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कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने स्पीकर पर मनमानी और पक्षपात का आरोप लगाते हुए विधानसभा की प्राक्कलन समिति-ख (एस्टीमेट कमेटी-B) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। डोटासरा ने सोशल मीडिया पोस्ट कर इस्तीफा देने की घोषणा की। डोटासरा ने विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी पर पक्षपात करने, मनमाने फैसले करने और सरकार के दबाव में काम कर संविधान के खिलाफ फैसले लेने सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं। डोटासरा ने एक्स पर लिखा- राजस्थान विधानसभा की प्राक्कलन समिति ‘ख’ के सदस्य पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं। प्रजातंत्र में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की निष्पक्षता सर्वोच्च होती है, लेकिन जब निर्णय पद की गरिमा के विपरीत और पक्षपातपूर्ण प्रतीत हों तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक है। स्पीकर की निष्पक्षता सवालों के घेरे में हो, तब चुप रहना जनादेश का अपमान
डोटासरा ने लिखा- राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के हालिया निर्णय संविधान की मूल आत्मा के विरूद्ध और पूर्णतः पक्षपातपूर्ण प्रवृत्तियों को उजागर करते हैं। लोकतंत्र के मंदिर में जब निष्पक्षता सवालों के घेरे में हो, तब चुप रहना जनादेश का अपमान होता है। इसलिए इसका हम पुरजोर विरोध करते हैं और मैं प्राक्कलन समिति के सदस्य पद से त्यागपत्र देता हूं। कांग्रेस विधायक बुडानिया को विशेषाधिकार समिति का अध्यक्ष बनाकर 15 दिन में ही हटाया
डोटासरा ने लिखा- समितियां सिर्फ सत्ता पक्ष की मोहर नहीं होतीं, इनमें संतुलित संवाद और निगरानी की भूमिका अहम होती है। कांग्रेस विधायक नरेंद्र बुडानिया को हाल ही में विशेषाधिकार समिति का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन 15 दिन में उन्हें हटा दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष का यह रवैया स्तब्ध करने वाला है, क्योंकि संभवत: ऐसी समितियों के अध्यक्ष न्यूनतम 1 साल के लिए होते हैं। कंवरलाल मीणा को सजा होने के बाद अब तक विधायकी खत्म नहीं की, स्पीकर की मनमानी संविधान की खुली अवहेलना
डोटासरा ने लिखा- यह कोई पहला मौका नहीं है जब पक्षपात निर्णय देखने को मिला हो। हाल ही में हाईकोर्ट ने अंता से भाजपा विधायक कंवरलाल मीणा की 3 साल की सजा को बरकरार रखा। नियमों के मुताबिक 2 साल से अधिक की सजा होते ही विधायक और सांसद जनप्रतिनिधि स्वत: निलंबित माने जाते हैं, लेकिन इस मामले में विपक्ष की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपने के बाद भी कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द नहीं की गई। विधानसभा अध्यक्ष की यह मनमानी माननीय कोर्ट और संविधान की खुली अवहेलना है। अध्यक्ष न्याय संगत निर्णय करें
डोटासरा ने आगे लिखा- ऐसे अनेक निर्णय हैं जो विधानसभा अध्यक्ष पर दबाव में काम करने और निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। अध्यक्ष से अपेक्षा है कि संविधान की शपथ को सर्वोच्च मानकर विधिमान्य न्याय संगत निर्णय करें, जिससे आसन के प्रति आस्था और गहरी बनें।

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