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22 अप्रैल को UPSC का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया गया। इसमें बाड़मेर से 448वीं रेंक हासिल करने वाले सुखराम भूंकर ने बताया- गांवों में अक्सर बड़े सपनों को लेकर मजाक बनाया जाता है। मैंने 2022 में भी पास हो गया था लेकिन, OBC सर्टिफिकेट सेंट्रल का नहीं होने के कारण उन्हें जनरल कैटेगरी में फाइट करनी पड़ी और बाहर हो गया। मैं 2 साल पहले ही UPSC क्लियर कर चुका होता, आज तो किसी जिले का SP होता। लेकिन, किस्मत को ये मंजूर नहीं था। लेकिन, अब पास हो गया हूं तो इस सक्सेस का मजा ही कुछ अलग रहा। लोगों के तानों का जवाब मैंने दे दिया जो कहते थे कि तू बन गया कलेक्टर… भूंकर भावुक होकर अपनी जर्नी बताते हुए कहते हैं कि मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए पिता ने खेतों में मेहनत की। बड़े भाई ने चाय बेची, अफ्रीका की खदानों में काम किया। अगर मैं इन्हें UPSC क्रैक करके नहीं दिखा पाता तो शायद वो मेरे लिए सबसे बड़ा ताना होता। दैनिक भास्कर में पढ़िए, बाड़मेर के भियाड़ के रहने वाले 26 साल के सुखराम की बचपन से लेकर UPSC क्रेक करने तक की जर्नी सुखराम बताते हैं- चाहे आज मेरा UPSC के लिए सिलेक्शन हो गया, लेकिन 2022 का साल मैं कभी नहीं भूल सकता। मैंने कड़ी मेहनत से UPSC का एग्जाम दिया था। प्री और मेंस सब क्लियर हो गया था। मेरा सिलेक्शन इंटरव्यू के लिए भी हो गया था। लेकिन, OBC सर्टिफिकेट सेंट्रल का नहीं होने के कारण मुझे जनरल कैटेगरी में फाइट करनी पड़ी। ऐसे में, वहां मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाया।
मेरे हाथ से आईपीएस निकल गया। दुख बहुत हुआ, लेकिन मेरी मेहनत में कमी नहीं थी मेरी किस्मत ने धोखा दिया था। सुखराम कहते हैं- मेहनत एक ऐसी चीज है जिससे किस्मत को भी हराया जा सकता है। मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। ये कॉन्फिडेंस तो था ही कि एक बार इंटरव्यू तक पहुंचा हूं तो एक बार फिर कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं। सफलता को रोका नहीं जा सकता सुखराम ने बताया कि मैंने फिर से मेहनत शुरू की। इसके बाद जब रिजल्ट आया तो मेरी खुशी दुगुनी थी। मैं UPSC ही नहीं जीवन के हर मुकाम पर संघर्षरत युवाओं से कहना चाहता हूं कि अपना एक टारगेट बना कर रखो, फिर जो सफलता मिलेगी उसको रोका नहीं जा सकता है। असफलता के बाद की जो सफलता मिलती है, उसका मजा ही अलग होता है। 2 साल पहले आईपीएस बन जाता सुखराम कहते हैं- मैं आज से 2 साल पहले आईपीएस बन जाता। अभी तो मैं किसी जिले का एसपी होता। लेकिन वो मेरी किस्मत में नहीं था। मुझे प्रॉपर गाइडेंस नहीं मिली थी। तो मेहनत के साथ-साथ अपने डॉक्युमेंट्स और एग्जाम से जुड़े सभी कागजात भी हमेशा तैयार रखें। ये एक सीख थी जो मुझे UPSC के दौरान मिली। इंटरव्यू में पूछे ये सवाल-
सुखराम ने बताया- वे जिस जिले से आते हैं, उसी के आसपास के सवाल उनसे इंटरव्यू में पूछे गए। भाई ने चाय बेची, अफ्रीका में काम किया सुखराम ने बताया कि परिजनों और दोस्तों के सपोर्ट से मैंने UPSC क्रेक किया। 2023 में भी एक असफलता मिली थी तब मन टूट गया था। साल 2024 में फिर से एग्जाम दिया। 10 फरवरी 2025 को इंटरव्यू हुआ। फिर रिजल्ट आया तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
सुखराम ने बताया कि- मेरे दोनों भाइयों ओमप्रकाश और बजरंग ने कभी मुझे उनका हाथ बंटाने या घर की आर्थिक स्थिति में मदद करने का प्रेशर नहीं डाला। मुझे पढ़ाने के लिए बड़े भाई ओमप्रकाश ने गांव में चाय की होटल खोल ली। वहीं भाई बंजरग ने अफ्रीका के कांगो में बीते 6-7 साल तक मजदूरी की। पिता उगराराम आज भी खेती करते हैं। UPSC में सक्सेस से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें…. 1. यूपीएससी इंटरव्यू में पूछा, बिल्ली- कुत्ते में किसे पालना आसान?:कोटा की कैंडिडेट से सवाल: सुसाइड रोकने के लिए क्या करती; लाडली-बहन योजना चलनी चाहिए या नहीं? संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा-2024 में 96वीं रैंक हासिल करने वाले जयपुर के आदित्य आचार्य का कहना है- “संघर्ष को एंजॉय करना सीख लिया तो राह आसान हो गई,” । दो बार प्री एग्जाम में असफल होने के बाद हताश हो चुके आदित्य को पिता की प्रेरणा ने फिर से राह दिखाई। (पढ़ें पूरी खबर) 2. मां ने पढ़ाया, मामा ने बड़े बोर्ड पर समझाया:ऑडियो बुक्स सुनकर करते थे तैयारी; आंखों की रोशनी ना होने के बावजूद UPSC में 91वीं रैंक जयपुर के दृष्टिबाधित मनु गर्ग (23) ने UPSC परीक्षा में 91वीं रैंक हासिल की है। आठवीं कक्षा से ही बीमारी से जूझ रहे मनु की आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होती गई, लेकिन हौसला नहीं टूटा। मां वंदना जैन ने सभी विषय पढ़कर सुनाए और मामा ने बड़े बोर्ड पर गणित समझाया। टेक्नोलॉजी की मदद से पढ़ाई जारी रखी और दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की। (पढ़ें पूरी खबर) 3. UPSC में जोधपुर के त्रिलोक सिंह की 20वीं रैंक:दौसा कलेक्टर के भाई की 32वीं रैंक; जयपुर के मनु की आंखों की रोशनी कम, टॉप-100 में आए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा-2024 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है। जोधपुर के गांव भाखरी के त्रिलोक सिंह करणोत ने 20वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने तीसरे अटेम्प्ट में सिविल सर्विसेज एग्जाम क्रैक किया है। (पढ़ें पूरी खबर)

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