बाड़मेर के लीलसर निवासी कुख्यात तस्कर चीमाराम को जोधपुर रेंज की स्पेशल साइक्लोनर टीम ने तस्कर बनकर एक साल की मेहनत के बाद मध्यप्रदेश बॉर्डर इलाके से पकड़ लिया है। चीमाराम पर जोधपुर रेंज और उदयपुर रेंज की ओर से 50-50 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर रखा था। अब तक 6 बार पुलिस के दबिश देने और घेर लेने के बावजूद भी बचकर भाग जाता था। 7वीं बार में जब खुद पिस्टल को घर पर छोड़ कर घूमने के बहाने महाराष्ट्र गया था। बीच रास्ते में पुलिस ने खुद तस्कर बनकर डील की और झांसे में उलझाया, जिसके बाद दबिश देकर मध्यप्रदेश बॉर्डर इलाके में पकड़ लिया। आरोपी कुख्यात तस्कर और इन तस्करों के बीच 2016-17 में चली रंजिश और गुटबाजी से कई बार हमले हुए। जिसमें एक-दो तस्करों की तो हत्या कर दी गई, वहीं एक ने पुलिस के पकड़े जाने के घर से खुद को गोली मार ली तो कुछ पुलिस की गिरफ्त में आने से जेल चले गए। इसके बावजूद भी खुद अकेला तस्करी का साम्राज्य चलाता रहा। एक बार मेवाड़ से मारवाड़ से तस्करी की खेप से भरी गाड़ी की एस्कॉर्ट करने के लिए 1 लाख रुपए लेता था। ड्राइविंग का इतना माहिर था कि गाड़ी की सीट पर बैठने के बाद पकड़ पाना मुश्किल था। जोधपुर रेंज साइक्लोनर टीम के सदस्यों ने खुद को तस्कर का गुर्गा बताया और मादक पदार्थ की डील के बहाने होटल में बुलाया। बदमाश से मिलने आया तो उसे गिरफ्तार कर लिया। पकड़े जाने पर बदमाश ने पहले अपनी पहचान छिपाई, लेकिन बाद में स्वीकार कर ली। जोधपुर रेंज आईजी विकास कुमार ने बताया कि साइक्लोनर टीम ने मादक पदार्थ तस्करी के मामले में 6 साल से फरार चल रहे 1 लाख रुपए के इनामी कुख्यात तस्कर चीमाराम (30) पुत्र जोराराम निवासी लीलसर को पकड़ा है। साइक्लोनर टीम के गठन के बाद 116वां आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आया है। तस्कर चीमाराम ने 5वीं तक पढ़ाई की। पढ़ाई में मन नहीं लगने पर पानी का टैंकर चलाने लगा। साथ ही ट्रैक्टर चलाकर करतब दिखाने लगा। इस दौरान वह तस्करों के संपर्क में आ गया। आरोपी इतना शातिर है कि नशे के वाहन को एस्कॉर्ट करता था। पुलिस को देखकर आरोपी गाड़ी तेज भगाकर ले जाता था। पुलिस उसे पकड़ने में लगी रहती तब तक मादक पदार्थ की खेप पार करवा देता था। 5वीं तक पढ़ा, 15 साल में तस्करी का किंग बना, 15 नामजद मामले, 3 बार जेल भी गया 15 केस दर्ज, साउथ के राज्यों में रहता था तस्कर एक लाख रुपए का इ नामी व कुख्यात तस्कर चीमाराम के खिलाफ राजस्थान के विभिन्न थानों में 15 मामले दर्ज हैं। वह तीन बार जेल जा चुका है। 2015 में धोरीमन्ना, 2016 में बाड़मेर सदर, 2018 में नागाणा और 2019 में पाली के सुमेरपुर और बाड़मेर के शिव इलाके में पुलिस पर फायरिंग भी कर चुका है। चीमाराम ने अपनी तस्करी शुरूआत विरधाराम और श्रीराम बिश्नोई जैसे तस्करों के साथ की थी। उसका नेटवर्क मारवाड़ से मेवाड़ तक फैला था। आरोपी सिर्फ इंटरनेट कॉल का इस्तेमाल करता था और साउथ के राज्यों में छुपकर रहता था। आरोपी ट्रकों पर घूम-घूम कर तस्करी करता और आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल करता था। गिरफ्तारी के लिए एक साल से चल रहा था ऑपरेशन पुलिस ने एक साल तक चले ऑपरेशन में कई बार दबिश दी। गृह प्रवेश, बेटे के जन्म पर गांव में, नीमच के होटल में, गुजरात में नए साल पर, नागपुर में ट्रक पर और जैसलमेर में बहन के ससुराल में दबिश दी, लेकिन हर बार वह बच निकला। आरोपी को पकड़ने के लिए साइक्लोनर टीम ने उसके एक गुर्गे पर नजर रखी और मध्य प्रदेश में तस्कर का गुर्गा बनकर पहुंची। 20 जून को आरोपी को होटल में चाय पीते समय दबोच लिया गया। आरोपी के पास हथियार नहीं थे, इसलिए टीम को उसे पकड़ने में सफलता मिली।