सावन का महीना शिव को समर्पित होता है। सोमवार से सावन की शुरुआत हुई है। पूरे महीने भोलेनाथ के भक्त बाबा की भक्ति करेंगे। इस दौरान भीलवाड़ा में भक्ति के अनूठे रंग नजर आ रहे हैं। पीढ़ी के साथ भक्ति का तरीका भी बदलता है। शिव के युवा भक्त शरीर पर टैटू (गोदना) बनवा रहे हैं। एक ओर जहां शिव मंदिरों में भगवान शिव को जल दूध भांग धतूरा और आक अर्पित किया जा रहा है। रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप और कावड़ यात्रा जैसे आयोजन किए जा रहे हैं तो दूसरी ओर कई युवा ऐसे हैं जो शरीर पर टैटू बनवाकर शिव के प्रति आस्था जता रहे हैं। सोमवार को हरणी महादेव मंदिर में कई भक्त महाकाल और जय भोले लिखी टीशर्ट में दिखे। कई युवा केसरिया चंदन लाल कुमकुम का टीका लगवाकर खास लुक में नजर आए। कुछ युवा ऐसे भी हैं जो लीक से हटकर भगवान शिव का परमानेंट टैटू बनवा रहे हैं। शरीर पर शिव का नाम, मंत्र, प्रतिमा, शिवलिंग, त्रिशूल-डमरू के टैटू प्रचलन में हैं। देखिए, भीलवाड़ा में एक युवा ने सीने पर त्रिशूल, स्वस्तिक और ओम गुदवाया आर्टिस्ट बोले- युवाओं में बढ़ रहा क्रेज आजाद चौक में टैटू आर्टिस्ट सुरेश सैन ने बताया- युवाओं में टैटू बनवाने का काफी क्रेज है। अलग-अलग डिजाइन के टैटू बनवा रहे हैं। हाथ, सीने सहित शरीर के कई हिस्सों में टैटू बनवाने की होड़ है। सावन में शिव के टैटू बनवाने का भी क्रेज है। युवा अपने शरीर पर महाकाल, जय भोले, बाबा बर्फानी लिखवा रहे हैं। इसके अलावा कई युवा कहते हैं कि उन्हें त्रिशूल, डमरू या श्लोक लिखवाना है। रूटीन की बात करें तो भगवान शिव के टैटू का ज्यादा क्रेज है। 10 साल तक रहता है टैटू एक टैटू करीब 5 से 10 साल तक रहता है , इसके रंग नहीं जाते हैं और बॉडी पर यह काफी आकर्षक लगते हैं। छोटा टैटू बनवाने में करीब आधा घंटा, डिजाइनर और बड़ा टैटू बनवाने में दो से चार घंटे तक का समय लगता है। 500 रुपए टैटू बनाने की स्टार्टिंग रेट है, जबकि डिजाइन के अनुसार यह 15 हजार रुपए तक भी चली जाती है। काम क्वालिटी का हो या टैटू सुंदर बना हुआ हो तो उसके लिए कोई दाम नहीं है। लोग मुंह मांगा पैसा देकर टैटू बनवा रहे हैं। यह अपनी तरह की भक्ति टैटू बनवाने आए एक युवा ने बताया- मैं अपने तरीके से बाबा की भक्ति कर रहा हूं। मैं भोले का भक्त हूं। बाबा का आशीर्वाद बना रहे, इसलिए टैटू बनवाया है। आज से सावन माह शुरू हो गया है और सोमवार भी है। तो बाबा के त्रिशूल और डमरू का टैटू बनवाया है। दर्द तो काफी होता है लेकिन बाबा की भक्ति के सामने ये दर्द कुछ भी नहीं है।