेक्ट बनाकर दिया। उन्होंने मुझे खेती स्टार्ट करने के लिए कई जानकारियां दीं। पॉलीहाउस लगाने के सारे स्टेप के बारे में बताया। परिवार नहीं चाहता था खेती करूं, मां को लगता था लोन नहीं चुका पाऊंगी 60 लाख के प्रोजेक्ट के लिए बैंक से 80 परसेंट लोन लिया। बैंक लोन लेने में फर्म ने मदद की। मेरा परिवार, खास तौर से मां नहीं चाहती थीं कि मैं खेती किसानी करूं। मिडिल क्लास परिवार के लिए 60 लाख बड़ा अमाउंट है। मां को समझाया कि यह फायदेमंद रहेगा और मैं बहुत जल्द सारे कर्ज चुका दूंगी। मेरे पिता ने भीलवाड़ा में ही एक एकड़ उपजाऊ जमीन खरीद रखी थी। इस पर 80 फीसदी बैंक लोन और 20 फीसदी अपनी और मां की सेविंग्स के साथ नवंबर 2024 में पॉलीहाउस तैयार कराया। कंसल्टेंट फर्म ने पॉलीहाउस सेटअप लगवाने में मदद की। खेत में क्यारियां तैयार करने से लेकर बीज बोने, फसलों के अंकुरण, पौधों के बढ़ने तक हर काम में महत्वपूर्ण जानकारी देकर मेरी मदद की। मैंने खेत में फिल्टरेशन सिस्टम लगाया। इसे ड्रिप इरिगेशन तकनीक से जोड़ा ताकि आधुनिक तरीके से सिंचाई हो सके। फर्म ने मुझे सरकारी सब्सिडी की भी जानकारी दी, जिसके लिए मैं प्रोसेस कर रही हूं। ऐसे की पहली फसल लगाने की शुरुआत पॉलीहाउस में जनवरी 2025 में खीरे की फसल लगाई। क्यारियों में मल्चिंग विधि का उपयोग करते हुए बीज लगाए। हमने खीरे की फसल के लिए 2 तरह के बीज इस्तेमाल किए। खीरा बेल पर लगता है। बेल को वर्टिकल रखने के लिए मजबूत धागों से बांधकर रखा। इससे बेल अच्छी ग्रोथ करती है। सभी पौधों से खीरे की अच्छी क्वालिटी और क्वांटिटी मिल रही है। फरवरी-मार्च में खीरे का उत्पादन शुरू हो गया। खीरे की पहली क्रॉप मंडी में बिकी तो मां को खुशी हुई। लेकिन अब भी वे टेंशन में हैं कि इतना बड़ा लोन कैसे चुका पाएंगे। वर्तमान में खीरे की दूसरी फसल पॉलीहाउस में लगी हुई है, जिसका सीजन जुलाई तक चलेगा। इसके बाद एक महीने का गैप देकर लगातार सीजन में खीरे का प्रोडक्शन लेंगे। डेढ़ साल में लोन चुका दूंगी हर्षिता का दावा है कि वे डेढ़ साल में सभी कर्जों से मुक्त हो जाएंगी। इसके बाद लगातार 3 साल प्रॉफिट लेकर काम को आगे बढ़ाएंगी। उन्होंने कहा- हमने बैंक का लोन और सभी कर्ज चुकाने के लिए खुद को 2 साल का समय दिया है। उम्मीद है कि एक से डेढ़ साल में ही सारे कर्जे चुका दूंगी। सरकार से सब्सिडी मिल जाती है तो और भी जल्दी बैंक का कर्ज उतर जाएगा। खेती के लिए केंद्र सरकार 50 परसेंट और राज्य सरकार 75 परसेंट तक सब्सिडी देती है। मेरा टारगेट 40 एकड़ तक खेती को बढ़ाकर 10 फसलें लेने का है। मैं बिग बास्केट जैसे बड़े रिटेलर्स से जुड़कर अपना बिजनेस आगे बढ़ाऊंगी। उम्मीद है कि जुलाई के आखिर तक हमें 40 टन खीरा मिलेगा। इसी साल शादी के सीजन (नवंबर-दिसंबर) में हमें 35 से 40 रुपए प्रतिकिलो तक का भाव मिल जाएगा। स्टॉक मार्केट की तरह सब्जी मंडी में भाव ऊपर-नीचे होते रहते हैं। अगले तीन सीजन (अगस्त 2025 से जुलाई-2026 तक) में हम 150 टन तक खीरे का उत्पादन कर लेंगे। युवा किसानों को संदेश उनका कहना है- अपना टारगेट अचीव करने के लिए जी-जान लगानी चाहिए। प्रॉब्लम की जगह सोल्यूशन पर फोकस करना चाहिए। अपना पैशन फॉलो करना चाहिए। खेती के नवाचार में हाइड्रोपोनिक, ग्लास हाउस, ग्रीन नेट, पॉलीहाउस जैसे कई विकल्प हैं। मैंने डेढ़ साल तक जानकारी जुटाने के बाद पॉलीहाउस के लिए एक्सरसाइज किया। ———————— खेती किसानी से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें रेगिस्तान में इजराइली पौधा लगाकर लाखों की कमाई:4 साल तक बाल्टी से सींचा, 70 साल देगा फल; इसके बीज का तेल ‘लिक्विड सोना’ राजस्थान के तपते रेगिस्तान में एक किसान ने इजरायली पौधा उगाने की पहल की। यह पौधा है-जोजोबा। यह 70 साल तक बीज का प्रोडक्शन देता है। इस बीज का तेल 80 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिकता है। (पढ़ें पूरी खबर)

Leave a Reply

You missed